मध्यप्रदेश में भाजपा 2-3 दिनों में करेगी 62 जिला अध्यक्षों का एलान: वीडी शर्मा
भोपाल। मध्यप्रदेश भाजपा अगले दो-तीन दिनों में अपने सभी जिलाध्यक्षों के नामों का एलान कर देगी। रविवार देर रात उज्जैन नगर और विदिशा के जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि रविवार को 2 जिलाध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है, आज भी कुछ जिलों में जिला अध्यक्षों के नामों की घोषणा की जाएगी। वहीं दो-तीन दिन में सभी जिलों में जिलाध्यक्षों के नामों की घोषणा हो जाएगी। इसके साथ ही भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि प्रदेश में संगठन पर्व संवाद और समन्वय के साथ पार्टी की पद्धति अनुसार पूरा हो रहा है। इसके साथ ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि जिला अध्यक्षों के चुनाव के बाद प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया शुरु होगी।
कैसे होगा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव?-भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया जिला अध्यक्षों की नियुक्ति के साथ शुरु हो जाएगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव अधिकारी बनाया है। जिला अध्यक्षों के नामों का एलान होने के बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भोपाल आएंगे और नवनियुक्त जिला अध्यक्षों, विधानसभा प्रतिनिधियों, जिला प्रतिनिधियों सहित प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए मतदान करने वाले नेताओं से रायशुमारी करेंगे। रायशुमारी में जिन चेहरों को प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार के तौर पर नाम सामने आएंगे उनके नामों की सूची दिल्ली भेजी जाएगी। जहां पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व में प्रदेश के दिग्गज नेताओं के साथ बैठक कर अध्यक्ष पद के नाम पर मोहर लगाएंगे।
प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सियासी समीकरण?-देश में भाजपा के सबसे मजबूत संगठन वाले राज्य में पार्टी की जिम्मेदारी किस चेहरे के मिलेगी इस पर अब सबकी निगाहें लग गई है, इसके साथ ही यह सवाल भी सियासी गलियारों में खूब सुर्खियां में है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के जरिए क्या एक बार फिर जातीय समीकरण साधेगी। मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग से मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के होने के चलते इस बात की संभावना अधिक है कि सामान्य वर्ग से आने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी। यहीं कारण है कि सामान्य वर्ग से आने वाले कई नेता भोपाल से दिल्ली तक सक्रिय है। इसमें ठाकुर और ब्राहाम्ण चेहरे प्रमुखता से है। वहीं क्या प्रदेश में भाजपा किसी दलित या आदिवासी चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर जातीय समीकरण साधेगी यह भी बड़ा सवाल है।