हिन्दी नवगीत : मन वसंत
सुशील कुमार शर्मा | मंगलवार,फ़रवरी 18,2025
सुमन-वृन्त फूले कचनारी प्रणय निवेदित मन मनुहारी। मादल वंशी
अधर धरी है उमड़ विवश मन प्रीत भरी है। शरद भोर की दूब ...
कविता : सखि बसंत में तो आ जाते
सुशील कुमार शर्मा | शुक्रवार,फ़रवरी 14,2025
सखि बसंत में तो आ जाते। विरह जनित मन को समझाते। दूर देश में पिया विराजे, प्रीत मलय क्यों मन में साजे, आर्द्र नयन टक टक ...
प्रेम कविता : मुझे कुछ कहना है
सुशील कुमार शर्मा | बुधवार,फ़रवरी 12,2025
सुनो, तुमसे एक बात कहना है, मुझे यह नहीं कहना कि तुम बहुत सुंदर हो और मुझे तुमसे प्यार है। मुझे प्यार का इज़हार भी नहीं ...
काशी पर कविता: प्रणम्य काशी
सुशील कुमार शर्मा | बुधवार,फ़रवरी 12,2025
मृत्युञ्जय का घोष, परम् शिव की सत्ता से आप्लावित काशी का शुभ्र शिखर काशी भारतीय संस्कृति का प्राचीनतम दूत। सदियों से ...
नवगीत: फूल खिलें जब
सुशील कुमार शर्मा | मंगलवार,फ़रवरी 11,2025
जीवन की बिखरे सिहरे पथ पर, अपनेपन के फूल खिलें जब। उद्विग्न, दु:खी,तिरस्कृत होकर भी। नि:शब्द विवश,सब कुछ खोकर भी। मन ...
love relation पर मार्मिक कविता : रिश्ते
सुशील कुमार शर्मा | शुक्रवार,फ़रवरी 7,2025
poetry on love : जब हम और तुम मिले थे, नहीं था अपेक्षाओं का रिश्ता नहीं था मैं बड़ा तुम छोटे का भाव फिर अपेक्षाओं का ...
हिन्दी में मार्मिक कविता: तुम ऐसी तो न थीं
सुशील कुमार शर्मा | शनिवार,फ़रवरी 1,2025
कविता तुम ऐसी तो न थीं, उत्ताल तरंगित तुम्हारी हंसी लगता था जैसे झरना निर्झर निर्भय बहता हो। शब्दों के सम्प्रेषण इतने ...
हिन्दी कविता : स्मृतियां अनिमेष
सुशील कुमार शर्मा | शुक्रवार,जनवरी 31,2025
सांझ-सवेरे स्तब्ध, अनिमेष, निर्वाक् नाद-मय, प्लावन, शिशु की किलकारी सा। अनाप्त, अद्रवित, अप्रमेय लोच, उल्लसित, लहरिल ...
समावेशी भाषा के रूप में हिन्दी
सुशील कुमार शर्मा | शुक्रवार,जनवरी 10,2025
ऐसा नहीं है कि हिन्दी ने केवल एशियाई या भारतीय भाषाओं को ही प्रभावित किया है; कई अन्य विदेशी भाषाएं भी हैं जो हिन्दी से ...
मजेदार कविता : एक स्कूल
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,जनवरी 9,2025
एक स्कूल बहुत सारे बच्चे, बहुत सारे शिक्षक चीखते चिल्लाते,
पढ़ते पढ़ाते साहब का हुकूम बजाते साहब भिन्नाते, अपने से बड़े ...