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Last Modified: गुरुवार, 27 अक्टूबर 2022 (15:29 IST)

मुफ्त घोषणाओं को लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग को दिया यह सुझाव...

मुफ्त घोषणाओं को लेकर भाजपा ने चुनाव आयोग को दिया यह सुझाव... - BJP gave this suggestion to the Election Commission regarding free announcements
नई दिल्ली। मुफ्त चुनावी सौगातों और कल्याणकारी नीतियों के बीच फर्क स्पष्ट करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने निर्वाचन आयोग को भेजे अपने जवाब में सुझाव दिया है कि राजनीतिक दलों को लोगों की निर्भरता बढ़ाने के बजाय मतदाताओं को सशक्त बनाने और उनकी क्षमता निर्माण पर जोर देना चाहिए।

पार्टी के एक नेता ने गुरुवार को यह जानकारी दी। ज्ञात हो कि मुफ्त चुनावी सौगातों को लेकर निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों के समक्ष आदर्श चुनाव संहिता में संशोधन का एक प्रस्ताव रखा है। आयोग ने इसके तहत चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी देने को लेकर राजनीतिक दलों की राय मांगी थी।

आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को लिखे गए एक पत्र में उनसे 19 अक्टूबर तक उनके विचार साझा करने को कहा था। भाजपा ने अपने जवाब में कहा कि मुफ्त चुनावी सौगात मतदाताओं को लुभाने के लिए होती हैं जबकि कल्याणवाद एक नीति है जिससे मतदाताओं का समावेशी विकास किया जाता है।

समझा जाता है कि पार्टी को आयोग के इस विचार पर कोई आपत्ति नहीं है कि राजनीतिक दलों को अपने चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता भी सौंपनी चाहिए। चुनाव आयोग को भेजे गए जवाब का मसौदा तैयार करने वाले नेताओं में शुमार एक नेता ने बताया, भाजपा ने सुझाव दिया है कि राजनीतिक दलों का जोर मतदाताओं को सशक्त करने, उनकी क्षमता विकसित करने और उन्हें देश की मानव पूंजी बढ़ाने के लिए कौशल प्रदान करने पर होना चाहिए।

उन्होंने कहा, भाजपा मानती है कि राजनीतिक दलों को लोगों के सशक्तीकरण और उनके संपूर्ण विकास के लिए क्षमता वृद्धि करने पर ज्यादा जोर देना चाहिए। पार्टी के इस वरिष्ठ नेता ने कहा कि लोगों को मकान और मुफ्त राशन देने का अलग उद्देश्य है जबकि बिजली मुफ्त देना अलग बात है।

उन्होंने कहा कि मकान बुनियादी जरूरत है और यह एक बार सहायता देने वाली मदद की श्रेणी में आता है और मुफ्त राशन की योजना तो कोविड महामारी के समय समाज के कमजोर वर्ग के लोगों की मदद के लिए शुरु की गई थी।

भाजपा नेता ने कहा कि दोनों ही योजनाएं कल्याणकारी योजनाओं की श्रेणी में आती हैं और मुफ्त बिजली की योजना से इसकी तुलना नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि रेवड़ी संस्कृति को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भावनाओं के अनुरूप ही भाजपा ने निर्वाचन आयोग को अपना जवाब भेजा है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र की भाजपा नीत सरकार कई महत्वाकांक्षी योजनाओं के जरिए गरीबों को मुफ्त आवास और राशन दे रही है। दिल्ली और पंजाब की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार दोनों ही राज्यों में मुफ्त बिजली दे रही है। रेवड़ी संस्कृति को लेकर प्रधानमंत्री की टिप्पणी के बाद इस मुद्दे पर भाजपा और आप के नेताओं में जुबानी जंग भी चल रही है।

निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र में कहा था कि वह चुनावी वादों पर अपर्याप्त सूचना और वित्तीय स्थिति पर अवांछित प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है, क्योंकि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे। मुफ्त सौगात दिए जाने के मुद्दे को उच्चतम न्यायालय ने भी महत्वपूर्ण माना है और इस पर बहस किए जाने की वकालत की है।(भाषा)
Edited by : Chetan Gour
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