किसान आंदोलन पर ब्रिटिश संसद में चर्चा पर भारत ने ब्रिटेन के उच्चायुक्त को तलब कर दी कड़ी नसीहत
नई दिल्ली। भारत के कृषि सुधारों पर ब्रिटिश संसद में अवांछित एवं एक विशेष विचार का समर्थन करने वाली चर्चा कराए जाने को लेकर विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को यहां ब्रिटेन के उच्चायुक्त को तलब किया और अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने ब्रिटेन के उच्चायुक्त से कहा कि भारत के कृषि सुधारों पर ब्रिटिश संसद में चर्चा कराया जाना दूसरे लोकतांत्रिक देश की राजनीति में दखलअंदाजी है।
मंत्रालय ने कहा कि विदेश सचिव ने उच्चायुक्त को यह हिदायत भी दी कि ब्रिटिश सांसदों को विशेष रूप से अन्य लोकतांत्रिक देश से जुड़े घटनाक्रमों पर वोट बैंक की राजनीति करने से बचना चाहिए।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विदेश सचिव ने ब्रिटिश उच्चायुक्त को तलब किया और भारत के कृषि सुधारों पर ब्रिटिश संसद में अवांछित एवं एक विशेष विचार का समर्थन करने वाली चर्चा को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया।
भारत में कृषि सुधारों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग किए जाने और दिल्ली के बाहरी इलाकों में प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने पर पत्रकारों को निशाना बनाए जाने के मुद्दों पर ब्रिटेन के कई सांसदों ने ब्रिटिश संसद में सोमवार को चर्चा की। इसके एक दिन बाद भारत ने इसे लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
बयान में कहा गया है कि विदेश सचिव ने स्पष्ट कर दिया कि यह दूसरे लोकतांत्रिक देश की राजनीति में पूरी तरह से दखलअंदाजी है। वहीं, लंदन में भारतीय उच्चायोग ने भी इसकी निंदा करते हुए कहा कि इस एक तरफा चर्चा में झूठे दावे किए गए हैं।
भारतीय उच्चायोग ने ब्रिटिश मीडिया सहित विदेशी मीडिया के भारत में चल रहे किसानों के प्रदर्शन का खुद साक्षी बन खबरें देने का जिक्र किया और कहा कि इसलिए भारत में प्रेस की स्वतंत्रता में कमी पर कोई सवाल नहीं उठता।
उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि बेहद अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे किए गए... इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक और उसके संस्थानों पर सवाल खड़े किए हैं। यह चर्चा एक लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर वाली ई-याचिका पर की गई।
चर्चा का जवाब देने के लिए ब्रिटेन सरकार की ओर से नियुक्त किए गए विदेश, राष्ट्रमंडल एवं विकास कार्यालय (एफसीडीओ) मंत्री नीगेल एडम्स ने कहा कि ब्रिटेन-भारत के बीच करीबी संबंध भारत के साथ कठिन मुद्दों को उठाने में कहीं से भी बाधक नहीं बनेगा। यहां तक कि उन्होंने सरकार की यह बात दोहराई कि कृषि सुधार भारत का घरेलू (आंतरिक) मुद्दा है। (भाषा)