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Last Modified: शुक्रवार, 30 अक्टूबर 2020 (00:52 IST)

दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार का नया कानून

दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार का नया कानून - government brought legislation to control air pollution in delhi ncr
नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गहराती समस्या के बीच केंद्र ने अध्यादेश के जरिए नया कानून लागू किया है। इसके तहत विभिन्न अधिकारों से लैस एक निकाय का गठन किया जाएगा और प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 5 साल तक जेल की सजा या एक करोड़ रुपए का जुर्माना या एक साथ दोनों सजा हो सकती है।
 
विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी अध्यादेश के तहत पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) को भंग किया गया है और इसके स्थान पर 20 से ज्यादा सदस्यों वाले एक आयोग का गठन किया है।
 
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने संवाददाताओं से कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए अध्यादेश के जरिए कानून लाना एक महत्वपूर्ण फैसला है और इससे शहर तथा आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण घटाया जाना सुनिश्चित होगा।
 
जावडेकर ने कहा कि यह असरदार और कामयाब होगा। राजधानी में प्रदूषण के लिए जिम्मेदार पड़ोसी क्षेत्रों में प्रदूषण रोकने के लिए यह आयोग बनाया गया है। आयोग अध्यादेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगा। मैं आश्वस्त हूं कि नए कानून से दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण घटाया जाना सुनिश्चित होगा।
 
इसमें कहा गया कि अध्यादेश को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इससे जुड़े क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश 2020 कहा जा सकता है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के उन इलाके तक लागू होगा, जहां वायु प्रदूषण से संबंधित मुद्दे हैं। आयोग का गठन अध्यादेश के जरिए किया गया है जिस पर राष्ट्रपति ने बुधवार को हस्ताक्षर किए।
 
अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली और एनसीआर से जुड़े इलाके, आसपास के क्षेत्र जहां यह लागू होगा उसमें पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तरप्रदेश हैं। आयोग के पास वायु गुणवत्ता, प्रदूषणकारी तत्वों के बहाव के लिए मानक तय करने, कानून का उल्लंघन करने वाले परिसरों का निरीक्षण करने, नियमों का पालन नहीं करने वाले उद्योगों, संयंत्रों को बंद करने का आदेश देने का अधिकार होगा।
 
इसमें कहा गया कि आयोग के किसी भी प्रावधान या नियमों या आदेश या निर्देश का पालन नहीं करना दंडनीय अपराध होगा जिसके लिए 5 साल जेल की सजा या एक करोड़ रुपए जुर्माना या एक साथ दोनों सजा हो सकती है।
 
कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एनसीआर के प्रदूषण से जुड़े मुद्दे पर सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि केंद्र राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के इलाके में वायु गुणवत्ता के प्रबंधन के लिए नया कानून लाएगा। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को अवगत कराया कि वह प्रदूषण रोकने के लिए एक अध्यादेश लाया है और यह लागू हो चुका है।
 
नए कानून के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त निकाय ईपीसीए को भंग कर दिया गया है और उसके द्वारा उठाए गए कदम पर अध्यादेश के संबंधित प्रावधानों के तहत कदम उठाए जाएंगे। ईपीसीए का 1998 में गठन हुआ था। ईपीसीए दो सदस्यीय निकाय था। इसके अध्यक्ष भुरेलाल और सुनीता नारायण सदस्य थीं।
 
आयोग के एक अध्यक्ष भी होंगे। आयोग में दो पूर्णकालिक सदस्य होंगे जो केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव होंगे। इसके अलावा 3 पूर्णकालिक स्वतंत्र तकनीकी सदस्य होंगे जिन्हें वायु प्रदूषण संबंधी वैज्ञानिक जानकारी होगी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के एक तकनीकी सदस्य भी होंगे, तथा इसरो एक तकनीकी सदस्य को नामित करेगा। वायु प्रदूषण रोकने के संबंध में अनुभव रखने वाले एनजीओ के तीन सदस्य भी होंगे। आयोग सहयोगी सदस्यों को भी नियुक्त कर सकता है।
 
आयोग में निगरानी और पहचान, सुरक्षा और प्रवर्तन तथा अनुसंधान और विकास में प्रत्येक से एक-एक के साथ तीन उप कमेटी होंगी। आयोग के अध्यक्ष तीन साल तक या 70 साल उम्र होने तक पद पर रहेंगे।
 
आयोग के पास वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) कानून 1981, और पर्यावरण (संरक्षण) कानून 1986 जैसे मौजूदा कानूनों के तहत निवारण के लिए मामलों का स्वत: संज्ञान लेने, शिकायतों पर सुनवाई, आदेश जारी करने का अधिकार होगा। (भाषा)
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