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Written By Author अरविन्द तिवारी

मुख्यमंत्री शिवराज के मंत्रियों की पीड़ा आई सामने

राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

मुख्यमंत्री शिवराज के मंत्रियों की पीड़ा आई सामने - pain of the ministers of Chief Minister Shivraj
बात यहां से शुरू करते हैं : ऐसे मौके बहुत कम आते हैं, जब मंत्रिमंडल के सदस्य अपने मुखिया यानी मुख्यमंत्री को लेकर सार्वजनिक तौर पर टीका-टिप्पणी करें, लेकिन इन दिनों मध्यप्रदेश में ऐसा ही कुछ हो रहा है। मंत्रिमंडल के एक दर्जन से ज्यादा मंत्री अब खुलकर अपनी पीड़ा बयां करने लगे हैं और इसका सार यह है कि हमारी तो कोई सुन ही नहीं रहा। कई मंत्री ऐसे हैं, जो अपने अपर मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव से परेशान हैं, पर कर कुछ नहीं पा रहे हैं, क्योंकि इन अफसरों पर 'सरकार' का हाथ है। ये अफसर वही करते हैं, जो सरकार कहते हैं। अपने मंत्रियों से मानों इनका कोई वास्ता ही नहीं हो। 
 
दिग्विजय का दांव : गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद कांग्रेसियों की पहली प्रतिक्रिया यह सामने आई कि राजा यानी दिग्विजय सिंह ने दांव खेल लिया, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। नेता प्रतिपक्ष के मामले में कमलनाथ खेमे के वरिष्ठ नेता खुद को छला हुआ महसूस कर रहे हैं। खुलासा यह हुआ है कि कमलनाथ ने केंद्रीय नेतृत्व के सामने नेता प्रतिपक्ष के लिए एकमात्र गोविंद सिंह का नाम ही आगे बढ़ाया था और उसे मंजूरी भी मिल गई। नाथ समर्थक अब कह रहे हैं कि नेता के लिए लड़ाई हम लड़ें और पद दिग्विजय सिंह के समर्थकों को मिलते रहें।
 
ये हैं कमलनाथ के पीके : पीके यानी प्रशांत किशोर भले ही मध्यप्रदेश में कांग्रेस के मुख्य चुनावी रणनीतिकार न बने, लेकिन पीके यानी प्रवीण कक्कड़ तो 2023 के चुनाव में भी कमलनाथ के खास सिपाहासालार की भूमिका में रहेंगे। हां इतना जरूर है कि 2018 के चुनाव से ज्यादा अहम भूमिका में पीके इस बार रहेंगे। पिछली बार वे भोपाल में कांग्रेस के वार रूम के प्रभारी थे और ऐसा कहा जाता है कि इसका पूरा बीड़ा उन्होंने ही उठाया था। इस बार पीके बहुत सक्रिय भूमिका में हैं और पार्टी फंड और मीडिया मैनेजमेंट के सारे सूत्र उनके पास हैं। कमलनाथ के ऑफिस में भी कक्कड़ का साथ देने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। 
 
क्यों चर्चा में हैं वशिष्ठ-पांडे की जोड़ी : मुख्यमंत्री सचिवालय में नीरज वशिष्ठ और मनीष पांडे की जोड़ी बहुत चर्चा में है। मंत्रालय की पांचवीं मंजिल पर तो दोनों का बेहतर तालमेल है ही, राजधानी की सड़कों पर ये दोनों अफसर एमपी-02 पीके-0001 में एक साथ देखे जाते हैं। जिस गाड़ी में ये दोनों अफसर सवार रहते हैं उस पर किसी जमाने में कमलनाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ सवारी करते थे। संघ के पृष्ठभूमि वाले पांडे और मुख्यमंत्री के प्रियपात्र वशिष्ठ मैनेजमेंट के भी मास्टर माने जाते हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ कई अफसर इस जुगल जोड़ी  के नजदीक आने की जुगाड़ में लगे रहते हैं। 
 
अच्छे विधिवेत्ताओं की तलाश : मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के लिए एडवोकेट कोटे से नियुक्त किए जाने वाले जजों के लिए अच्छे विधिवेत्ताओं की तलाश शुरू हो गई है। खुद चीफ जस्टिस रवि कुमार मलिमथ इस प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं। बार और बेंच से जो नाम जजों के लिए सामने आए हैं, उनसे खुद चीफ जस्टिस रूबरू हो रहे हैं। इस बार इंदौर से तकरीबन 8 वकीलों के नाम हाईकोर्ट जज के लिए आगे आए हैं और इन सभी से चीफ जस्टिस रूबरू हो चुके हैं। मुख्य सचिव ने इस बार यह भी किया है कि जो नाम बेंच से आगे बढ़ाए गए हैं, उन पर बार से राय ली और जो नाम बार ने आगे बढ़ाए हैं, उन पर बेंच का अभिमत लिया। 
 
इन कलेक्टर से परेशान हैं मातहत : निवाड़ी और कटनी के कलेक्टरों से इन दिनों उनके मातहत बहुत परेशान हैं। निवाड़ी में तो अब कर्मचारी या अधिकारी कलेक्टर के सामने नोटशीट ले जाने में भी डरने लगे हैं। जब भी कोई नोटशीट उनके सामने रखी जाती है, तो वे उसमें मीनमेख निकालते हुए यह कहने लगते हैं कि क्या ऐसे नोटशीट बनती है। इसके बाद वे जिन शब्दों का उपयोग करते हैं, उसका उल्लेख यहां संभव नहीं है। कुछ ऐसी ही स्थिति कटनी जिले में भी है। वहां भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी इसी मानसिकता से ग्रस्त हैं। इन दोनों अफसरों के निशाने पर सबसे ज्यादा ब्राह्मण कर्मचारी या अधिकारी ही रहते हैं। 
 
चलते-चलते... : यह पता लगाना जरूरी है कि एक जमाने में कैलाश विजयवर्गीय के प्रियपात्र रहे गौरव रणदिवे से विजयवर्गीय इन दिनों इतने नाराज क्यों हैं। वैसे भाजपा की नगर कार्यकारिणी के गठन के बाद सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मैंदोला और आकाश विजयवर्गीय तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता मधु वर्मा नगर अध्यक्ष से खफा हैं। 
 
डॉ. राय को मुश्किल में डाल सकती है मुखरता : आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. आनंद राय की सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ मुखरता एक बार फिर उनके लिए परेशानी का कारण बनती नजर आ रही है। इस बार सरकार की शक्ति कुछ अलग स्वरूप में हो सकती है।
 
पुछल्ला : कांग्रेस में दिग्विजय सिंह के साथ अजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, डॉ. गोविंद सिंह जैसे दिग्गजों के साथ ही मोर्चा संगठनों के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया, रजनीश सिंह, विभा पटेल, अंशुल त्रिपाठी हैं तो कमलनाथ के साथ सज्जनसिंह वर्मा, एनपी प्रजापति, बाला बच्चन, अशोक सिंह और रवि जोशी। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं, बाकी आप समझ लीजिए।
 
 
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