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घर की मुर्गी लेकिन उपचार बराबर

घर की मुर्गी लेकिन उपचार बराबर - Hindi Blog On Home Remedies
घर की मुर्गी दाल बराबर मानी जाती है, लेकिन यह कहावत घरेलू उपचारों के मामले में उबली हुई दाल के बदले दाल-मखनी ही सिद्ध होती है। क्योंकि हम हिंदुस्तानी, घरेलू उपचारों के मामले सिद्धहस्त माने जाते हैं। सि‍र दर्द से लेकर दिल के दर्द तक हमारे पास सब दर्द के घरेलू उपाय मौजूद होते हैं और ये उपाय वो लोग भी बड़े चाव से काम में लाते हैं जो कहते नहीं थकते कि मर्द को दर्द नहीं होता है। घरेलू वस्तुओं से काम निकलवाने का हुनर भारत के हर नर-नारी के पास होता है और यह लैंगिक समानता का एक अनूठा उदाहरण है।
 
गुणी इतिहासकार घरेलू नुस्खों के इजाद के बारे में ज्यादा तो कुछ नहीं बताते, लेकिन एक अनुमान के अनुसार घरेलू नुस्खों की खोज, "भारत एक खोज" के साथ ही प्रारंभ हुई होगी। ज्यादातर इतिहासकार इस बात पर एकमत प्रतीत होते हैं कि वैदिक काल से ही आयुर्वेदिक काल की शुरुवात हुई होगी,  जो "इस काल काल में हम-तुम करे धमाल" गुजरने के बाद भी जारी है। घरेलू नुस्खे दादी मां की कहानियों की तरह ही अपने परिणामों के बारे में अंत तक सस्पेंस बनाए रखते हैं।
 
अगर दैनिक उपयोग में आने वाली चीजों पर नजर और दिमाग के घोड़े दौड़ाएं, तो पता चलता है कि हल्दी का प्रयोग सर्दी खांसी ठीक करने से लेकर विवाह योग बनने तक किया जाता है। नमक का अस्तित्व हमने टूथपेस्ट से लेकर अपने खून तक पहुंचा दिया है ताकि स्वादानुसार नमकहलाली या नमकहरामी की जा सके। देश की मिट्टी से हमारा प्यार भी मुल्तानी मिट्टी के उपयोग द्वारा हमारे चेहरे का कालापन हटाने के आड़े नहीं आता है। "सब मिले हुए" से प्रेरित हो आलू सब सब्जियों में अच्छे से मिक्स हो जाता और जरूरत पड़ने पर आलू का प्रयोग जलने पर भी किया जा सकता है। हालांकि दिलजले इसका प्रयोग करेंगे तो कोई फायदा होने की संभावना नहीं है। अगर ज्यादा आंख सेकने की वजह से आंखों के नीचे काले घेरे पड़ गए हों, तो वहां सर्फ-एक्सेल सी सफेदी लाने के लिए आप आलू के गोल टुकड़ों को काले घेरे के नीचे रखकर काले घेरे से मुक्ति पा सकते हैं। आलू की जगह खीरा ककड़ी का उपयोग ना करें, क्योंकि आपकी आंखे बंद होने से खीरा ककड़ी आपकी आंखों के काले घेरे मिटाने के बजाए आपके संपर्क में आने वाले किसी व्यक्ति की पेट की क्षुधा भी मिटा सकती है। प्याज न केवल नीरस खाने में रस भरता है बल्कि प्याज का रस झड़ते बाल रोकता है और इसका घरेलू उपभोग "लू" से भी बचाता है।
 
घरेलू वस्तुए इंसान का हर उम्र में साथ निभाती हैं। जवानी में जो मेहंदी शादी में हाथो पर रचती है, वही मेहंदी उम्र बीत जाने पर बालों की सफेदी मिटाकर इंसान की तबियत रंगीन बनाए रखती है।
 
हर मर्ज का इलाज हम अपनी मर्जी से करते हैं। अगर किसी बीमारी का कोई घरेलू इलाज हमारे पास उपलब्ध नहीं है, तो मतलब वो बीमारी गैर संवैधानिक है और वो बीमारी सभ्य समाज के लायक नहीं है। घरेलू उपचार अब घर की चार-दीवारी तक सीमित नहीं रह गए हैं, वो रोज वाट्सएप और फेसबुक के जरिए लोगों के मोबाइल में अपनी पैठ बना चुके हैं। सोशल मीडिया पर यह उपचार "फॉरवर्ड" कर करके हम इतने ज्यादा "फॉरवर्ड" हो चुके हैं कि अब बीमारी का आविष्कार होने से पहले ही उपचार की खोज कर लेते हैं, ताकि बीमारी आने पर तुरंत उपचार को "कैश" और "पेश" किया जा सके।
 
अंग्रेजी और एलोपैथिक इलाज के समानांतर घरेलू उपचारों को जिंदा और चलन में रखकर हमने न केवल इन उपचारों की जीजिविषा को दुनिया से सामने साबित किया है बल्कि इनकी उपयोगिता को भी बिना किसी "साइड-इफेक्ट्स" के "इफेक्टिव" बनाए रखा है।
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