नवगीत: घना हो तमस चाहे
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,मार्च 20,2025
अब घना हो तमस चाहे, आंधियां कितनी चलें। हो निराशा दीर्घ तमसा, या कंटकाकीर्ण पथ हो। हो नियति अब क्रुद्ध मुझसे, या व्यथा ...
होली : फगुनिया गीत
सुशील कुमार शर्मा | गुरुवार,मार्च 13,2025
फागुन लिखे कपोल पर, प्रेम फगुनिया गीत
दहके फूल पलाश के, कहां गए मन मीत।
कहां गए मन मीत, फगुनिया हवा सुरीली।
भौरों की ...
नारी पर कविता : मेरी भूमिका
सुशील कुमार शर्मा | मंगलवार,मार्च 11,2025
सृष्टि के प्रथम सोपान से आज के अविरल विकास महान तक। मेरी भूमिका का संदर्भ अहो!प्रश्न चिन्ह कितना दुःखद। सनातन संस्कृति ...
वसंत ऋतु पर कविता: नव अनुबंध
सुशील कुमार शर्मा | सोमवार,मार्च 10,2025
नव पृष्ठों पर लिखे जा रहे जीवन के नव अनुबंध, गदराया वासंती टेसू
सेमल पर है, चढ़ी जवानी नेह प्रेम उल्लास भरी है मन वसंत ...
हिन्दी नवगीत : मन वसंत
सुशील कुमार शर्मा | मंगलवार,फ़रवरी 18,2025
सुमन-वृन्त फूले कचनारी प्रणय निवेदित मन मनुहारी। मादल वंशी
अधर धरी है उमड़ विवश मन प्रीत भरी है। शरद भोर की दूब ...
कविता : सखि बसंत में तो आ जाते
सुशील कुमार शर्मा | शुक्रवार,फ़रवरी 14,2025
सखि बसंत में तो आ जाते। विरह जनित मन को समझाते। दूर देश में पिया विराजे, प्रीत मलय क्यों मन में साजे, आर्द्र नयन टक टक ...
प्रेम कविता : मुझे कुछ कहना है
सुशील कुमार शर्मा | बुधवार,फ़रवरी 12,2025
सुनो, तुमसे एक बात कहना है, मुझे यह नहीं कहना कि तुम बहुत सुंदर हो और मुझे तुमसे प्यार है। मुझे प्यार का इज़हार भी नहीं ...
काशी पर कविता: प्रणम्य काशी
सुशील कुमार शर्मा | बुधवार,फ़रवरी 12,2025
मृत्युञ्जय का घोष, परम् शिव की सत्ता से आप्लावित काशी का शुभ्र शिखर काशी भारतीय संस्कृति का प्राचीनतम दूत। सदियों से ...
नवगीत: फूल खिलें जब
सुशील कुमार शर्मा | मंगलवार,फ़रवरी 11,2025
जीवन की बिखरे सिहरे पथ पर, अपनेपन के फूल खिलें जब। उद्विग्न, दु:खी,तिरस्कृत होकर भी। नि:शब्द विवश,सब कुछ खोकर भी। मन ...
love relation पर मार्मिक कविता : रिश्ते
सुशील कुमार शर्मा | शुक्रवार,फ़रवरी 7,2025
poetry on love : जब हम और तुम मिले थे, नहीं था अपेक्षाओं का रिश्ता नहीं था मैं बड़ा तुम छोटे का भाव फिर अपेक्षाओं का ...