मंगलवार, 12 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. चुनाव 2024
  2. लोकसभा चुनाव 2024
  3. चर्चित लोकसभा क्षेत्र
  4. Barmer Jaisalmer Lok Sabha seat of Rajasthan stuck in triangular contest with candidature of Ravindra Singh Bhati

रवीन्द्र भाटी ने धोरों में बढ़ाई गर्मी, जानिए बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट का हाल

भाजपा से सांसद कैलाश चौधरी, कांग्रेस से उमेदाराम बेनीवाल मैदान में

Ravindra Singh Bhati
Barmer Lok Sabha Seat of Rajasthan: धोरों की धरती राजस्थान में यूं तो गर्मी के तेवर तीखे ही होते हैं, लेकिन बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार रवीन्द्र सिंह भाटी (Ravindra Singh Bhati) की मौजूदगी ने सियासत के मिजाज को भी गर्म कर दिया है। भाटी की नामांकन रैली में उमड़ी भीड़ ने भाजपा और कांग्रेस जैसी दिग्गज पार्टियों के उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है। 
 
भाजपा ने यहां से वर्तमान सांसद कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) को उम्मीदवार बनाया है, जबकि कांग्रेस की ओर से उमेदाराम बेनीवाल खम ठोक रहे हैं। चौधरी मोदी सरकार कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री हैं। लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े चौधरी बायतू सीट से विधायक भी रह चुके हैं। 
दूसरा सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र : बाड़मेर क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का दूसरा सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र है। भारत के पूर्व रक्षा और विदेश मंत्री जसवंत सिंह भी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। उनके बेटे मानवेन्द्र सिंह भी इस सीट से लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं। हालांकि अब वे कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। यह संसदीय क्षेत्र 71 हजार 601 किलोमीटर में फैला हुआ है। 
 
भाजपा ने ढूंढा भाटी का तोड़ : भाजपा ने भी इस सीट को अपनी नाक का सवाल बना लिया है। युवाओं के बीच 26 साल के भाटी की लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने उन्हीं के करीबी कुणाल सिंह अड़बला को साधने की कोशिश है। हाल ही में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने भी कुणाल से मुलाकात की थी।  जेएनवीयू के छात्र संघ अध्यक्ष रह चुके कुणाल भी युवाओं के बीच लोकप्रिय हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यहां सभा हो सकती है। हालांकि यह वक्त ही बताएगा कि भाजपा अपनी रणनीति में कितनी सफल होती है।   
गुजरात में किया प्रचार : दरअसल, दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दिग्गजों के धूल चटाने वाले भाटी की चर्चा न सिर्फ राजस्थान बल्कि राज्य के बाहर भी हो रही है। जोधपुर की जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रहे भाटी गुजरात जाकर प्रवासी राजस्थानियों के बीच भी जा चुके हैं। गुजरात के अहमदाबाद और सूरत में भाटी से मिलने के लिए बड़ी संख्या में प्रवासी राजस्थानी जुटे थे। इतना तो तय है कि बाड़मेर सीट पर भाटी ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। 
 
कैलाश चौधरी की स्थिति मजबूत : हालांकि पिछले चुनाव में केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के कैलाश चौधरी ने 3 लाख 23 हजार से ज्यादा वोटों जीती थी। तब कांग्रेस ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री और दिग्गज भाजपा नेता स्व. जसवंत सिंह के बेटे को चुनाव में उतारा था, लेकिन वे जीत नहीं पाए। हालांकि मानवेन्द्र सिंह 2004 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं।

विधानसभा चुनाव के परिणाम पर नजर डालें तो इस सीट पर भाजपा का पलड़ा भारी है। क्योंकि संसदीय क्षेत्र की 5 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं, जबकि शिव सीट पर रवीन्द्र भाटी निर्दलीय विधायक हैं। लेकिन, जाट वोट बंटने का नुकसान चौधरी को हो सकता है। 

क्या कहते हैं जानकार : शिक्षाविद विरेन्द्रसिंह राठौड़ कहते हैं कि आश्चर्यजनक रूप से रवीन्द्र भाटी के समर्थन में लोग जुट रहे हैं। राजपूतों के साथ ही सिंधी, मुसलमानों के साथ ही युवा और न्यूटल वोटर भाटी के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं। दूसरी ओर, जाट वोट चौधरी और बेनीवाल के बीच बंट सकते हैं। इसका सीधा फायदा भाटी को मिलेगा।

यह भी कहा जा रहा है कि गुजरात में काम-धंधा कर रहे राजस्थानी वोटर भी भाटी के पक्ष में मतदान के लिए अपने-अपने गांव आ सकते हैं। राठौड़ कहते हैं कि भाटी की लोकप्रियता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि मुख्‍यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ ही संघ और भाजपा के बड़े नेता भी लगातार बाड़मेर का दौरा कर रहे हैं। 
 
8 विधानसभा सीटों में बंटा है क्षेत्र : बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय सीट 8 विधानसभा क्षेत्रों में बंटी हुई है। 7 सीटें बाड़मेर जिले की हैं, जबकि एक सीट जैसलमेर की। इनमें जैसलमेर, शिव, बाड़मेर, बायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ा मलानी और चौहटन हैं। 
Barmer lok sabha seat
क्या कहता है कि बाड़मेर का चुनावी इतिहास : बाड़मेर लोकसभा से पहला और दूसरा चुनाव निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीता था। पहली बार भवानी सिंह, जबकि दूसरी बार रघुनाथ सिंह बहादुर ने चुनाव जीता था। 1962 में राम राज्य परिषद के तन सिंह चुनाव जीते थे। 1967 में कांग्रेस के अमृत नाहटा ने पहली बार चुनाव जीता, 1971 में भी वे कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने। 
 
आपातकाल के बाद 1977 में तन सिंह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। 1980 और 84 में यह फिर कांग्रेस के खाते में गई। दोनों ही बार विरधी चंद जैन चुनाव जीते। 1989 में वीपी सिंह की लहर में कल्याण सिंह कालवी जनता दल के टिकट पर जीते। अगले तीन लोकसभा चुनाव 1996, 98 और 99 में कांग्रेस के सोनाराम विजयी रहे। 2009 में कांग्रेस के हरीश चौधरी जीते, जबकि 2014 में सोना राम भाजपा के टिकट पर सांसद बने।  
 
ये भी पढ़ें
शुभकरण चौधरी का विवादित बयान, जो हिंदू PM मोदी को वोट नहीं देता वो देशद्रोही