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Last Modified: शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2022 (19:18 IST)

राज्यसभा में वित्‍तमंत्री ने राहुल पर बोला हमला, 'गरीबी' वाले बयान पर किया यह सवाल...

राज्यसभा में वित्‍तमंत्री ने राहुल पर बोला हमला, 'गरीबी' वाले बयान पर किया यह सवाल... - Finance Minister Nirmala Sitharaman attacked Rahul Gandhi in Rajya Sabha
नई दिल्ली। आम बजट में गरीबों को राहत देने के लिए समुचित व्यवस्था न करने के विपक्ष के आरोपों के बीच वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को आड़े हाथ लिया और प्रश्न किया कि क्या वह उस गरीबी की समस्या का समाधान चाहते हैं, जो उनके मुताबिक एक मानसिक अवस्था है।

बजट 2022-23 पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि यह बजट अर्थव्यवस्था को स्थिरता देने वाला है और इसमें रोजगार सृजन के भी उपाय हैं। राहुल गांधी ने वर्ष 2013 में कहा था कि गरीबी केवल एक मानसिक अवस्था है। इसका पैसे और खाने जैसी चीजों की कमी से कोई लेना-देना नहीं है।

राहुल गांधी का नाम लिए बगैर सीतारमण ने उनके इस बयान का उल्लेख करते हुए कहा, कृपया स्पष्ट कीजिए कि क्या आप इसी गरीबी को दूर करने को मुझसे कह रहे हैं? दिमाग की गरीबी को? शिवसेना की सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने इसका विरोध किया और कहा कि वित्तमंत्री अपने बयान से गरीबों का मजाक उड़ा रही हैं।

इसके जवाब में सीतारमण ने कहा, मैं गरीबों का मजाक नहीं उड़ा रही हूं। जिस व्यक्ति ने गरीब का मजाक उड़ाया था, उसकी पार्टी के साथ आपका गठबंधन है। वित्तमंत्री ने कहा, आप क्या गरीबों की बात करेंगे? आपके (कांग्रेस के) पूर्व अध्यक्ष ने कहा था कि गरीबी का मतलब खाने और पैसों का अभाव नहीं होता है। उन्होंने इसे मानसिक अवस्था करार दिया था। मैंने किसी का नाम नहीं लिया मगर हम सब जानते हैं कि वह कौन हैं।

सीतारमण के इस बयान का विपक्षी सदस्यों ने कड़ा प्रतिकार किया। इस पर वित्तमंत्री ने कहा कि कांग्रेस नेता का बयान अखबारों में छपा था और वह उसी का उल्लेख कर रही हैं। तमिल में एक कहावत का जिक्र करते हुए सीतारमण ने कहा कि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, मगर सदस्य उनका बचाव करने में लग गए हैं।

कांग्रेस पर करारा हमला जारी रखते हुए वित्तमंत्री ने यह दावा भी किया कि आज भी रिमोट कंट्रोल से संचालित होने वाली इस विपक्षी पार्टी का वास्तव में राहु काल चल रहा है जबकि सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी का अमृत काल चल रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस में कोई लोकतंत्र नहीं है, क्योंकि संप्रग सरकार के शासन में राष्ट्रीय नीतियां 10, जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का सरकारी आवास) में बनती थीं और घोषणाएं 7, लोक कल्याण मार्ग (प्रधानमंत्री आवास) से होती थीं।

इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि यह देश वह दिन कभी नहीं भूल सकता जब केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की प्रति को कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव राहुल गांधी ने मीडिया के समक्ष फाड़कर फेंक दिया था। दरअसल, बजट पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के कपिल सिब्बल ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा था कि यह सरकार अमृत काल की बात कर रही है, जबकि देश 2014 से (नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से) राहु काल देख रहा है।

सिब्बल की टिप्पणी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस राहु काल का उल्लेख किया गया वह वास्तविकता में कांग्रेस का चल रहा है। उन्होंने कहा, जब एक प्रधानमंत्री एक कानून लेकर आते हैं और उसे मीडिया के समक्ष फाड़कर फेंक दिया जाता है, वह भी तब, जबकि प्रधानमंत्री कुछ घंटों के बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने वाले थे। वह राहु काल था।

कांग्रेस के आंतरिक मतभेदों का उल्लेख करते हुए सीतारमण ने कहा कि विपक्षी पार्टी में जी-23 का खेमा बन जाना ही उसका राहु काल है। उन्होंने कहा, इसलिए राहु काल तो कांग्रेस का चल रहा है। हमारा तो अमृत काल चल रहा है।

उन्होंने कहा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। यह राहु काल है। कांग्रेस जो ‘राहुल काल’ का सामना कर रही है, वह 44 सीटों पर सिमटकर रह गई है और उससे आगे नहीं बढ़ पा रही है। कांग्रेस के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं', अभियान का जिक्र करते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि राहु काल तो राजस्थान में है जहां आए दिन महिलाओं के साथ अत्याचार हो रहे हैं और वहां की लड़किया लड़ नहीं सक (पा) रही हैं।

विपक्ष की ओर बैठे कांग्रेस नेताओं की तरफ इशारा करते हुए सीतारमण ने कहा कि राहु काल तो उधर है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार आजादी के अमृत काल के लिहाज से कई कदम उठा रही है जबकि इसका अपमान करने के लिए विपक्ष के सदस्य इसे राहु काल कह रहे हैं।

ज्ञात हो कि सरकार ने आजादी के 75 साल से 100 साल तक के सफर को अमृत काल का नाम दिया है। सरकार की नीतियों को रिमोट कंट्रोल से संचालित किए जाने संबंधी कांग्रेस के एक सदस्य के आरोप का जवाब देते हुए वित्तमंत्री ने कहा कि यह टिप्पणी उस पार्टी की तरफ से आई है, जो अभी तक रिमोट कंट्रोल से ही संचालित हो रही है और जिसमें कोई लोकतंत्र नहीं है।

उन्होंने कहा, इतना ही नहीं, उनके शासन में राष्ट्रीय नीतियां 10 जनपथ पर तय होती थीं और सात एलकेएम पर उसकी घोषणा होती थी। क्या वह रिमोट कंट्रोल था या नही? और लोग वह दिन कभी नहीं भूल सकते, जब पार्टी के एक तत्कालीन महासचिव ने सरकार के फैसलों की प्रतियों को जनता के समक्ष, प्रेस के सामने फाड़ दिया था। वह भी तब जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह कुछ ही घंटों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने वाले थे। वह रिमोट कंट्रोल नहीं था तो क्या था?

सीतारमण की टिप्पणियों का विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह कहते हुए विरोध किया कि पूरा विपक्ष वित्तमंत्री के जवाब को गंभीरता से सुन रहा है लेकिन वह सदन को भटकाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, कांग्रेस पार्टी ने क्या किया? कांग्रेस सचिव ने क्या किया? आप बजट पर बोलिए हम सुनेंगे। 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे आ गए।

जो ऊपर गए, उस पर बोलिए। क्रिप्टो करेंसी को स्वीकार किया है कि नहीं, उस पर बोलिए। क्योंकि आज ही रिजर्व बैंक के चेयरमैन (अध्यक्ष) ने कहा है कि अपने रिस्क (जोखिम) पर आप निवेश कर सकते हो। यह सब बोलिए, हम सुनने को तैयार हैं। गंभीरता से जवाब दो तो हम सुनेंगे। यह कॉमेडी टाइप बोलना बंद कीजिए।

इसके जवाब में सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस के सदस्य राजमणि पटेल ने बजट पर चर्चा के दौरान सवाल उठाए थे, इसलिए वह जवाब दे रही हैं। उन्होंने कहा, मैं उन्हीं विषयों पर बोल रही है जिनकी चर्चा इस सदन में की गई है और न कि सदन के बाहर की गई है।

सीतारमण ने राज्यसभा से निर्वाचित होने के कारण जमीनी सच्चाई से दूर रहने के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए याद दिलाया कि मनमोहन सिंह भी राज्यसभा के ही सदस्य थे और वे 10 सालों तक देश के प्रधानमंत्री थे।

उन्होंने कहा, कांग्रेस शासन में भी कई ऐसे राज्यसभा सदस्य थे जिन्हें मंत्री बनाया गया था, तो क्या उनके (विपक्ष) कहने का अर्थ यह तो नहीं है कि उनके मंत्री जमीन से कटे हुए थे। सिर्फ इसलिए क्योंकि वह राज्यसभा से थे। उनके समय तो देश के प्रधानमंत्री इस उच्च सदन से थे। तो क्या वह जमीन से कटे हुए थे? यह कहना चाहते हैं आप। वह इसी सदन के सदस्य थे और 10 साल देश के प्रधानमंत्री रहे।

सीतारमण के जवाब के दौरान कई दफा सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच नोकझोंक और टीका-टिप्पणी भी हुई। उपसभापति हरिवंश ने व्यवधान के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जॉन ब्रिटास को चेतावनी दी और कहा कि उन्होंने यदि फिर व्यवधान पैदा किया तो वह उन्हें सदन से बाहर करने को मजबूर हो जाएंगे।(भाषा)
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