मध्यप्रदेश में नई आबकारी नीति में होंगे बड़े बदलाव, शराब दुकानों के पास परमिट रूम के साथ कीमतों पर फैसला संभव
भोपाल। मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव सरकार अप्रैल से लागू होने वाली नई शराब नीति में कई बड़े बदलाव कर सकती है। नई आबकारी नीति 2025-26 में शराब दुकानों के आस-पास परमिट रूम यानि एक तरह से मिनी बार खोलने की तैयारी कर रही है। गौरतलब है कि पिछले साल पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के विरोध के बाद शिवराज सरकार ने आबकारी नीति में बड़ा फैसला लेते हुए सभी अहाते बंद करने का फैसला किया था। इस फैसले का शराब ठेकेदारों ने विरोध किया था। शराब दुकानों से सटे अहाते शराब दुकान संचालकों की कमाई का बड़ा जरिया होते थे। अहातों में बड़ी संख्या में लोगों के शराब पीने से शराब की बिक्री अच्छी होती थी, वहीं शराब के अहाते बंद होने से ठेकेदारों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।
महंगी शराब से ठेकेदारों को नुकसान,दाम करने पर मंथन- प्रदेश शराब ठेकेदार लगातार प्रदेश में शराब महंगी होने का मुद्दा उठाकर घाटे की बात कहकर शराब के दाम कम करने की मांग कर रहे है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की तुलना में मध्यप्रदेश में शराब के दाम से 30-35 फीसदी अधिक है। इसीलिए फॉर्मूला निकाला गया कि एमपी में शराब की कीमतें पड़ोसी राज्यों में शराब की कीमत में 15 फीसद से ज्यादा अंतर ना हो।
ऐसे में सरकार बीच का कोई रास्ता निकाल सकती है, जिससे शराब की बिक्री बढ़ सके और उसकी कमाई भी बढ़ सकेग। इसके साथ नई शराब नीति में आबकारी विभाग सभी कंपोजिट शराब दुकानों पर सभी ब्रांड की विदेशी शराब उपलब्ध कराने की तैयारी में है। इसके लिए सभी प्रवाधान करने की तैयारी विभाग कर रहा है। इसके साथ नई आबकारी नीति में प्रदेश में अवैध शराब के निर्माण और उसकी बिक्री को हतोत्साहित करने के लिए सरकार बड़ा निर्णय ले सकती है। प्रदेश में आने वाली अवैध शराब को कैसे भी रोका जाए। इसके लिए पड़ोसी राज्यों में शराब की कीमतों का विश्लेषण किया गया।
शराब नीति में एक्साइज ड्यूटी पर मंथन- प्रदेश में नई आबकारी नीति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा सहित मंत्री उदय प्रताप सिंह, निर्मला भूरिया और गोविंद सिंह राजपूत की चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। समिति शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी पर विचार कर इस पर निर्णय लेगी, जिसे कैबिनेट को भेजा जाएगा। अगर सरकार एक्साइज ड्यूटी बढ़ती है तो प्रदेश में शराब महंगी होगी।
धार्मिक नगरों में शराबबंदी का फैसला-नई आबकारी नीति उज्जैन सहित प्रदेश के धार्मिक नगरों में शराबबंदी पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को धार्मिक नगरों में शराबबंदी की बात कही है। प्रदेश के उज्जैन (महाकालेश्वर मंदिर),अमरकंटक (नर्मदा उदगम स्थल) , महेश्वर( नर्मदा नदी के किनारे प्राचीन मंदिर) ओरछा ( रामराजा मंदिर) ओंकारेश्वर (ज्योतिर्लिंग), मंडला (नर्मदा घाट), मुलताई ( ताप्ती नदी), दतिया( पीताम्बरा पीठ) जबलपुर ( नर्मदा घाट), चित्रकूट( रामघाट), मैहर ( शारदादेवी मंदिर ), सलकनपुर ( बीजासन मंदिर) मंडलेश्वर ( नर्मदा घाट), मंदसौर( पशुपतिनाथ मंदिर), बरमान(नर्मदा घाट) और पन्ना( जुगल किशोर मंदिर) शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि साधु संतों ने शराब के कारण धार्मिक स्थलों की पवित्रता प्रभावित होने से रोकने के लिए इन धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने हेतु अनुरोध किया था , सरकार उनके सुझावों पर अमल करते हुए जल्द ही धार्मिक नगरों में शराबबंदी का फैसला कर सकती है।
मुख्यमंत्री के अनुसार सरकार के इस फैसले से होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए इन नगरों की सीमाओं के बाहर शराब दुकानें खोलने की अनुमति देने के बारे में आबकारी अधिकारी मंथन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के दो पड़ोसी राज्यों बिहार और गुजरात में शराबबंदी लागू है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में ही जब यह बयान दिया था कि नशा नाश का कारण बनता है तभी से वहां भी शराब बंदी लागू किए जाने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं यद्यपि इस बारे में अभी कोई ठोस फैसला नहीं किया गया है।