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Last Modified: नई दिल्ली , गुरुवार, 2 जनवरी 2020 (19:58 IST)

CAA पर विवाद के बीच मुनव्वर राणा ने किया फैज की रचना का बचाव

CAA पर विवाद के बीच मुनव्वर राणा ने किया फैज की रचना का बचाव - CAA : munawwar rana reaction on Faiz poem
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर जारी विरोध और समर्थन के बीच अब शायर फैज अहमद फैज की रचना 'हम देखेंगे' भी निशाने पर आ गई है। हालांकि भारत के मशहूर शायर मुनव्वर राणा समेत अन्य शायर भी फैज के समर्थन में आ गए हैं। 
 
राणा ने एक टीवी चैनल पर चर्चा के दौरान कहा कि फैज की रचना में 'नाम अल्लाह का' को हिन्दू धर्म के खिलाफ नहीं देखना चाहिए। यह सिर्फ मुहावरा है, जुमला है। यह ठीक वैसा ही जैसा 'राम नाम सत्य है' होता है। यह गाली नहीं है, इसे कोई भी कह सकता है। 
 
बुत शब्द पर स्पष्टीकरण देते हुए मुनफ्फर ने कहा कि बुत का अर्थ खामोश रहने से भी है। किसी भी बात का दूसरा अर्थ निकालना आसान है, लेकिन असली अर्थ क्या है यह तो शायर के पेट में होत है। दरअसल, सच बोलने से कभी कोई बुरा मान जाता है तो कभी कोई और बुरा मान जाता है। 
 
उन्होंने परोक्ष रूप से सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मॉब लिंचिंग देखें, गरीबी पर नहीं बोलें, महंगाई, गरीबी, कत्लेआम पर नहीं बोलें, इन्हें बुत कहा जाता है। उन्होंने अपने ट्‍विटर अकाउंट पर शेर भी साजा किया- किसी का क़द बढ़ा देना किसी के क़द को कम करना, हमें आता नहीं ना मोहतरम को मोहतरम कहना। चलो चलते हैं मिलजुल कर वतन पर जान देते हैं, बहुत आसान है कमरे में वंदे मातरम कहना।
 
इतना ही नहीं सीएबी पर बवाल के बीच राणा ने एक और शेयर अपने ट्‍विटर हैंडल पर साझा किया था- मरना ही मुकद्दर है तो फिर लड़ के मरेंगे, खामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा। इस शेर को भी लोग सरकार की आलोचना से जोड़कर देख रहे हैं। 
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