• Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. मध्यप्रदेश
  4. Candidates for state president of Madhya Pradesh BJP
Last Updated : सोमवार, 6 जनवरी 2025 (13:37 IST)

कैसे चुना जाएगा मध्यप्रदेश भाजपा का नया अध्यक्ष, जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी से क्यों अटकी पूरी प्रक्रिया?

कैसे चुना जाएगा मध्यप्रदेश भाजपा का नया अध्यक्ष, जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी से क्यों अटकी पूरी प्रक्रिया? - Candidates for state president of Madhya Pradesh BJP
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा में जिला अध्यक्षों के चुनाव में पेंच फंसने के बाद आज से शुरु होने वाली प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया में अधर में लटक गई है। दरअसल भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने 6 जनवरी से प्रदेश अध्यक्ष के लिए रायशुमारी शुरु करने की तारीख तय की थी लेकिन अब तक जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरु होने पर संशय हो गया है। यह तब है कि जब दिल्ली में संगठानत्मक बैठक में पांच जनवरी तक जिला अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया पूरी करने का निर्णय  लिया गया था।

कैसे होगा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव?-भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ शुरु हो जाएगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव अधिकारी बनाया है। जिला अध्यक्षों के नामों का एलान होने के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भोपाल आएंगे और नवनियुक्त जिला अध्यक्षों, विधानसभा प्रतिनिधियों, जिला प्रतिनिधियों सहित प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मतदान करने वाले नेताओं से रायशुमारी करेंगे। रायशुमारी की यह बैठक प्रदेश भाजपा दफ्तर में अब 10 जनवरी के बाद होने की संभावना है। रायशुमारी में जिन चेहरों को प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर नाम सामने आएंगे उनके नामों की सूची दिल्ली भेजी जाएगी। जहां पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व में प्रदेश के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक कर अध्यक्ष पद के नाम पर मोहर लगाएंगे।  

प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में जिला अध्यक्षों के अहम भूमिका होने के कारण ही पार्टी के दिग्गज नेताओं में आम सहमति नहीं बन पा रही है और प्रदेश अध्यक्ष के दावेदार जिला अध्यक्षों और विधानसभा प्रतिनिधियों के चयन में अपना सीधा दखल दे रहे है। प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए जिला अध्यक्षों के साथ विधानसभा प्रतिनिधियों और विधानसभा में नियुक्त होने वाले एक प्रतिनिधि में अपनी राय या वोट देने का अधिकार रखते है। दिलचस्प यह है कि प्रदेश अध्यक्ष के लिए रायशुमारी के बाद जिन नामों की सूची दिल्ली भेजी जाएगी उनके  साथ उनके समर्थन में मत व्यक्त करने वालों की संख्या भी दिल्ली भेजी जाएगी।  

प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सियासी-जातीय समीकरण?-देश में भाजपा के सबसे मजबूत संगठन वाले राज्य में पार्टी की जिम्मेदारी किस चेहरे के मिलेगी इस पर अब सबकी निगाहें लग गई है, इसके साथ ही यह सवाल भी सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां में है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के जरिए क्या एक बार फिर जातीय समीकरण साधेगी। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के होने के चलते इस बात की संभावना अधिक है कि सामान्य वर्ग से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी। यहीं कारण है कि सामान्य वर्ग से आने वाले कई नेता भोपाल से दिल्ली तक सक्रिय है। इसमें ठाकुर और ब्राहाम्ण चेहरे प्रमुखता से है। वहीं क्या प्रदेश में भाजपा किसी दलित या आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जातीय समीकरण साधेगी यह भी बड़ा सवाल है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावेदार?-मध्यप्रदेश में भाजपा अगर सामान्य वर्ग के चेहरे को अध्यक्ष के लिए आगे करते है तो प्रदेश अध्यक्ष के संभावित नामों में पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया और पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम प्रमुखता से लिय़ा जा रहा है। इसके अलावा विधायक रामेश्वर शर्मा, हेमंत खंडेलवाल और भगवान दास सबनानी भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है।

पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा भले ही विधानसभा चुनाव दतिया से हार गए हो लेकिन वह भोपाल से लेकर दिल्ली तक सक्रिय है। उनकी गिनती अमित शाह के करीबियों में होती है और पिछले  दिनों भाजपा की न्यू ज्वाइनिंग टोली के प्रमुख के तौर पर उन्होंने कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं को भाजपा में शामिल कराके अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय दिया। पिछले दिनों नरोत्तम मिश्रा की पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मुलाकात की तस्वीरें भी खूब चर्चा में रही।

वहीं पन्ना से विधायक और पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह का नाम भी सामान्य वर्ग से अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे नजर आ रहा है। पिछले दिनों बृजेंद्र प्रताप सिंह की दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। बृजेंद्र प्रताप सिंह की गिनती वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के करीबी नेताओं में होती है, ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत दिखाई दे रही है। वीडी शर्मा के साथ नरेंद्र सिंह तोमर और शिवराज सिंह चौहान बृजेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर एक साथ आ सकते  है। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल से आने वाले पूर्व मंत्री अरविंद भदौरिया भी अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल है और वह दिल्ली में खासा सक्रिय है। संघ से निकटता और संगठन मंत्री के तौर पर अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय अरविंद भदौरिया पहले भी दे चुके है। 

वहीं मध्यप्रदेश भाजपा के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को क्या पार्टी का केंद्रीय नेतृव्य एक और मौका देगा,यह भी सियासी गलियारों में चर्चा के केंद्र में है। दरअसल बतौर भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा का उपलब्धियों से भरा हुआ है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जहां अब तक अपना सर्वेश्रष्ठ प्रदर्शन किया वहीं लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतकर नया इतिहास रच दिया है। वीडी शर्मा की मजबूत संगठनात्मक क्षमता की तारीफ खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके है। ऐसे में अगर वीडी शर्मा को एक और मौका मिल जाए तो अचरज नहीं होगा।

महिला चेहरे को मिलेगी कमान?- मध्यप्रदेश भाजपा की कमान क्या किसी महिला चेहरे को मिलेगी यह भी सवाल भी सियासी गलियारों में खूब चर्चा के केंद्र में है। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व क्या अपने सबसे मजबूत गढ़ में किसी महिला चेहरे को संगठन की कमान सौंपेंगा, इसकी भी अटकलें लगाई जा रही है। राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, लोकसभा सांसद संध्या राय, पूर्व सांसद और वर्तमान में भाजपा विधायक रीति पाठक ऐसे नाम है जिनका संगठन में कामकाज का अच्छा अनुभव है और पार्टी पूरे देश में भाजपा संगठन को एक मैसेज देने के लिए इनमें से किसी चेहरे पर दांव लगा सकती है। दरअसल भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व संगठन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर पूरा जोर दे रहा है।

अध्यक्ष का चुनाव भाजपा के लिए चुनौती?- मध्य प्रदेश भाजपा के नए प्रदेश के नाम पर आम सहमति बनाना पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक बड़ी चुनौती है। दरअसल मध्यप्रदेश में पिछले कुछ सालों में भाजपा क्षत्रपों में बंट गई है। 2023 के विधानसभा चुनाव जब भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने पार्टी के दिग्गज चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा उसके बाद प्रदेश भाजपा के दिग्गज नेताओं में आपसी खींचतान लगातार दिखाई दे रही है। बात चाहे इंदौर-मालवा के दिग्गज चेहरे कैलाश विजयवर्गीय की हो या महाकौशल से आने वाले दिग्गज नेता प्रहलाद पटेल की या ग्वालियर-चंबल से आने वाले नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया की हो। यह सभी पार्टी के ऐसे क्षत्रप है जिनकी राजनीतिक महत्वकांक्षाएं किसी से छिपी नहीं है।

ऐसे में पार्टी के नए प्रदेश के चेहरे को लेकर इन दिग्गज नेताओं के बीच आम सहमति बनाना भी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक चुनौती होगी। विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने सभी दिग्गज चेहरों को दरकिनार कर चौंकाने वाला फैसला करते हुए डॉ. मोहन यादव के नाम पर मोहर लगाई थी वैसा ही प्रयोग अगर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में कोई चौंकाने वाला फैसला करती है तो पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती होगी।