इंदौर में नर्मदा के जल के आने से पहले शहर की जलापूर्ति का सबसे बड़ा केंद्र यशवंत सागर ही हुआ करता था। यशवंत सागर से पानी रेशम केंद्र से पंपिंग करके जम्बूड़ी होते हुए देवधरम टेकरी पर आता है। यहां पर पानी फिल्टर होता है और फिर पश्चिमी क्षेत्र के कुछ हिस्सों की जलापूर्ति आज भी यही पानी करता है। इसी देवधरम टेकरी के बचे हुए हिस्से में पितरेश्वर हनुमान धाम बनाया गया है।

कैसे हुई शुरुआत : 2002 में कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के महापौर थे और उन्हें विचार आया कि क्यों न देवधरम टेकरी पर हनुमानजी की सबसे बड़ी मूर्ति लगाई जाए। यहीं पर उन्होंने शहर के लोगों से आग्रह किया कि वे 'पितृ पर्वत' पर अपने स्वर्गीय परिजनों के नाम से एक पौधा लगाएं, जिसकी देखभाल इंदौर नगर निगम के कर्मी करेंगे।
पितृ पर्वत का नया नामकरण : 18 सालों में लोगों ने पितृ पर्वत पर सैकड़ों पौधे रोपे जिसमें से कई तो विशाल वृक्ष का रूप ले चुके हैं। यहां पर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित होने के बाद इस स्थान का नया नामकरण 'पितरेश्वर हनुमान धाम' हो गया है। यानी पितृ पर्वत अब पितरेश्वर हनुमान धाम से जाना जाएगा।
इन होटलों में ठहरा जा सकता है : निम्न और मध्यम वर्ग के यात्री गंगवाल बस स्टैंड के आसपास छोटी होटलों में ठहर सकते हैं लेकिन जिन लोगों को सर्वसुविधा और लक्जरी व्यवस्था चाहिए उन्हें विजय नगर क्षेत्र में जाना होगा। ऐसे यात्री होटल मेरिएट, सयाजी, रेडिसन में ठहर सकते हैं। इन सितारा होटलों से पितरेश्वर हनुमान धाम की दूरी करीब 10 किलोमीटर है।
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