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Last Updated : शुक्रवार, 29 अप्रैल 2022 (16:44 IST)

कांग्रेस ने उठाया सवाल, बिजली संकट को लेकर सरकार मौन क्यों?

कांग्रेस ने उठाया सवाल, बिजली संकट को लेकर सरकार मौन क्यों? - Congress's question to the government regarding the power crisis
नई दिल्ली। कांग्रेस ने देश के कई राज्यों में बिजली की कटौती को लेकर शुक्रवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मौन रहने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि आने वाले दिनों में बिजली की मांग और बढ़ने की स्थिति से निपटने के लिए उसकी क्या योजना है? मुख्य विपक्षी पार्टी ने यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार कोयले की कमी के लिए भी राज्यों पर जिम्मेदारी डाल रही है।

 
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि आग बरसाती गर्मी... 12 घंटे के बिजली कट... प्रधानमंत्री मौन, बिजली-कोयला मंत्री गुम! जबाब दें कि देश में 72,074 मेगावॉट क्षमता के संयंत्र बंद क्यों हैं? देश के 173 बिजली संयंत्रों में से 106 संयंत्रों में कोयला 25 प्रतिशत तक ही बचा है? कोयले की मांग रोज़ 22 लाख टन है, तो आपूर्ति 16 लाख टन ही क्यों है?

 
पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि देश के 16 राज्यों में 10 घंटे तक की बिजली की कटौती की जा रही है। इनमें 12 राज्य भाजपा शासित हैं। आज स्थिति यह है कि देश के 72,074 मेगावॉट क्षमता के संयंत्र बंद पड़े हैं, क्योंकि उनमें कोयला नहीं है। देश में कोयला है, लेकिन मोदी कोयला बिजली उत्पादन संयंत्रों तक नहीं पहुंचा सके।
 
उन्होंने कहा कि सुबह के 11 बजे बिजली की मांग थी 16,035 मेगावॉट, लेकिन आपूर्ति हो रही है 2,304 मेगावॉट। केंद्र सरकार हर चीज के लिए राज्यों की जिम्मेदारी बता देती है। जब सब राज्यों की जिम्मेदारी है तो आपकी क्या जिम्मेदारी क्या है? वल्लभ ने सवाल किया कि 72,074 मेगावॉट के संयंत्र बंद क्यों हैं? 173 बिजली संयंत्रों में से 106 संयंत्रों में क्षमता का सिर्फ 25 प्रतिशत कोयला क्यों बचा है? जब कोयले की मांग रोजाना 22 लाख टन है तो आपूर्ति 16 लाख टन क्यों की जा रही है?
 
उन्होंने यह भी पूछा कि मई में 2.2 लाख मेगावॉट बिजली की मांग होगी, इसकी आपूर्ति के लिए सरकार की क्या योजना है? गौरतलब है कि अखिल भारतीय स्तर पर बिजली की मांग या 1 दिन में सबसे अधिक आपूर्ति गुरुवार को 204.65 गीगावॉट के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। देश के ज्यादातर हिस्सों में पारा चढ़ने के साथ बिजली की मांग बढ़ी है।