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Last Updated : गुरुवार, 11 अप्रैल 2024 (15:27 IST)

दिल्ली हाईकोर्ट ने दी व्यवस्था, एसईसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नगर निकाय चुनाव लड़ने पर रोक नहीं

भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ लोग स्वयं हैं

दिल्ली हाईकोर्ट ने दी व्यवस्था, एसईसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के नगर निकाय चुनाव लड़ने पर रोक नहीं - Delhi High Court's decision regarding recognized political parties
Delhi High Court's decision: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने कहा है कि संविधान के तहत उन राजनीतिक (political) दलों पर नगर निकाय चुनाव लड़ने पर कोई रोक नहीं है जिन्हें राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने मान्यता दी है। अदालत ने यह भी कहा कि नगर निकाय चुनावों के लिए एसईसी द्वारा राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्हों का आवंटन उचित है और यह मनमाना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ लोग स्वयं हैं।
 
याचिका में की गई थी यह मांग : अदालत ने उस याचिका को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी जिसमें एसईसी को चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सूची में वे चुनाव चिह्न डालने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, जो राजनीतिक दलों के लिए आरक्षित हैं। याचिका में एसईसी को आरक्षित चुनाव चिह्नों के बिना दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का चुनाव कराने का निर्देश देने की भी अपील की गई है।

 
अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के आलोक में एसईसी द्वारा राजनीतिक दलों को नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए दी गई मान्यता उसके अधिकार क्षेत्र में है, न कि इससे बाहर है। नगर निकाय चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों पर अनुच्छेद 243 जेडए या अनुच्छेद 243 आर के तहत कोई रोक नहीं है।
 
भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ लोग स्वयं हैं : कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ लोग स्वयं हैं, जो प्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से अपना प्रतिनिधि चुनते हैं। पीठ ने कहा कि जब भारत का पहला आम चुनाव हुआ तो मतदाताओं में बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे, जो निरक्षर थे और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के नाम नहीं पढ़ सकते थे इसलिए विचार-विमर्श के बाद और विभिन्न विकल्पों पर गौर करने के बाद चुनाव चिह्नों के उपयोग की एक प्रणाली बनाई गई।

 
मतदाताओं को अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने का हक : पीठ के अनुसार इस प्रणाली के तहत मतदाताओं को अपनी पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में अपने मताधिकार का उपयोग करने में मदद के उद्देश्य से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए प्रतीक चिह्न मतपत्र में अंकित किए गए थे। अदालत ने कहा कि एसईसी ने 2022 के चुनाव चिह्न आदेश में निर्वाचन आयोग द्वारा पहले से ही मान्यता पा चुके राष्ट्रीय और राज्यीय दलों को मान्यता प्रदान की और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को चिह्न आवंटित करने का प्रावधान किया।
 
पीठ ने कहा कि हमारी राय है कि एसईसी द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 जेडए, डीएमसी अधिनियम की धारा 7 और 2012 नियमावली के नियम 15 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी किया गया प्रतीक आदेश 2022 गलत नहीं है।

 
रिकॉर्ड के अनुसार याचिकाकर्ता लोकेश कुमार ने 2022 में ग्रीन पार्क से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में एमसीडी चुनाव लड़ा और हार गए। उन्होंने 2012 एमसीडी नियमावली के कुछ नियमों को चुनौती दी, जो एसईसी को नगर निकाय चुनावों के लिए राष्ट्रीय और राज्य पार्टियों को मान्यता देने और उनके चुनाव चिन्हों के उपयोग की शक्ति प्रदान करते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta
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