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Last Updated : गुरुवार, 1 अगस्त 2024 (15:30 IST)

महिलाओं की श्रम बल में बढ़ी भागीदारी, मांडविया ने राज्यसभा में दी जानकारी

महिलाओं की श्रम बल में बढ़ी भागीदारी, मांडविया ने राज्यसभा में दी जानकारी - Increased participation of women in the labour force
Rajya Sabha: कार्य स्थलों में महिलाओं (women's) के लिए सुरक्षित एवं अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने के लिए हरसंभव प्रयास करने का दावा करते हुए श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya) ने गुरुवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में कहा कि बीते 6 साल में श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
 
मांडविया ने उच्च सदन में पूरक प्रश्नों के जवाब में बताया कि वर्ष 2017-18 में कुल श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी 23.3 फीसदी थी। उन्होंने कहा कि यह भागीदारी लगातार बढ़ती गई और वर्ष 2022-23 में यह क्रमश: 57.9 तथा 37 प्रतिशत हो गया। श्रम एवं रोजगार मंत्री ने कहा कि इस प्रकार स्पष्ट है कि बीते 6 साल के दौरान श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ी है। इसका मतलब यह भी है कि महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़े हैं।

 
उन्होंने कहा कि सरकार सुनिश्चित कर रही है कि महिलाओं को कार्यस्थलों पर सुरक्षित एवं अनुकूल माहौल मिले। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार महिलाओं के सशक्तीकरण एवं उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देती है। ग्रामीण, शहरी और व्यावसायिक क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। कांग्रेस के मुकुल वासनिक ने परिवार में महिला को गृहमंत्री बताते हुए कहा कि घर के बाहर, कार्य स्थलों में उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रयास किए जाने चाहिए।
 
मांडविया ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में 2017-18 में महिलाओं का रोजगार संबंधी आंकड़ा 27 फीसदी था, जो अब 40 फीसदी हो गया है। शहरी क्षेत्रों में यह 43 फीसदी से बढ़ कर 47 फीसदी हो गया है। उन्होंने कहा कि हमें जो विरासत में मिला था, उसे हम बदलना चाहते हैं। पूर्व में महिलाओं को अवसर और आरक्षण देने की बातें खूब की गईं लेकिन दिया नहीं गया। मोदी सरकार ने महिला आरक्षण विधेयक पारित किया। सभी क्षेत्रों में महिलाओं को अवसर देने के लिए कोशिश की जा रही है। हमारी सरकार महिलाओं के कल्याण के लिए लगातार प्रयासरत है।

 
तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि आप दावा करते हैं कि हमने महिलाओं को संसद और विधायिकाओं में 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए, उनके सशक्तीकरण के लिए महिला आरक्षण विधेयक पारित किया है। लेकिन बुरा मत मानिएगा, लोकसभा में भाजपा की 13 फीसदी जबकि तृणमूल कांग्रेस की 38 फीसदी महिला सांसद हैं।
 
उन्होंने महिलाओं और पुरुषों के लिए समान न्यूनतम मजदूरी की मांग की। इस पर मांडविया ने कहा कि न्यूनतम मजदूरी विभिन्न मानकों के आधार पर सरकार द्वारा समय समय पर तय की जाती है। मंत्री ने कहा कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे आएं, इसके लिए उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है और कदम भी उठाए जा रहे हैं। कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टल की व्यवस्था की गई है। पहले महिला खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स लीग नहीं होती थी लेकिन आज है।
 
मांडविया खेल एवं युवा मामलों के मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि सरकार महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए तथा उन्हें बराबरी का हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। मांडविया ने कहा कि रोजगार के लिए समय समय पर क्षेत्र बदलता रहता है। कभी कृषि सबसे बड़ा क्षेत्र था जिसमें पुरुष और महिलाओं ने बराबरी से काम किया। फिर निर्माण क्षेत्र आया जिसमें महिलाओं ने उल्लेखनीय भागीदारी दिखाई। आज सर्विस क्षेत्र प्रभावी है जिसमें भी महिलाओं ने खुद को साबित किया है। उन्हें कार्य स्थलों पर पूरी सुरक्षा दी जाती है। उन्हें कामकाज के पूरे अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं।

 
सभापति जगदीप धनखड़ ने चुटकी ली कि मुकुल वासनिक ने कहा कि महिला अपने परिवार की गृहमंत्री होती हैं, मंत्री क्या इससे सहमत हैं? सभापति ने कहा कि मेरे घर में तो ऐसा है। उन्होंने अपनी पत्नी का नाम लेते हुए कहा कि मेरे घर में तो सुदेश धनखड़ ही सब कुछ हैं। इस पर मांडविया ने कहा कि महिलाएं घर की सम्मानित सदस्य होती हैं और उनका महत्वपूर्ण स्थान होता है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta