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Last Updated : सोमवार, 1 मई 2023 (14:41 IST)

सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 8 मई को

सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 8 मई को - Hearing against Anand Mohan in Supreme Court on May 8
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court)  गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी. कृष्णैया की 1994 में हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन (Anand Mohan) को समय से पहले रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 8 मई को सुनवाई करने पर सोमवार को सहमत हो गया।
 
जान गंवाने वाले जिलाधिकारी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया के वकील द्वारा मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किए जाने पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि वह मामले पर 8 मई को सुनवाई करेगी। बिहार की जेल नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था।
 
जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने अपनी याचिका में दलील दी है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उसके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं जा सकती। उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है कि जब मृत्युदंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती।
 
आनंद मोहन का नाम उन 20 कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने इस हफ्ते की शुरूआत में एक अधिसूचना जारी की थी, क्योंकि वे जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं। बिहार जेल नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किए जाने के बाद आनंद मोहन की सजा घटा दी गई जबकि ड्यूटी पर मौजूद लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पहले पाबंदी थी।
 
उल्लेखनीय है कि तेलंगाना के रहने वाले जी. कृष्णैया की 1994 में एक भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी। तब आनंद मोहन विधायक था और शवयात्रा में शामिल था।(भाषा)
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