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Last Updated : सोमवार, 22 जुलाई 2019 (11:43 IST)

फिर इतिहास रचेगा भारत, 2.43 मिनट पर होगी चन्द्रयान-2 की लांचिंग, ISRO ने किए 4 बड़े बदलाव

फिर इतिहास रचेगा भारत, 2.43 मिनट पर होगी चन्द्रयान-2 की लांचिंग, ISRO ने किए 4 बड़े बदलाव - Chandrayaan-2 second launch will be successful : Isro chairman
चेन्नई। कुछ ही घंटों बाद यानी 2.43 मिनट पर भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में इतिहास रचने जा रहा है। अगर चन्द्रयान-2 मिशन सफल होता है तो चन्द्रमा की सतह पर एक बार फिर तिरंगा लहराता दिखाई देगा। देशभर को इसका इंतजार है। 2008 में भारत ने चन्द्रयान-1 मिशन लांच किया था। इसका प्रक्षेपण 14 जुलाई को होना था, लेकिन कुछ तकनीकी खराबी के चलते 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे रोक दिया गया। GSLV मार्क III-M1,चंद्रयान-2 के लॉन्च व्हीकल की रिहर्सल पूरी कर ली गई है। इस बार चन्द्रयान- 2 के मिशन के लिए 4 बड़े बदलाव किए हैं- 
 
- ISRO ने चंद्रयान-2 की यात्रा के दिन 6 दिन कम कर दिए हैं। इसे 54 दिन से घटाकर 48 दिन कर दिया गया है। देरी के बाद भी चंद्रयान-2 6 सितंबर को चांद के साउथ पोल पर लैड करेगा।
 
- ISRO ने चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर में बदलाव किया है। एपोजी में 60.4 किमी का अंतर आ गया है।
 
- ISRO ने पृथ्वी के ऑर्बिट में जाने का समय करीब एक मिनट बढ़ा दिया है।
 
- चंद्रयान-2 की वेलोसिटी में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है।
इसरो का सबसे मुश्किल मिशन : इसे इसरो का सबसे मुश्किल मिशन माना जा रहा है। जब रोवर समेत यान का लैंड चांद की सतह पर उतरेगा। यह वक्त भारतीय वै‍ज्ञानिकों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं हैं। 
 
इसरो प्रमुख डॉ. के सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 के पहले प्रयास में जो भी तकनीकी कमियां सामने आई थीं, उन्हें ठीक कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी जरूरी कदम उठाए गए हैं। लीकेज के कारण पहली बार लॉन्चिंग टलने के बाद हमने इस बार सतर्कता बरती है। तैयारियों को पूरा करने में एक दिन से ज्यादा का समय लगा है। मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इस बार ऐसी कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं होगी। चंद्रयान-2 आने वाले दिनों में 15 महत्वपूर्ण मिशन पर काम करेगा।

मिशन का मुख्य उद्देश्य : इसरो Chandrayaan-2 लैंडर-विक्रम और रोवर-प्र ज्ञान को दो क्रेटर्स, Manzinus C और Simpelius N के बीच एक ऊंचे मैदान में लगभग 70 डिग्री दक्षिण में अक्षांश पर ले जाने का प्रयास करेगा। यह पहला स्पेस मिशन है जो चंद्रमा के साउथ पोलर रीजन में सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। घरेलू तकनीक के साथ चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करने वाला भारत का यह पहला अभियान है। इतना ही नहीं, घरेलू तकनीक के साथ चांद के क्षेत्र का पता लगाने वाला भी यह पहला भारतीय मिशन है।