नहीं मान रहा बांग्लादेश, कब तक चुप रहेंगे सरकार, जरूरी है पलटवार
Anti India campaign in Bangladesh: बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद वहां एक तरह से भारत विरोधी अभियान भी शुरू हो गया है। वहां हर कोई भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। हिन्दू समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले, भारतीय सामान का बहिष्कार और उसे जलाना, बांग्लादेश की सीमा से लगे भारतीय राज्यों में अलगाववादी तत्वों को समर्थन की बात करना, विवादित नक्शा जारी कर असम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल को अपना हिस्सा बताना, बांग्लादेशियों ये हरकतें किसी संगीन अपराध से कम नहीं है।
इतना ही नहीं 'कृतघ्न' बांग्लादेशियों ने हमारे प्रधानमंत्री की पोस्ट पर आपत्ति जता दी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 दिसंबर विजय दिवस के उपलक्ष्य में लिखा था- आज विजय दिवस पर हम उन वीर सैनिकों के साहस और बलिदान को नमन करते हैं, जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया। उनके निस्वार्थ समर्पण और अटूट संकल्प ने हमारे देश की रक्षा की और हमें गौरव दिलाया। उनके असाधारण बलिदान को श्रद्धांजलि। उनका बलिदान सदैव पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा तथा हमारे राष्ट्र के इतिहास में गहराई से अंकित रहेगा।
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प्रधानमंत्री की इस पोस्ट से बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेता नाराज हो गए। यूनुस सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर पीएम मोदी की पोस्ट के विरोध में लिखा कि मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं। 16 दिसंबर, 1971 बांग्लादेश का विजय दिवस है। भारत इस जीत में एक सहयोगी मात्रा था। इससे ज्यादा कुछ नहीं। इन अहसान फरामोशों को शायद इस बात का इल्म नहीं कि इस जंग में भारत के करीब 1400 सैनिक शहीद हुए थे। नजरूल की यह टिप्पणी हमारे शहीद सैनिकों का अपमान है और प्रधानमंत्री मोदी का भी अपमान है।
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हालात यहां तक पहुंच गए : शेख हसीना के शासनकाल में भारत विरोधी गतिविधियों को पूरी तरह हतोत्साहित किया जाता था, लेकिन अब तो अंतरिम सरकार के नेता ही भारत को गरियाने में लगे हैं। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार महफूज आलम ने विजय दिवस पर फेसबुक पर एक विवादित नक्शा साझा किया, जिसमें भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम को बांग्लादेश का हिस्सा दिखाया गया। हालांकि बाद में उसने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी। इसी तरह ढाका यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन प्रोफेसर शहिदुज्जमां ने बांग्लादेश की सीमा से लगे भारतीय राज्यों में अगवाववाद को बढ़ाने की वकालत की।
बांग्लादेश किस हद तक जा सकता है, इन बयानों से समझा जा सकता है। विदेश सचिव स्तर पर अपना पक्ष रखना ही काफी नहीं होगा। हमें बांग्लादेश को बताना होगा कि हम बांग्लादेश बना सकते हैं तो उसे सबक भी सिखा सकते हैं। हम द्वापर युग में नहीं रह रहे, जो 'शिशुपाल' की 100 गालियों का इंतजार करें। अब चीजें बर्दाश्त से बाहर हो गई हैं। हमें बांग्लादेशियों की हरकतों का जवाब देना ही होगा। अन्यथा भारत के खिलाफ वहां जहर बढ़ता ही रहेगा।