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Written By WD Feature Desk
Last Updated : शुक्रवार, 5 सितम्बर 2025 (10:37 IST)

Eid e Milad un Nabi 2025: ईद मिलादुन्नबी क्यों और कैसे मनाई जाती है, जानें इतिहास और महत्व

eid mubarak 2025
Id-e-Milad: मिलाद-उन-नबी एक इस्लामी त्योहार है जो पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह हिजरी कैलेंडर के तीसरे महीने, रबी-उल-अव्वल, की 12वीं तारीख को मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को उनके जन्म, जीवन, शिक्षाओं और अनुकरणीय चरित्र को याद करके मनाते हैं। वर्ष 2025 में मिलाद-उन-नबी 04 से 05 सितंबर यानी गुरुवार से शुक्रवार के बीच मनाई जा सकती है। 
 
इतिहास और महत्व : मिलाद-उन-नबी का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है, जब इसे मिस्र में आधिकारिक तौर पर मनाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह त्योहार दुनिया भर के मुसलमानों के बीच लोकप्रिय हो गया। इस दिन पैगंबर मुहम्मद के जीवन, उनकी शिक्षाओं और उनके संदेशों को याद किया जाता है। पैगंबर ने इस्लाम धर्म की स्थापना की और उनके दिखाए रास्ते पर चलकर मुसलमान जीवन में नेक काम करने और अल्लाह की इबादत करने की कोशिश करते हैं। मुस्लिम समुदाय के लिए यह त्योहार खुशियां लेकर आता है। दुनिया भर के मुसलमान पैगंबर मुहम्मद को श्रद्धांजलि देते हैं।
 
कैसे मनाया जाता है : मिलाद-उन-नबी का उत्सव दुनिया भर में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।
 
• जुलूस/ Juloos: इस दिन जगह-जगह जुलूस निकाले जाते हैं, जिसमें लोग 'नाअत' (पैगंबर की शान में लिखी गई कविताएं) पढ़ते हुए चलते हैं।
 
• प्रार्थना और इबादत: मस्जिदों और घरों में विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं, और कुरान की तिलावत (पाठ) होती है।
 
• दावतें और लंगर: कई जगहों पर गरीबों और ज़रूरतमंदों को खाना खिलाया जाता है, जिसे लंगर या दावत कहा जाता है।
 
• उपदेश/ Sermons: पैगंबर मुहम्मद के जीवन और शिक्षाओं पर उपदेश दिए जाते हैं ताकि लोग उनके दिखाए मार्ग पर चल सकें।
 
• शिक्षा और सभा: इस दिन नए कपड़े पहनते हैं और विशेष नमाज़ अदा करते हैं। पैगंबर पैगंबर मुहम्मद का जन्म अरब के एक शहर 'मक्का' में हुआ था। और माना जाता है कि उनकी शिक्षाएं बहुत मूल्यवान होने के कारण मुसलमान समाजवासी पैगंबर मुहम्मद की महान शिक्षाओं को याद करने और उन पर चर्चा करने के लिए सभाएं आयोजित करते हैं। 
 
मिलाद-उन-नबी बहुप्रतीक्षित मुस्लिम त्योहारों में से एक है। ये सिर्फ एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह पैगंबर मुहम्मद के आदर्शों और शिक्षाओं को याद करने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का एक अवसर है। 
 
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