कांग्रेस के सात गढ़ जो भाजपा के लिए आज भी हैं अभेद्य...
भोपाल। मध्यप्रदेश की सियासत में लंबे समय तक सरकार में रहने वाली कांग्रेस भले ही पिछले पंद्रह सालों से सत्ता से दूर हो, लेकिन पिछले पंद्रह सालों में कुछ ऐसी सीटें भी रही हैं, जिनको जीतना बीजेपी के लिए अब तक चुनौती ही साबित हुआ है।
कांग्रेस के अभेद्य दुर्ग बने ये किले (सीट) और इनके किलेदार (विधायक) बीजेपी के लिए इस बार भी मुसीबत का सबब बनते नजर आ रहे हैं...
राघौगढ़ : कांग्रेस के अभेद्य किले राघौगढ़ में 41 साल से कांग्रेस का कब्जा है। इस सीट से पहली बार 1977 में दिग्विजयसिंह विधायक बने थे। वर्तमान में इस सीट से दिग्विजय के बेटे जयवर्धनसिंह विधायक हैं जो इस बार फिर कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। बीजेपी ने इस किले में सेंध लगाने की काफी कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
2003 के विधानसभा चुनाव में दिग्विजयसिंह को घेरने के लिए बीजेपी ने शिवराजसिंह चौहान को उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा था, लेकिन शिवराज को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा और सूबे में कांग्रेस की करारी हार के बीच भी दिग्विजय राघौगढ़ से चुनाव जीत गए।
चुरहट : कांग्रेस की इस पारंपरिक सीट से वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष अजयसिंह विधायक हैं। इस सीट पर चालीस साल से कांग्रेस का कब्जा है। बीस साल से विधायक अजयसिंह सातवीं बार विधायक बनने के लिए फिर से चुरहट से चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस ने चुरहट में अब तक कुल 9 बार कब्जा जमाया है। इस बार चुनाव में इस किले में सेंध लगाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज जनआशीर्वाद यात्रा लेकर चुरहट पहुंचे, जिस पर पथराव हो गया था।
लहार : कांग्रेस के इस किले के किलेदार पार्टी के दिग्गज नेता डॉ. गोविंद सिंह हैं। गोविंदसिंह 1990 में जनता दल के टिकट पर पहली बार भिंड जिले की इस सीट से विधायक बने। वहीं 1993 से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनने के बाद लगातार पांच बार विधायक बन विधानसभा पहुंचे। इस बार सिंह सातवीं बार विधायक बनने के लिए चुनावी मैदान में हैं।
पिछोर : कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाली पिछोर विधानसभा सीट पर कांग्रेस का 25 साल से कब्जा है। 1993 से लगातार विधायक चुने जाने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता केपी सिंह छठी बार विधायक बनने के लिए फिर चुनावी मैदान में हैं।
भोपाल उत्तर : बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले भोपाल में भोपाल उत्तर सीट पर 1998 से कांग्रेस का कब्जा है। इस सीट से सूबे के एकमात्र मुस्लिम विधायक आरिफ अकील लगातार चार बार से विधायक चुने जा रहे हैं। अकील पांचवी बार विधायक बनने के लिए फिर से चुनावी मैदान में है। बीजेपी ने इस किले में सेंध लगाने के लिए इस बार इस सीट पर मुख्यमंत्री का रोड शो भी करवाया है।
राजपुर : विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बाला बच्चन चार बार से लगातार इस सीट से विधायक चुने जा रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य इस सीट पर बीजेपी कांग्रेस को लाख कोशिश के बाद भी मात नहीं दे ना रही है। पांचवीं बार विधायक बनने के लिए बाला बच्चन फिर चुनावी मैदान में हैं।
विजयपुर : पच्चीस साल से कांग्रेस के अभेद्य दुर्ग में तब्दील विजयपुर सीट से कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत 1993 से लगातार विधायक चुने जा रहे हैं। सिंधिया समर्थक माने जाने वाले रामनिवास रावत छठी बार विधायक बनने के लिए फिर से चुनावी मैदान में हैं।