महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु या किसी भी राज्य की बात कर लें, इस समय हर राज्य कोरोनावायरस (Coronavirus) के संक्रमण से त्राहि-त्राहि कर रहा है। ऑक्सीजन की कमी, संक्रमित रोगियों की जान बचाने के काम आने वाले रेमडिसिविर इंजेक्शन (Remdesivir Injection) की पर्याप्त मात्रा में अनुपलब्धता, अस्पताल के बाहर बेड का इंतजार करते मरीज और उनके परिजन... ये दृश्य न सिर्फ बीमारों के मर्ज को और बढ़ा रहे हैं, बल्कि स्वस्थ लोगों को भी मानसिक रूप से बीमार कर रहे हैं।
देश में जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं, वह आंकड़ा निश्चित ही डराने वाला है। भले ही हम अब तक कहते रहे हों कि कोरोना से डरें नहीं, लेकिन अब आंकड़ों को देखते हुए कह सकते हैं कि काश! हम कोरोना से डरे होते तो आंकड़ा यहां तक नहीं पहुंचता। देश में हालात और ज्यादा खराब न हों अब इसका सिर्फ और सिर्फ एक ही इलाज है कि देश की ज्यादातर आबादी को टीका लगा दिया जाए। लेकिन, फिलहाल जो टीकाकरण की गति दिख रही है उसे देखते हुए जल्द ही पूरी आबादी तक टीका पहुंचना 'दूर की कौड़ी' ही नजर आ रहा है। देश में इस समय संक्रमितों की संख्या 1.5 करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है, जबकि 19 लाख से ज्यादा एक्टिव केस हैं। अब तक 1 लाख 78 हजार 769 लोगों की मौत हो चुकी है।
मनमोहन के सुझाव और वैक्सीनेशन डिप्लोमैसी : इस संबंध में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि 45 वर्ष से भी कम उम्र के लोगों को भी टीका लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को वैक्सीन कंपनियों को छूट देने के साथ फंड भी उपलब्ध करवाना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि राज्यों को फ्रंटलाइन वर्कर्स की कैटेगरी तय करने दी जाएं। सिंह सरकार से राज्यों टीकों के वितरण का फॉर्मूला भी पूछा है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी 25 साल से ऊपर की आयु के लोगों को टीका लगाने की बात कह चुकी हैं।
मनमोहन सिंह के सवाल इसलिए भी जायज हैं क्योंकि पिछले साल केन्द्र सरकार 'वैक्सीन डिप्लोमैसी' के जरिए सरकार अपनी पीठ ठोंक रही थी। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि आज पूरी दुनिया भारत की तरफ देख रही है। वर्तमान में हालात उलट हैं, हमें वैक्सीन के लिए दूसरों का मुंह देखना पड़ रहा है।
सवाल तो यह भी गलत नहीं है : हाल ही में आम आदमी पार्टी ने भी टीकाकरण अभियान तेज करने के स्थान पर कोविड-19 के टीके विदेशों में भेजने की केन्द्र सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए दावा किया है कि इस दर से देश की पूरी आबादी के टीकाकरण में कम से कम 15 साल का समय लगेगा। आप के मुताबिक टीके की खुराक 84 देशों को निर्यात की गईं। देश में लोगों को लगाए गए टीके से ज्यादा निर्यात किया गया है।
अब तक 12 करोड़ से ज्यादा डोज : देश में इस समय करीब 12 करोड़ 38 लाख 52 हजार 566 डोज वैक्सीन के लगाए जा चुके हैं। इनमें हेल्थ वर्कर्स, फ्रंटलाइन वर्कर्स, 45 से 60 साल की उम्र के लोग तथा 60 साल से ऊपर की उम्र के लोग शामिल हैं। इनमें कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें दोनों डोज लग चुके हैं। कुछ ऐसे लोग भी जिन्हें पहली डोज ही लगी है। इस श्रेणी में ज्यादातर वे लोग हैं जो 45 से ऊपर की आयु के हैं। ऐसे में 138 करोड़ की आबादी वाले देश के हर व्यक्ति तक टीका कब तक और कैसे पहुंचेगा, यह बड़ा सवाल है।
इस बीच, विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि टीका लगवाना संक्रमण नहीं गारंटी नहीं है। अत: सावधानियां पहले की तरह ही बरतनी होंगी। हालांकि टीका लगने के बाद व्यक्ति को कोरोना के घातक परिणाम नहीं झेलने पड़ेंगे। क्योंकि कई डॉक्टर ही ऐसे हैं जो दूसरी डोज लगने के बाद भी संक्रमित हो गए। आपको बता दें कि इस समय देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 करोड़ 60 लाख 61 हजार से ज्यादा हो चुकी है, जबकि मरने वालों का आंकड़ा 1 करोड़ 78 लाख 769 हो गए हैं।