मेरी बच्ची, मैं हूँ साथ
कविता
दीपाली पाटील मैं चाहती हूँ मेरी बच्ची मेरे न होने के बादतुम भूल न जाना वह बंधनजो मैंने महसूस किया है नौ महीनों तक। सिर्फ शरीर से साथ न होगीपर माँ के वात्सल्य की छाया तुमसे कभी भी दूर न होगी। तस्वीरों से माँ को जान न पाओगीवो होती तो कैसे जताती प्यार ये सोचकर तड़प जाओगीतब सिर्फ महसूस करनातुम्हारे नन्हे गालों को छूते माँ के स्नेह भरे हाथ। मेरी प्यारी बच्ची तुम अनदेखी ही सहीपर कभी अनजानी नहीं हो सकती अपनी माँ के लिए, तुम उसके सपनों का हिस्सावो तुम्हारे लिए एक रेशमी याद हवाओं में घुलकर आएगी मुझ तक माँ कहकर पुकारतीतुम्हारी मिश्री सी आवाज। मेरी प्यारी बच्ची मैं हूँ सदा तुम्हारे साथ। (
यह कविता एक 3 साल की बच्ची को देखकर लिखी गई, जिसकी माँ प्रसव के दौरान नहीं रही।)