India China Clash : कांग्रेस पर गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा आरोप, अधीर रंजन चौधरी का पलटवार
नई दिल्ली। तवांग में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद कांग्रेस और भाजपा भी इस मामले में आमने-सामने नजर आ रहे हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर चीनी दूतावास से पैसे लेने का आरोप लगाया तो कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सवाल किया कि अमित शाह ने किस हैसियत से बयान दिया? क्या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद की रक्षा करने में सक्षम नहीं है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान चीन ने भारत की हजारों हेक्टेयर भूमि हड़प ली थी। उन्होंने कहा कि तवांग में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प के दौरान भारतीय सैनिकों ने अदम्य वीरता का प्रदर्शन करते हुए उन्हें कुछ ही घंटों में बाहर खदेड़ दिया था।
उन्होंने कहा कि ये भाजपा की सरकार है, मोदी इसके पीएम है। जब तक भाजपा की मोदी सरकार चल रही है। एक इंच जमीन पर भी कोई कब्जा नहीं कर सकता है। 8-9 की दरम्यानी रात को सेना के जवानों ने वीरता दिखाई है कि उसकी प्रशंसा करता हूं। घुसे सैनिकों को कुछ ही घंटे में भगा दिया।
गृहमंत्री ने कहा कि प्रश्नकाल की सूची में प्रश्न संख्या 5 देखने के बाद मुझे इनकी (कांग्रेस) चिंता समझ में आई। सवाल राजीव गांधी फाउंडेशन के विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस को रद्द करने के संबंध में था।
शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस से जुड़े राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीनी दूतावास से रिसर्च के लिए 1 करोड़ 35 लाख का अनुदान लिया था जो FCRA के अनुसार उचित नहीं था। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि फाउंडेशन ने जाकिर नाइक से भी 50 लाख रुपया हासिल किया था। जाकिर नाइक ने ये पैसा किस मदद के लिए दिया था? उन्होंने कहा कि पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए गृह मंत्रालय ने इसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है।
इस पर कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि अमित शाह ने किस हैसियत से बयान दिया? क्या रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद की रक्षा करने में सक्षम नहीं है? उन्होंने कहा कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को अपनी कुर्सी गृहमंत्री को सौंप देनी चाहिए। गृहमंत्री को यह भी बताना चाहिए कि भाजपा ने कितनी चीनी कंपनियों से अनुदान लिया है।
उन्होंने कहा कि मैं ये कहना चाहता हूं कि एक बार प्रधानमंत्री केयर फंड का जायजा लिया जाए। उसमें जिन लोगों ने चंदा दिया है उनकी सूची निकाली जाए और देखा जाए कि कितनी चीनी कंपनियों ने चंदा दिया है।