• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. 13 bier raised together after the accident in Indore

राम तेरा नाम इस तरह से कहीं सुनाई न आए तो अच्‍छा है...

accident in Indore
राम का नाम सुनना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन इंदौर के पटेल नगर में शुक्रवार को जिस तरह से ‘राम नाम सत्य’ गूंजा वो आत्मा को झकझोर देने वाली आवाज थी। हे राम! तेरा नाम इस तरह से कहीं सुनाई न आए।

त्योहार के दिनों में घर के आंगन में आमतौर पर रंगोली और दरवाजों पर वंदनवार नजर आते हैं, धूप-बत्ती की खुशबू और तीज त्योहार की गमक नजर आती है। लेकिन इंदौर के पटेल नगर में घुसते ही मौत की गंध ऊपर से नीचे तक घेर लेती है। ये पूरा इलाका दुख और कसक से सराबोर था। जैसे मौत ने लोगों को कतार में चुन लिया हो। एक के बाद दूसरी, फिर तीसरी... हर घर में मातम पसरा था। हर घर में अर्थी सज रही थी।

सड़क पर अगर कोई आवाजाही थी तो वो बस ये थी कि लोग एक शव को एक घर के आंगन से लेकर श्मशान घाट ले जाने के लिए एक जगह पर रख रहे थे। फिर वे दूसरे घर में रखे शव के लिए गली के दूसरे घर में चल जाते हैं और वहां से शव उठाकर शव वाहन के पास रखते हैं। शहर के रीजनल पार्क श्मशान घाट पर पहले से सूचना दे दी गई कि एक साथ 13 शव लाए जाने हैं, इसलिए व्‍यवस्‍था को चाकचौबंद रखा जाए।

संभागायुक्त पवन शर्मा, कलेक्टर टी इल्या राजा और नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल पहले से ही शमशान घाट पहुंच चुके थे, जिससे वे अंतिम क्रिया की व्यवस्था को देखकर मुआयना कर सकें।

Indore Temple Stepwell Collapse इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर के में हुए बावड़ी हादसे में अब तक कुल मौतें तो 36 हुई हैं, लेकिन शुक्रवार को पटेल नगर से एक, दो, तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, दस नहीं, एक साथ 13 शव यात्राएं निकलीं। इन शवों के पीछे- पीछे ‘राम नाम सत्य’ चल रहा था। वही सत्य जो राम नवमी के दिन प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ गया। अब मौतों के इस सत्‍य को आरोप-प्रत्‍यारोप, नोटिस और निलंबन से ढंक दिया जाएगा। लापरवाही का ये सत्‍य उन मरे हुए लोगों की गुम होने वाली राख की तरह गायब हो जाएगा।

लेकिन जो सत्‍य हमने अपनी आंखों से देखा वो ये था कि यहां पटेल नगर के हर घर के आंगन में फूलों और सफ़ेद कफ़न से ढंकी हुई एक अर्थी सजाकर रखी गई थी। हर घर के आंगन में एक उपला जल रहा था, चारों तरफ कंडे के धुएं की लहरें यहां वहां घुमड़ रही थीं।

मैं यहां आया तो इसलिए था कि एक साथ 36 मौतों को लील लेने वाली प्रशासन की खामियों को दर्ज कर सकूंगा, लेकिन इस मोहल्ले की आबो-हवा में पसरा हुआ अकूत दर्द अपनी दोनों आंखों और बाहों में समेटना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन था।

परिजन आंगन में बैठे हुए अस्पताल से अपनों के शवों के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे तो वहीं वहां श्मशान घाट में कलेक्टर और कमिश्नर शवों का इंतजार कर रहे थे कि जब शव श्मशान घाट आएं तो उसका इंतजाम कर सकें। अगर प्रशासन ये इंतजाम बावड़ी को लेकर दी जा रही चेतावनी, शिकायतों और लापरवाही को लेकर कर देता तो आत्मा को झकझोर देने वाला 'राम नाम सत्य' की ये सामूहिक ध्वनि कानों में सुनाई नहीं देती। पूरे मोहल्ले और इस गली में बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं का यह रुदन सुनाई नहीं देता, मृतकों के परिजनों की आंखों से ये अश्रुधारा इस तरह इफरात में ना बहती। अगर ये प्रशासन इतना ही सजग लापरवाही की शिकायत पर हो जाता। लेकिन ये तो अब हो चुका है, जिसे अब अनहोनी ठहराया जाएगा। ईश्‍वर की नियति कहा जाएगा। अब रामनवमी के दूसरे दिन यही प्रार्थना है कि इस शहर की किसी गली, किसी मोहल्‍ले में सामूहिक मौतों के पीछे-पीछे राम नाम सत्‍य है का यह हुजूम से भरा कोरस न ही सुनाई दे तो अच्‍छा होगा। राम तेरा नाम इस तरह से कहीं सुनाई न आए तो अच्‍छा है।
फोटो जर्नलिस्‍ट : धर्मेंद्र सांगले
ये भी पढ़ें
सर्वाइकल का पेन परेशान करता हैं तो रोजाना करें 5 एक्सरसाइज