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गणेश उत्सव पर दोहे

ganesh utsav 2025 festival
गणपति घर में लाइए, गणपति सुख की खान।
ज्ञान बुद्धि के देव हैं, गणपति विज्ञ विधान।।
 
मोदक लड्डू भोग हो, पूजन अर्चन ध्यान।
रक्त पुष्प अरु दूब से, हो प्रसन्न भगवान।।
 
सूंड बड़ी है ज्ञान की, आंखों में है नेह।
मस्तक चौड़ा भव्य है,सत्य समाहित देह।
 
कर्ण सूप है छानते, सत्य असत्य विवेक।
लंबोदर उदरस्थ है, घृणा द्वेष, अतिरेक।।
 
एक दंत का त्याग भी, देता है संदेश।
साहस बुद्धि विवेक से, मिटते जीवन क्लेश।।
 
मूषक वाहन भव्य है, अहंकार का रूप। 
जिसको वश गणपति करें, महिमा दिव्य अनूप।।
 
जोड़े हर इंसान को गणपति का यह पर्व।
मनवांछित सिद्धि मिले, गणपति सिद्ध अथर्व।।
 
मिट्टी के गणपति बने, इको फ्रेंडली आज।
प्रकृति पुत्र हैं गणपति, करते पूर्ण काज।।
 
शुरू किया था तिलक ने,जन-जन का यह पर्व।
सूत्र एकता में बंधा, भारत मानस सर्व।।
 
लंबोदर करते सदा, विघ्नों का संहार। 
जब गणपति की हो कृपा, हो जीवन उद्धार।।

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