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Written By सुरेश एस डुग्गर
Last Updated : शुक्रवार, 13 मई 2022 (18:26 IST)

राहुल की हत्या के बाद 350 कर्मचारियों का इस्तीफा, परिवार में इकलौते कमाने वाले थे भट्‍ट

राहुल की हत्या के बाद 350 कर्मचारियों का इस्तीफा, परिवार में इकलौते कमाने वाले थे भट्‍ट - After the murder of Rahul, 350 employees resigned, Bhatt was the only earner in the family
जम्मू। एक बड़े घटनाक्रम में उन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने सामूहिक तौर पर अपनी नौकरियों से त्यागपत्र दे दिया है, जिन्हें आल पीएम पैकेज के तहत कश्मीर में सरकारी नौकरियां दी गई थीं। सामूहिक त्यागपत्र की प्रतिलिपि उपराज्यपाल, पीएमओ तथा गृह मंत्रालय को भी भेजी गई हैं।
 
दरअसल राहुल भट्ट की हत्या को लेकर कश्मीरी पंडितों में भारी आक्रोश है। इस कारण 350 सरकारी कर्मचारियों ने शुक्रवार को हत्या के विरोध में इस्तीफा दे दिया। सभी ने अपना इस्तीफा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को भेज दिया है। इनका कहना है कि आतंकवादियों द्वारा सरकारी कर्मचारी राहुल भट्ट की हत्या के बाद वे घाटी में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। 
 
राहुल ने मांगा था ट्रांसफर : इस मामले पर राहुल भट्ट की पत्नी मीनाक्षी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि चडूरा में राहुल असुरक्षित महसूस कर रहे थे। वह दो साल से स्थानीय प्रशासन से हेडक्वाटर भेजने की अपील कर रहे थे। मीनाक्षी ने बताया कि जब कश्मीर में दो टीचर्स की हत्या हुई थी, तब भी राहुल ने सुरक्षा की बात कहकर ट्रांसफर मांगा था, लेकिन उनका ट्रांसफर नहीं किया गया।
 
परिवार में इकलौते कमाने वाले : मूल रूप से बडगाम के संग्रामपोरा गांव के रहने वाले राहुल अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। शेखपोरा के निवासियों ने कहा कि उनके पिता एक सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी हैं और उनकी पत्नी एक गृहिणी हैं। उन्हें प्रवासी कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत 2010 में राजस्व विभाग में नियुक्त किया गया था।
 
शेखपोरा के एक निवासी ने कहा कि वे ज्यादातर समय बडगाम में तैनात रहे और लगभग दो साल से चडूरा में थे। राहुल बडगाम के शेखपोरा में रहते थे, जहां सरकार ने अल्पसंख्यक समुदाय के लिए हाउसिंग कालोनी बनाई है। भट्ट की पत्नी दक्षिण कश्मीर की रहने वाली हैं। उनके माता-पिता संग्रामपोरा से चले गए थे और सरकार द्वारा भट्ट की नियुक्ति के बाद ही वे लौटे थे।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद 5 अगस्त 2019 से अल्पसंख्यक हिंदुओं तथा गैर कश्मीरियों पर हमले की घटनाएं बढ़ गई हैं। लगभग तीन साल में आतंकियों ने कम से कम 14 गैर मुस्लिमों, गैर कश्मीरियों तथा कश्मीरी पंडितों की हत्या कर दी है। इनमें प्रमुख कारोबारी, सरपंच तथा बीडीसी सदस्य शामिल हैं।
 
जिन कश्मीरी पंडितों की हत्या इस अवधि में की गई है, उनमें शोपियां जिले के चित्रागाम में दवा कारोबारी सोनू कुमार, कश्मीरी पंडित दवा कारोबारी एमएल बिंदरू तथा कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता भी शामिल हैं। एक अन्य कर्मचारी की भी इस अवधि में हत्या कर दी गई।
 
फारूक अब्दुल्ला ने की निंदा : राहुल भट की हत्या की सर्वत्र निंदा हो रही है। नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष और सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मैं राहुल भट्ट पर हुए कायरतापूर्ण हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करता हूं। ऐसी नृशंस और जघन्य हरकतों का एकमात्र मकसद कश्मीर का माहौल खराब करना है। जबकि नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि टारगेट किलिंग जारी हैं। उन्होंने कहा कि मैं राहुल भट्ट पर हुए जानलेवा आतंकवादी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करता हूं।
 
कश्मीर में हालात सामान्य नहीं : इसी तरह से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि हत्या कश्मीर में सामान्य स्थिति के झूठे दावों को खारिज करती है। उन्होंने कहा कि उस वीभत्स कृत्य की निंदा करें, जहां एक कश्मीरी पंडित लड़के राहुल भट्‍ट की चडूरा में हत्या कर दी गई थी। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदना शोक संतप्त परिवार के साथ है।
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