Exclusive Interview: पेगासस और हिंदुत्व के एजेंडे पर मोदी सरकार और संघ प्रमुख पर बिफरे प्रवीण तोगड़िया
पेगासस जासूसी को लेकर संसद के बाद अब सड़क पर भी विपक्ष का संग्राम जारी है। पेगासस लिस्ट में जिन लोगों के फोन की जासूसी करने का नाम सामने आया है उसमें एक नाम विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया का भी है। पेगासस जासूसी मामले में अपना नाम आने पर प्रवीण तोगड़िया वेबदुनिया से खास बातचीत में कहते हैं कि भारत में किसी का फोन योग्य प्रोसेस के तहत टेप किया जा सकता है लेकिन पेगासस फोन ट्रेंपिग नहीं, फोन हैंकिग का मामला है जो कानून के नजरिए से गुनाह है। पेगासस लोगों की निजी जिंदगी में हस्तक्षेप करने का हथियार है। चूंकि पेगासस सरकार ही खरीदती है तो क्या भारत सरकार ने इसे खरीदा है वह यह साफ करें और इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।
हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता के तौर पर पहचान रखने वाले प्रवीण तोगड़िया बातचीत में मोदी सरकार पर बिफरते हुए कहते हैं कि खतरा देश में पाकिस्तान के एजेंटो से है,पकिस्तानी एजेंटों की जासूसी करते तो पुलवामा नहीं होता। आज पाकिस्तानी एजेंटो को छोड़कर देशभक्तों की जासूसी हो रही है। बातचीत में वह मोदी सरकार पर तंज कसते हुए कहते हैं कि वर्षों तक जिन्हें हमारा चेहरा इतना प्यारा था और अब सत्ता में आने के बाद हमारा चेहरा प्यारा नहीं लेकिन हमारी पुरानी आवाज प्यारी है इसलिए वह छुप-छुपकर देशभक्ति की आवाजें सुनते होंगे।
संघ प्रमुख पर साधा निशाना- आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के हिंदू मुसलमान वाले बयान पर निशाना साधते हुए प्रवीण तोगड़िया कहते हैं कि 95 साल तक आरएसएस ने लोगों को जो तीन बातें सिखाई वह है कि भारत हिंदू राष्ट्र है, हिंदू राष्ट्रीय है और मुसलमान राष्ट्रीय नहीं है, वहीं अब संघ प्रमुख मोहन भागवत सिखा रहे है कि हिंदू-मुस्लिम के डीनए एक है और दोनों एक दूसरे के विरोधी नहीं, यह दोनों बातें एक दूसरे के विरोधी है।
मोहन भागवत की बातों का सीधा अर्थ यह हुआ कि सत्ता में आने के लिए संघ ने 95 साल तक को हिंदुओं को मूर्ख बनाया या अभी जो सिखा रहे है वह अगर सच है तो 95 साल तक झूठ सिखाया। संघ प्रमुख पर हमलावर होते हुए कहते हैं कि उन्होंने अब जो रास्ता ले लिया है वह डॉक्टर हेडगेवार का हिंदू राष्ट्र बनाने का नहीं बल्कि औरंगजेब और मोहम्मद अली जिन्ना का मुस्लिम बहुल्य दारुल इस्लाम बनाने का रास्ता है। उन्होंने रास्ता बदला नहीं है बल्कि उल्टा रास्ता ले लिया है, जैसे हिमालय से गंगा नहीं निकल रही है बल्कि गंगासागर से गंगा निकलकर हिमालय की ओर जा रही है।