मोदी सरकार ने 10 साल में मुकदमों पर 400 करोड़ से ज्यादा खर्च किए
Budget session of Parliament : सरकार ने पिछले 10 वर्ष के दौरान अदालतों में मुकदमे लड़ने पर 400 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में मुकदमेबाजी पर केंद्र सरकार का 66 करोड़ रुपए का खर्च उससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9 करोड़ रुपए से अधिक था। सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि वह एक राष्ट्रीय वाद नीति पर काम कर रही है जिसमें लंबित मामलों के समाधान में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा। प्रस्तावित नीति का मसौदा अंतिम निर्णय के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। इस नीति का मसौदा कई वर्षों से तैयार किया जा रहा है।
एक आधिकारिक आंकड़े में यह बात सामने आई। वित्त वर्ष 2023-24 में मुकदमेबाजी पर केंद्र सरकार का 66 करोड़ रुपए का खर्च उससे पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9 करोड़ रुपए से अधिक था। संसद के बजट सत्र में सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कुछ आंकड़े साझा किए जिनके अनुसार, 2014-15 से मुकदमेबाजी पर खर्च राशि में वृद्धि हुई है। इनमें केवल दो वित्त वर्ष अपवाद रहे जब कोविड महामारी अपने चरम पर थी।
जवाब के अनुसार 2014-15 में मुकदमेबाजी पर लागत 26.64 करोड़ रुपए आई, जबकि 2015-16 में यह खर्च 37.43 करोड़ रुपए रहा। 2014-15 और 2023-24 के बीच सरकार ने मुकदमों पर 409 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए। विधि मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा में एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अदालतों में लंबित करीब सात लाख मामलों में सरकार पक्षकार है और वित्त मंत्रालय अकेले करीब 1.9 लाख मामलों में एक वादी है।
सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में बताया था कि वह एक राष्ट्रीय वाद नीति पर काम कर रही है जिसमें लंबित मामलों के समाधान में तेजी लाने का प्रयास किया जाएगा। प्रस्तावित नीति का मसौदा अंतिम निर्णय के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। इस नीति का मसौदा कई वर्षों से तैयार किया जा रहा है तथा विभिन्न सरकारें इसकी रूपरेखा पर विचार-विमर्श करती रही हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour