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Last Updated : रविवार, 26 नवंबर 2023 (08:45 IST)

26/11 के 15 साल : जांबाज जवानों को सलाम, 3 दिन में आतंकियों से लिया 150 से ज्यादा मौतों का हिसाब

26/11 के 15 साल : जांबाज जवानों को सलाम, 3 दिन में आतंकियों से लिया 150 से ज्यादा मौतों का हिसाब - 15 years of 26/11 Mumbai terror attack
26/11 Mumbai terror attack : 15 साल पहले 26 नवंबर को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में घुसे लश्कर के 10 आतंकियों ने जमकर तबाही मचाई। पाकिस्तान प्रायोजित इस आतंकवादी हमले में 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
 
इस हमले में हमारे कई जांबाज सिपाही आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। संयुक्त पुलिस कमिश्नर हेमंत करकरे, सहायक पुलिस कमिश्नर अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालसकर, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, हवलदार गजेन्द्रसिंह, एएसआई तुकाराम ओंबले समेत कई जांबाजों ने कुर्बानियां दी थीं। जवानों ने 60 घंटे तक चली मुठभेड़ में 9 आतंकियों को मार गिराया और 1 को जिंदा पकड़ लिया। 
 
कैसे हुआ था मुंबई हमला : 26 नवंबर को कराची से नाव में 10 लश्कर आतंकी मुंबई आए। ये हमलावर कोलाबा के पास कफ परेड के मछली बाजार पर उतरे और 4 समूहों में बंट गए। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे, विले पारले, ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल और नरीमन हाउस में इन्होंने जमकर कत्लेआम मचाया।
 
29 नवंबर की सुबह तक हमारे जांबाज सुरक्षाकर्मियों ने सभी आतंकियों को मार गिराया था, साथ ही अजमल कसाब नामक एक आतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया था। 2012 में उसे फांसी की सजा दी गई। जब भी 26 नवंबर आता है, हमारे घाव एक बार फिर हरे हो जाते थे। 
 
आतंकियों से मात्र 10 फुट दूर था यह शख्स : आतंकवादियों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में 52 लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद कामा और अल्बलेस अस्पताल का रुख किया था। यहां ड्यूटी पर तैनात चौकीदार कैलाश घेगडमल आज भी वे पल याद करके सिहर उठते हैं जब आतंकवादी कसाब और उसके साथी ने उनसे महज 10 फुट की दूरी से दूसरे साथी गार्ड को गोलियों से छलनी कर दिया था। कैलाश घबराकर एक पेड़ के पीछे छुप गए और बमुश्किल 10 फुट की दूरी से उन्होंने इंसानी जिंदगियों को मौत बांट रहे कसाब को देखा।
 
बाद में कैलाश हिम्मत दिखाते हुए पुलिस टीम को छठी मंजिल तक ले गए, जहां उनकी आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई। इसमें 2 पुलिसकर्मी मारे गए और वह एवं आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते घायल हो गए।
 
खाना छोड़कर चल पड़े देशवासियों की रक्षा के लिए : मुंबई हमले में हेमंत करकरे ने बहादुरी से मुकाबला कर लोगों की जान बचाई थी। 12 दिसंबर 1954 को जन्मे करकरे 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। वे महाराष्ट्र एटीएस के प्रमुख थे। हेमंत करकरे रात में अपने घर पर उस वक्त खाना खा रहे थे जब उनके पास आतंकी हमले को लेकर क्राइम ब्रांच ऑफिस से फोन आया। हेमंत करकरे तुरंत घर से निकले और एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ मोर्चा संभाला। कामा हॉस्पिटल के बाहर चली मुठभेड़ में आतंकी अजमल कसाब और इस्माइल खान की अंधाधुंध गोलियों से हेमंत करकरे शहीद हो गए। मरणोपरांत उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
 
आतंकियों से किया डटकर सामना : मेजर संदीप उन्नीकृष्णन नेशनल सिक्‍योरिटी गार्ड्स के कमांडो थे। वे 26/11 एनकाउंटर के दौरान मिशन ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे और 51 एसएजी के कमांडर थे। जब वे ताज महल पैलेस और टावर्स होटल पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी आतंकियों से लड़ रहे थे तो एक आतंकी ने पीछे से उन पर हमला किया, जिससे घटनास्थल पर ही वे शहीद हो गए। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया।
 
बिना हथियार कसाब को दबोचा था : मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ही वे जांबाज थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब का बिना किसी हथियार के सामना किया और अंत में उसे दबोच लिया। इस दौरान उन्हें कसाब की बंदूक से कई गोलियां लगीं और वे शहीद हो गए। शहीद तुकाराम ओंबले को उनकी जांबाजी के लिए शांतिकाल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
 
घायल होने के बाद भी किया आतंकियों का सफाया : अशोक काम्टे मुंबई पुलिस में बतौर एसीपी तैनात थे। जिस समय मुंबई पर आतंकी हमला हुआ उस समय अशोक काम्टे एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ थे। कामा हॉस्पिटल के बाहर पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी। एक गोली उनके सिर में आ लगी। लेकिन घायल होने के बाद भी उन्‍होंने दुश्मन को मार गिराया।
Edited by : Nrapendra Gupta  
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