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कैसे कहूँ कि माँ तेरी याद नहीं आती
बुधवार,मई 12, 2010
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जीवन के
इक्कीस वर्ष बाद, माँ
जानी मैंने
तुम्हारी पीड़ा
जब अपना अंश
अपनी बिटिया
अपनी बाँहों में पाई मैंने।
मेरे रोने पर
तुम छाती से लगा लेती होगी मुझे,
यह तो मुझे ज्ञात नहीं
पर घुटने-कोहनी
जब छिल जाते थे गिरने पर
याद है मुझे ...
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2
माँ, जिसने मुझे जन्म
दिया मेरे लिए
जरूरत बे-जरूरत
मरने को भी तैयार हो
जाएगी
बिना एक पल खोए।
पिता नहीं।
मैं कृति हूँ माँ की ऐसी चित्र-कृति
जिसमें उँड़ेल दिए थे उसने
अपने सारे रंग
सारी साँसें, सारे सपने।
पिता तो बस
ईजल रखकर जा चुका था।
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3
रिश्तों की रवानगी इसमें
ममता की हर बानगी इसमें,
चरणों में इसके सुख स्वर्ग का
नसीब से मिलता है साथ इसका,
ईश्वर भी, जिसके आगे नतमस्तक
इसके आगे फीकी कुदरत की हर नैमत,
आँचल इसका खुशियों की फुलवारी
आनंद भरता इसकी गोद में किलकारी,
अपनों की फिक्र ...
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कई सालों से यह क्रम जारी है। उस वक्त भी जब वह बीमार होती थी और उस वक्त भी जब मैं बीमार होता था। मैं
बदलता रहा, लेकिन माँ कभी नहीं बदली। कितनी ही दफे कहा कि मत उठा करो इतनी सुबह मेरे लिए। मत चावल
पकाया करो इतनी सुबह। कोई जरूरत नहीं है चाय बनाने ...
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5
विडंबना यह है कि आप अपनी सासु माँ को, या फिर किसी लड़की से राखी बँधाई है उसकी माँ को, और अपने घनिष्ठ मित्रों की माँ को मम्मी कहकर बुलाते हैं। ये महिलाएँ तो वास्तव में किसी न किसी की माँ हैं। लेकिन उन महिलाओं को जिनके कोई संतान नहीं है, उन्हें शायद ...
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माँ अपने सारे गमों को भुलाकर, जीवन में आ रही हर परेशानी को अपने से दूर रखकर अपना सारा प्यार-दुलार अपने बच्चे पर उँडेल देती है। अपनी मातृत्व की छाँव उस पर बनाए रखती है। ऐसी माँ के 'आदर' स्वरूप सिर्फ एक दिन 'मदर्स डे' मनाकर कभी भी नहीं किया जा सकता। ...
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7
तेरे दामन में सितारे हैं तो होंगे ऐ फलक
मुझको अपनी माँ की मैली ओढ़नी अच्छी लगी।
लबों के उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती।
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8
धूप घनी तो अम्मा बादल
छाँव ढली तो अम्मा पीपल
गीली आँखें, अम्मा आँचल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
रात की आँखें अम्मा काजल
बीतते दिन का अम्मा पल-पल
जीवन जख्मी, अम्मा संदल
मैं बेकल तो अम्मा बेकल।
बात कड़ी है, अम्मा कोयल
कठिन घड़ी है अम्मा ...
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9
भोर के सूरज की उजास लिए
जीवनभर रोशनी-सी बिखेरती है माँ,
दुःख के कंकर बीनती रहती
सुख थाली में परोसती है माँ,
स्नेह की बौछारों से सींचकर
सहेजती है जीवन का अंकुर
राम क्षा के श्लोकों की शक्ति
आँचल में समेटती है माँ,
अपनी आँख के तारों के ...
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देखो पहाड़ की चोटी पर
बँजारे बादलों ने डेरा डाला है
कुछ बूँदें समेटने के लिए
धरती ने आँचल फैलाया है।
स्नेह भरा एक आँचल
सूना-सा एक गाँव,
बंजर-सी एक धरती
हमारी तकते हैं राह
क्या सताते नहीं तुम्हें
वो मिटटी, आँगन, अश्वत्थ की छाया
अक्सर ...
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मैं चाहती हूँ मेरी बच्ची
मेरे न होने के बाद
तुम भूल न जाना वह बंधन
जो मैंने महसूस किया है
नौ महीनों तक।
सिर्फ शरीर से साथ न होगी
पर माँ के वात्सल्य की छाया
तुमसे कभी भी दूर न होगी।
तस्वीरों से माँ को जान न पाओगी
वो होती तो कैसे जताती ...
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' माँ, तुम भी ना! बहुत सवाल करती हो? मैं और सुमि तुम्हें कितनी बार तो बता चुके हैं। एक बार ठीक से समझ लिया करो ना! पच्चीसों बार पूछ चुकी हो, रामी बुआ के बेटे की शादी का कार्यक्रम। समय पर आपको ले चलेंगे ना!' भुनभुनाता हुआ बेटा बोले जा रहा था, '' अभी ...
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वे धार्मिक हैं पर धर्मांध नहीं। ह्रदय से आस्तिक है पर कर्मकांडी नहीं। यूँ कर्म ही उनकी पूजा है। सतत कार्य करते रहना उनकी जीवन शैली है। वे कहती हैं कार्यांतरण ही विश्राम है। अलग से थमकर आराम फरमाना उनकी आदत नहीं। उम्र के इस पड़ाव पर भी वे लगातार ...
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माँ, इस एक शब्द को सुनने के लिए नारी अपने समस्त अस्तित्व को दाँव पर लगाने को तैयार हो जाती है। नारी अपनी संतान को एक बार जन्म देती है। लेकिन गर्भ की अबोली आहट से लेकर उसके जन्म लेने तक वह कितने ही रूपों में जन्म लेती है। यानी एक शिशु के जन्म के साथ ...
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माँ, माताजी, आई, मम्मी, अम्मा से लेकर मम्मा तक हर माँ एक भीने-भीने रिश्ते का प्रतीक है। मातृ दिवस पर हर बच्चे की यह अहम जिम्मेदारी है कि वह माँ के प्रति अपने प्यार का, अपने सम्मान का और अपनी रेशमी छलछलाती अनुभूतियों का इज़हार करें। वेबदुनिया शामिल ...
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