चन्द्रयान-2 : इसरो के इतिहास में पहली बार मिशन की कमान दो महिला वैज्ञानिकों के हाथ
श्रीहरिकोटा। चंद्रयान-2 सोमवार को यहां स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से शान के साथ रवाना हो गया। इसे ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर रॉकेट GSLVMkIII-M1 के जरिए अपराह्न 2 बजकर 43 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। चन्द्रयान-2 की कमान दो महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं।
इसरो के इतिहास में यह पहली बार होगा जब किसी अंतरिक्ष मिशन की कमान दो महिला वैज्ञानिकों के हाथों में होगी। इसमें वनिता मुथैया चन्द्रयान-2 मिशन में प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं। दूसरी वैज्ञानिक रितु करिढाल मिशन डायरेक्टर के रूप में इस मिशन पर काम कर रही हैं।
इसरो के मुताबिक चंद्रयान-2 को संभव करने वाले स्टाफ में 30 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। भारत का यह मिशन सफल हो जाता है तो चंद्रयान-2 दुनिया का पहला ऐसा मिशन बन जाएगा, जो चन्द्रमा की दक्षिणी सतह पर उतरेगा। यह वह अंधियारा हिस्सा है, जहां अब तक दुनिया का कोई देश नहीं पहुंचा है।
वनिता मुथैया : इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर और डाटा विश्लेषण विशेषज्ञ हैं। चन्द्रयान-2 का मुख्य उद्देश्य पानी, विभिन्न धातुओं और खनिजों सहित चन्द्रमा की सतह के तापमान, विकिरण, भूकंप आदि का डेटा इकट्ठा करना है। ऐसे में वनिता का कार्य मिशन से जुटाए डाटा का विश्लेषण रहेगा। वनिता चंद्रयान-1 के लिए भी यह काम कर चुकी हैं। वे भारत के रिमोट सेन्सिंग उपग्रहों की व्यवस्था भी संभालती रही हैं। उन्हें चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट की शुरुआत से ही खास जिम्मेदारी सौंपी गई है। वनिता मुथैया को 2006 में सर्वोत्तम महिला वैज्ञानिक पुरस्कार भी मिल चुका है।
रितु करिढाल : वे एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। 1997 में वे इसरो से जुड़ीं। वे डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में माहिर हैं और उन्होंने उपग्रह संचार पर कई रिचर्स पेपर लिखे हैं। भारत की 'रॉकेट वुमेन' के नाम से लोकप्रिय रितु इससे पहले मार्स मिशन या मंगलयान की भी डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर रह चुकी हैं। रितु को 2007 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से इसरो की युवा वैज्ञानिक का अवॉर्ड मिला था।