इस बार जून में मसूरी-नैनीताल नहीं उत्तराखंड के इन 5 सीक्रेट हिल स्टेशन का मज़ा लीजिए
जब भी गर्मियों में बाहर घूमने की बात आती है नैनीताल, मसूरी पहले याद आते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उत्तराखंड में कई सीक्रेट हिल स्टेशन हैं। इन हिल स्टेशन की खूबसूरत वादियां अभी ज्यादा पर्यटकों को पता नहीं है इसलिए यहां का नैसर्गिक सौंदर्य अभी बरकरार है। आइए जानते हैं उत्तराखंड में सीक्रेट हिल स्टेशन कौन से हैं... जून माह में कर लीजिए प्लान...
पहाड़ी इलाका होने के कारण यहां के ज्यादातर जगहों को हिल स्टेशन ही कहा जाता है। जब भी उत्तराखंड के हिल स्टेशनों की सैर की बात आती है, टूरिस्ट सिर्फ नैनीताल, मसूरी, औली और मुनस्यारी जगहों की सैर करते हैं, जबकि इसके अलावा भी उत्तराखंड में कई ऑफबीट हिल स्टेशन हैं, जिनकी खूबसूरत छटा और ठंडी-ठंडी हरी भरी वादियां टूरिस्ट को सम्मोहित कर देती है।
सबसे पहले ऑफबीट हिल स्टेशन एक सूची तैयार कर लीजिए ...
कानाताल
नेलांग घाटी
काकड़ीघाट
लोहाघाट
द्वाराहट
कानाताल : उत्तराखंड में आप कानाताल की सैर का मजा ले सकते हैं। यह सीक्रेट हिल स्टेशन बेहद सुंदर है। यहां कैंपिंग और ट्रैकिंग का आनंद लिया जा सकता है। इस हिल स्टेशन पर पर्यटकों की काफी कम भीड़भाड़ होती है।
नेलांग घाटी : इसी तरह से आप नेलांग घाटी की सैर कर सकते हैं। उत्तराकाशी में स्थित यह भी बेहद आकर्षक घाटी है। यह घाटी समुद्र तट से 11,000 फीट की ऊंचाई पर है। यहां सालभर बर्फबारी का आनंद लिया जा सकता है। अगर आप बर्फीली वादियां पसंद करते हैं तो इस घाटी का प्लान बना लीजिए।
काकड़ीघाट : उत्तराखंड में ही अल्मोड़ा से थोड़ा आगे काकड़ीघाट है। यहां आप वह वृक्ष देख सकते हैं जहां स्वामी विवेकानंद को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यहां नीम करोली बाबा का आश्रम भी है। दुनियाभर से श्रद्धालु और टूरिस्ट यहां आते हैं। कोसी नदी के तट पर स्थित यह जगह बेहद सुहानी जगह है।
लोहाघाट : ऑफबीट डेस्टिनेशन का एक और प्यारा सा स्थान है लोहाघाट। यहां कई मंदिर और टूरिस्ट प्लेसेस की सैर की जा सकती है। यह हिल स्टेशन बेहद लुभावना है। बाणासुर का किला देखने के साथ कैंपिंग व ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।
द्वाराहट : यह भी अनछुई सी हसीन जगह है। यहां प्रसिद्ध द्रोणागिरी मंदिर है। यह क्षेत्र आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है। प्रकृति के गोद में द्वाराहाट की बसाहट मन मोह लेती है। मान्यता है कि लक्ष्मण जी के लिए हनुमान जी यहीं से संजीवनी सहित पर्वत उठाकर ले गए थे।
यह सूची और भी लंबी हो सकती है जिसे स्थानीय निवासियों की मदद से पूरा किया जा सकता है।