मंगलवार, 19 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Captain Amarinder Singh Resignation Punjab Congress CM
Written By
Last Modified: शनिवार, 18 सितम्बर 2021 (17:36 IST)

1965 की जंग में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने वाले कैप्टन अमरिंदर आखिर नवजोत सिद्धू से खा गए शिकस्त

1965 की जंग में पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने वाले कैप्टन अमरिंदर आखिर नवजोत सिद्धू से खा गए शिकस्त - Captain Amarinder Singh Resignation Punjab Congress CM
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सिंह पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस पार्टी में चल रही उठापटक से परेशान थे। हालांकि इस्तीफे के बाद उन्होंने बागी तेवर दिखाते हुए स्पष्ट शब्दों में कह दिया कि पार्टी जिसको चाहे मुख्‍यमंत्री बनाए, लेकिन वे उसे स्वीकार नहीं करेंगे। अपनी भावी रणनीति के संदर्भ में उन्होंने कहा कि मेरे पास सभी रास्ते खुले हैं।
सिंह का जन्म 11 मार्च 1942 को तत्कालीन पटियाला रियासत के शाही परिवार में हुआ था। वे महाराजा यादविंदर सिंह के पुत्र हैं। उनकी शुरुआती शिक्षा कसौली के वैलहैम बॉयज़ स्कूल, स्नावर स्कूल और दून स्कूल में हुई। उनके परिवार में पत्नी परनीत कौर, पुत्र रनिंदर सिंह और पुत्री जय इंदर कौर हैं।
1965 में लड़ी थी पाकिस्तान के खिलाफ जंग : परनीत कौर वर्ष 2009 से 2014 तक केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री रहीं। श्रीमती कौर और सिमरनजीत सिंह मान की पत्नी सगी बहनें हैं। कैप्टन अमरिंदर की बहन हेमिंदर कौर का विवाह पूर्व विदेश मंत्री नटवरसिंह के साथ हुआ था। कैप्टन सिंह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी में जाने के बाद वे वर्ष 1963 में सेना में भर्ती हुए थे, लेकिन वर्ष 1965 में इस्तीफा दे दिया। वर्ष 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध छिड़ने पर वे पुन: सेना में भर्ती हो गए तथा कैप्टन के रूप में सिख रेजीमेंट में युद्ध में भाग लिया।
1980 में शिअद में शामिल हुए : इसके बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए तथा वर्ष 1980 में लोकसभा के लिए चुने गए, लेकिन अमृतसर में स्वर्ण मंदिर पर सैन्य कार्रवाई 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' होने पर उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाद में वे शिरोमणि अकाली दल (शिअद) में शामिल हो गए तथा तलवंडी साबो हलके से चुनाव जीतकर विधायक बने तथा कृषि एवं पंचायत मंत्री रहे।
      
2002 में बने पंजाब के मुख्‍यमंत्री : वर्ष 1992 में उन्होंने शिअद भी छोड़ दिया और अलग से शिरोमणि अकाली दल (पंथिक) का गठन किया, लेकिन वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी शिकस्त तथा स्वयं भी पटियाला से चुनाव हारने पर उन्होंने पार्टी का 1998 में कांग्रेस में विलय कर दिया। वह वर्ष 1999 से 2002 तथा 2010 से 2013 तक पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा वर्ष 2002 से 2007 तक राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। 
अरुण जेटली को दी थी करारी शिकस्त : वर्ष 2014 के आम चुनावों में कैप्टन सिंह ने अमृतसर लोकसभा सीट से अरुण जेटली को एक लाख से अधिक मतों से पराजित किया था। उन्होंने पटियाला से तीन बार, समाना और तलवंडी साबो से एक-एक बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया।
2017 में कांग्रेस को दिलाई थी शानदार जीत : वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र उन्हें पुन: प्रदेश पार्टी की कमान सौंपी गई तथा उनके नेतृत्व में कांग्रेस ने गत 11 मार्च को आए विधानसभा चुनाव नतीजों में 77 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की तथा 16 मार्च को उन्हें राज्य के 26वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। कैप्टन सिंह एक अच्छे लेखक भी हैं, जिन्होंने अंग्रेजी में दो किताबें लिखी हैं। उनकी लिखी किताबों के नाम क्रमश: 'द लास्ट सनसेट' और 'द राइज एंड फॉल ऑफ द लाहौर दरबार' हैं।
ये भी पढ़ें
Punjab Congress Crisis : कैप्टन बोले- CM के रूप में मंजूर नहीं सिद्धू, पार्टी के लिए है बड़ी मुसीबत