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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : सोमवार, 19 अप्रैल 2021 (15:24 IST)

हे जनप्रतिनिधि! कोरोनाकाल में मदद के सहारे चेहरा चमकाने की सियासत बंद करें

हे जनप्रतिनिधि! कोरोनाकाल में मदद के सहारे चेहरा चमकाने की सियासत बंद करें - Help in corona and politics on it
देश में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है। कोरोना की दूसरी लहर लोगों पर कहर बनकर टूटी है। हर नए दिन के साथ कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ों में होता इजाफा डरा देने वाला है। महज एक सप्ताह में कोरोना मरीजों की संख्या में दस लाख से अधिक इजाफा महामारी के भयावहता को बता रहा है। मरीजों की संख्या में महाविस्फोट ने बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकारों की कलाई खोलकर रख दी है। 
 
अस्पतालों से लेकर श्मशान तक तक सिस्टम ढह चुका है। अस्पतालों में बेड से लेकर दवाईयों तक का संकट है। इलाज के अभाव में लोग मर रहे है लेकिन लोगों की मदद के नाम पर जनतप्रतिनिधि अब तक केवल इंवेट की राजनीति करते हुए दिखाई दे रहे है। क्रेडिट लेने की होड़ इस बात की ओर साफ इशारा कि जनप्रतिनिधियों को जनता की चिंता से ज्यादा अपनी इमेज की टेंशन है। हमारे नेता आपदा में अवसर के मूलमंत्र को आत्मसात करते हुए चेहरा चमकाने का कोई भी मौका नहीं चूक रहे है।
 
महामारी के महासंकट में चेहरा चमकाने के लिए मंत्री से लेकर विधायक किस कदर आतुर और व्याकुल है इसकी बानगी इंदौर में दिखाई दी। भले ही अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से लोग मर रहे हो लेकिन मंत्री,विधायक और सांसद मरीजों की दी जाने वाली ऑक्सीजन से अपनी ‘सियासी ऑक्सीजन’ लेने से  नहीं चूके और न ही कोई कोर कसर छोड़ी। 
बेशर्मी के साथ ऑक्सीजन के बहाने अपनी इमेज चमकाने के लिए ‘उत्सव’ और ‘समारोह’ मना रहे है। जिस ऑक्सीजन के लिए मेडिकल कॉलेज में एक दिन में कई लोगों की सांसें उखड़ रही हैं,हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि उस ऑक्सीजन से भरे ट्रैंकर को अस्पतालों में भेजने की जगह गुब्बारों से साज सज्जा कर पूजा पाठ कर रहे थे। भले ही पूजा के लिए जितनी देर ऑक्सीजन का ट्रक खड़ा रहा हो उतने में कितनी सांसें अस्पतालों में ऑक्सीजन के लिए तरसती रहीं होंगी।
 
महामारी के महासंकट के जरिए नेता अपनी भविष्य की राजनीति को भी साज-संवार रहे है। कोरोना के इलाज में ‘संजीवनी’ साबित होने वाला रेमडिसिवीर इंजेक्शन की तलाश में भले ही आम आदमी दर-दर भटक रहा हो लेकिन राजनेता अपने पोस्टर और बैनर के जरिए खुलकर ऐलान और दावा कर रहे है कि रेमडिसिवीर इंजेक्शन का ‘खजाना’ उनके पास मौजूद है। 

मदद के नाम पर बड़े पोस्टर और सोशल मीडिया पर मैसेज को वायरल कर आखिरी जनप्रतिनिधि दिखाना क्या चाह रहे है। इसे सियासतदारों का इंवेट प्रेम और प्रचार की भूख नहीं तो और क्या कहेंगे कि जनप्रतिनिधि सेवा के नाम पर चुनाव में जिस नारे के साथ वोट मांगते है अब वक्त आने पर उस सेवा को प्रचारित करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे है। शर्म है जनप्रतिनिधियों की ऐसी मानसिकता पर जो मदद के नाम पर चेहरा चमकाने की राजनीति कर रहे है।