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Last Modified: ढाका , मंगलवार, 17 दिसंबर 2024 (18:12 IST)

Vijay Diwas : विजय दिवस पर PM मोदी ने याद दिलाया तो बांग्लादेश को क्यों लगी मिर्ची

Vijay Diwas : विजय दिवस पर PM मोदी ने याद दिलाया तो बांग्लादेश को क्यों लगी मिर्ची - bangladesh criticizes pm Narendra modi post on vijay diwas says india was only an ally in that victory
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक पोस्ट से बांग्लादेश को जबर्दस्त मिर्ची लगी है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरुल ने विजय दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सोशल मीडिया पर किए गए ‘पोस्ट’ की निंदा करते हुए कहा है कि इस जीत में ‘भारत केवल एक सहयोगी था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’ नजरुल की टिप्पणी को मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने भी सोशल मीडिया पर शेयर किया।
 
पाकिस्तानी सेना ने किया था आत्मसमर्पण 
विजय दिवस 16 दिसंबर 1971 में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किए जाने की याद में मनाया जाता है। भारत की ऐतिहासिक जीत के कारण बांग्लादेश अस्तित्व में आया था। नजरुल की टिप्पणी को मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के कार्यालय ने भी सोशल मीडिया पर साझा किया।
मोदी ने 1971 की ऐतिहासिक जीत में भारतीय सैनिकों के योगदान के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए सोशल मीडिया मंच पर एक ‘पोस्ट’ साझा की थी। नजरुल ने उस ‘पोस्ट’ का ‘स्क्रीनशॉट’ संलग्न करते हुए सोमवार को बंगाली में फेसबुक पर लिखा, ‘‘मैं इसका कड़ा विरोध करता हूं। 16 दिसंबर, 1971 बांग्लादेश का विजय दिवस है। भारत इस जीत में केवल एक सहयोगी था, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’’
 
‘द डेली स्टार’ अखबार ने मंगलवार को बताया कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने नजरुल की ‘पोस्ट’ को साझा किया। इस बीच, भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के संयोजक हसनत अब्दुल्ला ने भी मोदी के ‘पोस्ट’ की आलोचना की।
 
उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि यह बांग्लादेश का मुक्ति संग्राम था और यह पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश की आजादी के लिए था। उन्होंने कहा कि मोदी ने दावा किया कि यह पूरी तरह से भारत का युद्ध था एवं उसकी उपलब्धि थी और उनके कथन में बांग्लादेश के अस्तित्व की अनदेखी की गई।
 
उन्होंने कहा कि जब भारत इस स्वतंत्रता को अपनी उपलब्धि बताता है तो मैं इसे हमारी स्वतंत्रता, संप्रभुता और एकता के लिए खतरे के रूप में देखता हूं। हमारे लिए भारत द्वारा पैदा किए इस खतरे के खिलाफ लड़ना जरूरी है। हमें यह लड़ाई जारी रखनी होगी।’’
 
मोदी ने सोमवार को ‘एक्स’ पर लिखा था कि आज, विजय दिवस पर हम उन बहादुर सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान करते हैं जिन्होंने 1971 में भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया।’’ उन्होंने कहा कि उनके निस्वार्थ समर्पण और अटूट संकल्प ने देश की रक्षा की।
 
उन्होंने कहा कि यह दिन उनकी असाधारण वीरता और उनकी अडिग भावना को श्रद्धांजलि है। उनका बलिदान हमेशा पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और हमारे देश के इतिहास में गहराई से अंतर्निहित रहेगा।’’
 
बंगबधु शेख का नहीं किया जिक्र
यूनुस ने बांग्लादेश को 1971 में मिली आजादी के 54 साल पूरे होने के अवसर पर सोमवार को कहा था कि यह विजय दिवस और अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इस साल ‘‘दुनिया की सबसे खराब निरंकुश सरकार’’ सत्ता से बाहर हो गई। यूनुस ने विजय दिवस के मौके पर दिए भाषण में बांग्लादेश के संस्थापक नेता बंगबंधु शेख मुजीब-उर-रहमान का भी जिक्र नहीं किया।
 
मुजीब-उर-रहमान की बेटी एवं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को उनकी अवामी लीग सरकार के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन के बाद पांच अगस्त को सत्ता छोड़नी पड़ी थी। विजय दिवस पर राष्ट्र के नाम यूनुस के संबोधन में भारत की भूमिका का भी कोई उल्लेख नहीं किया गया।
विजय दिवस के रूप में मनाता है भारत 
भारत 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाता है। 1971 में इसी तारीख को 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत कई भारतीय नेताओं ने सोमवार को 1971 के युद्ध के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की थी। इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma
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