10 साल बाद फिर भाजपा की ताकत बनेगा 'गुजरात मॉडल', मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में होगा लागू!
10 साल पहले जिस गुजरात मॉडल को देश की जनता के सामने रखकर भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र की सत्ता में काबिज होने की ओर अपने कदम बढाए थे, अब 10 साल बाद गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड विजय के बाद जीत का 'गुजरात मॉडल' चर्चा में है। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में जिस फार्मूले के साथ अब तक की अपनी बड़ी सबसे बड़ी जीत हासिल की है अब उसको वह अन्य राज्यों में भी लागू कर सकती है। यानि भाजपा जीत के 'गुजरात मॉडल' को आने वाले समय में अन्य राज्यों में लागू कर सकती है।
गुजरात मॉडल का अर्थ है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा, हिंदुत्व का एजेंडा और एंटी इनकंबेंसी फैक्टर की काट के लिए बड़े बदलाव। भाजपा मध्य प्रदेश सहित अगले साल होने राज्यों के विधानसभा चुनाव में 'गुजरात मॉडल' के आधार पर चुनाव लड़ सकती है।
मोदी ही चुनाव में चेहरा-गुजरात में मोदी के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरी भाजपा ने जिस तरह से प्रचंड जीत हासिल की है वह बताता है कि आज मोदी की लोकप्रियता अपने चरम पर है। भाजपा अगले साल मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में गुजरात मॉडल को अपनाकर मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ सकती है। मध्यप्रदेश जैसे राज्य जहां भाजपा सत्ता में काबिज है वहां भाजपा ने उज्जैन के महाकाल लोक के लोकार्पण कार्यक्रम से इसका शंखनाद भी कर दिया है। वहीं पिछले दिनों ग्वालियर में एक सभा को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि पीएम मोदी पर भरोसा कर अगले चुनाव में भाजपा को ही जिताना है।
वहीं मध्यप्रदेश में भाजपा संगठन और सरकार पूरी ताकत के साथ मोदी के चेहरे की ब्रॉडिंग पर फोकस कर रही है। विधानसभा चुनाव से पहले लोगों तक मोदी सरकार की योजनाओं को पहुंचाने के लिए प्रदेश भाजपा सरकार प्रदेश में बड़ा अभियान चलाने के साथ मोदी सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को जनता तक पहुंचाने और उसके जनता से उसके फीडबैक लेने का काम कर रही है।
एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर की काट के लिए बड़े बदलाव- गुजरात में मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने 27 साल की एंटी इंकमबेंसी की काट के लिए चुनाव से ठीक एक साल पहले प्रदेश में भाजपा सरकार के पूरे चेहरे को ही बदल दिया था। भाजपा हाईकमान गुजरात में मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल के सभी चेहरों को बदल दिया था और उसका फायदा यह हुआ कि चुनाव में भाजपा 27 साल की एंटी इनकंबेंसी फैक्टर की काट ढूंढने में सफल रही, वहीं हिमाचल जैसे राज्य जहां भाजपा को मामूली अंतर से चुनाव हारना पड़ा वहां एंटी इंकमबेंसी फैक्टर के चलते भाजपा के 11 में से 9 मंत्री चुनाव हार गए।
ऐसे में अब भाजपा आने वाले समय जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है वहां गुजरात मॉडल को अपना सकती है। गुजरात के बाद मध्यप्रदेश जो भाजपा का दूसरे सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है और जहां भाजपा सत्ता में काबिज है, वहां चुनाव से पहले भाजपा बड़े बदलाव कर सकती है। राज्य में भाजपा के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी फैक्टर की काट के लिए आने वाले समय में सरकार से लेकर संगठन तक बड़े बदलाव देखे जा सकते है। सरकार में शामिल ऐसे चेहरों से जो पिछले कई दशक से मंत्री पदों पर काबिज है उनको बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। वहीं चुनाव में भाजपा आधे से अधिक सीटिंग विधायकों के टिकट काट सकती हैद
हिंदुत्व से एंटी इंकम्बेंसी की काट!- गुजरात में भाजपा ने एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर की काट के लिए हिंदुत्व के मुद्दों को खूब जोर-शोर से उछाला और इसका असर भी दिखाई दिया और चुनाव नतीजें उसके पक्ष में रहे। मध्यप्रदेश जैसे राज्य जो अब विधानसभा चनाव के लिए चुनावी मोड में है, वहां भाजपा हिंदुत्व के एजेंडे पर खुलकर सियासी बैंटिग कर रही है। उज्जैन में महाकाल लोक के भव्य लोकार्पण कार्यक्रम के जरिए भाजपा ने हिंदुत्व के एजेंडे का सियासी शंखनाद कर दिया है। श्री महाकाल लोक के जरिए भाजपा ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व के एजेंडे को नई धार दे दी है। हिंदुत्व का एजेंडा जो 2014 बाद भाजपा की जीत की गारंटी बन गया है,मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ मौजूदा एंटी इंकमबेंसी की धार को कुंद करने का काम करेगी।
डबल इंजन सरकार पर फोकस-गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डबल इंजन सरकार के मॉडल को सामने रखकर वोट की अपील की। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा हिंदुत्व और नरेंद्र मोदी के चेहरे के साथ डबल इंजन वाली सरकार पर खासा फोकस करेगी। पिछले दिनों जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार की तारीफ की है उससे भाजपा की चुनावी रणनीति एकदम साफ हो गई है।
2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा वोटरों को डबल इंजन वाली सरकार के माध्यम से सीधा संदेश देने की रणनीति पर काम कर रही है। केंद्र की योजनाओं को राज्य सरकार के द्धारा बेहतर क्रियान्वयन के साथ उनको आगे बढ़ाकर वोटरों को सीधा कनेक्ट करने की कोशिश में जुटी है।