शुक्रवार, 6 दिसंबर 2024
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Written By राजश्री कासलीवाल

माँ क्या कहती हैं...

माँ क्या कहती हैं... -
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पूरे विश्व की जनन‍ी है माँ। अगर एक नारी ना होती तो शायद भगवान भी सोच में पड़ जाते कि इस दुनिया की रचना कैसे की जाए। भगवान ने नारी को बनाकर और उसे माँ के वात्सल्यपूर्ण शब्द से नवाज कर पूरी दुनिया पर एक बहुत ही बड़ा उपकार किया है।

इस शब्द की अपने आपमें एक बहुत ही खास महिमा है। वह माँ जो पहले एक बेटी, बहन, बीवी, बहू और फिर माँ बनकर अपनी पूरी जीवनभर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती है। उसकी इस महिमा का शब्दों में वर्णन करना बहुत ही मुश्किल है क्योंकि हर चीज का एक महत्व होता है वैसे ही माँ का अपना महत्व है। लेकिन आजकल की इस भागदौड़ और लालची दुनिया में इस शब्द का महत्व कहीं खोकर रह गया है।

आजकल के बच्चे माँ को बड़ी आसानी के साथ वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं। उन्हें इस बात का जरा भी रंज-गम नहीं रहता है कि क्या वे जो कर रहे हैं, वो सही है, यह गलत। लड़ाई-झगड़े हर घर में चलते रहते हैं। दुनिया में ऐसा कोई घर नहीं है जहाँ कुछ भी विवाद न होता हो। लेकिन इन छोटी-छोटी बातों का विस्फोट तो तब होता है जब घर में बेटे की शादी हो जाती है और दूसरे परिवार से आई वह बहू-बेटी इस घर में अपना तालमेल ठीक से नहीं बिठा पाती है।
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ऐसे में नौबत यहाँ तक आ जाती है कि बेटा बीवी से तो कुछ कह नहीं पाता, लेकिन अपनी बूढ़ी और बेसहारा माँ को वृद्धाश्रम का दरवाजा जरूर दिखाता है, उसे वहाँ रोने-मरने के लिए अकेला छोड़ आता है। तब शायद वह इस वाक्य को नजरअंदाज कर जाता है कि 'जैसी करनी वैसी भरनी'।

किसी ने सच ही कहा है इंसान जो कुछ यहाँ इस जीवन में करता है उसका फल उसे यहीं पर भुगतना पड़ता है क्योंकि भगवान हर किसी से इंसाफ लेता ही है। उसके तराजू के दोनों पलड़े बराबरी पर चलते हैं अगर आपने कुछ गल‍‍त किया है तो भुगतने के लिए तैयार रहें। क्योंकि आज जो आप अपनी माँ के साथ कर रहे हैं वही सब एक दिन आपके बच्चे भी आपके साथ जरूर करेंगे।

अगर आज आप माँ के उन सब एहसानों को, उसके उस प्यार-दुलार को भूल कर अपनी थोड़ी-सी खुशी‍ के लिए उसकी सारे जीवन की खुशियों को, उन उम्मीदों को, उन भावनाओं को आप नजरअंदाज कर रहे हैं तो यह आपके जीवन की सबसे बड़ी भूल है जिसे चाहकर भी आप कभी सुधार नहीं पाएँगे।

माँ शब्द की पवित्रता तथा उसके प्रति अपनी जिम्मेदारी को पहचानें। रिश्तों को बेवजह बाँटने वाले इन संबोधनों से दूर ही रहें। और माँ के प्रति अपना सही उत्तरदायित्व निभाकर उसकी झोली खु‍‍शियों से भर दें। तभी आपका मातृत्व‍ दिवस मनाना सही मायने में सही सा‍बित होगा।