मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को क्यों सता रहा ऑपरेशन लोटस का डर?
भोपाल। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में वोटिंगं हो चुकी है। वोटिंग के बाद दोनों ही राज्यों में भाजपा और कांग्रेस अपन-अपनी जीत का दावा कर रही है। दोनों ही राज्यों में इस बार जैसा वोटिंग का ट्रैंड देखने को मिला है उसके बाद सियासत के जानकार यह मान रहे है कि इस बार मुकाबला काफी नजदीकी होगा।
MP काउंटिंग को लेकर बन रही रणनीति- मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड वोटिंग के बाद चुनावी विश्लेषक अनुमान जता रहे है कि परिणाम 2018 के जैसे ही हो सकते है, यहीं कारण अब काउंटिंग और उसके बाद की रणनीति बनाने में भाजपा और कांग्रेस जुट गई है।
3 दिसंबर को होने वाली मतगणना को लेकर भाजपा के आला नेताओं ने बैठक का रणनीति तय कर ली है। बैठक में विधानसभा और जिला स्तर पर काउंटिंग एजेंटों की ट्रेनिंग देने के साथ मतगणना के दिन क्या-क्या सावधानी बरतनी है, इस पर निगाहें रखी जा सकती है।
मध्यप्रदेश में अपने पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए कांग्रेस ने इस बार काउंटिंग और उसके बाद की परिस्थितियों का आकलन करने के लिए अपने सभी 230 उम्मीदवारों को भोपाल तलब किया गया। पार्टी अपने सभी उम्मीदवारों को काउंटिंग को लेकर जरूरी जानकारी देने के साथ मतगणना के बाद पार्टी की रणनीति के बारे में दो टूक संदेश दे सकती है। 26 नवंबर को पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ के बंगले पर संभावित इस बैठक में कमलनाथ के साथ पार्टी के सीनियर नेता शामिल हो सकते है और उम्मीदवारों को चुनाव के बाद एकजुटता के संदेश दे सकते है।
छत्तीसगढ़ में भी चुनावी सरगर्मी तेज-छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज अपनी-अपनी पार्टी के लिए जीत के दावे कर रहे है। सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस जहां सत्ता में लगातार दूसरी बार वापसी का दावा कर रही है, वहीं भाजपा की ओर से बड़े नेता लगातार दावा कर रहे है कि वोटिंग के बाद बूथ स्तर से मिली रिपोर्ट के आधार प्रदेश में भाजपा 50 से अधिक सीट जीत सत्ता में वापसी कर रही है।
90 सदस्यीय छत्तीसगढ़ विधानसभा में दोनों ही दलों की ओर से जीत के अपने दावे के बाद दोनों ही दल अपने उम्मीदवारों से लगातार संपर्क मे है। वोटिंग के ठीक बाद कांग्रेस ने अपने सभी उम्मीदवारों को रायपुर बुलाकर उनसे चर्चा कर चुकी है। वहीं भाजपा के नेता भी उम्मीदवारों से लगातार संपर्क में है।
कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस का डर?-3 दिसंबर को होने वाली काउंटिंग से पहले ही कांग्रेस को ऑपरेशन लोटस का डर भी सताने लगा है। छत्तसीगढ़ में तो भूपेश सरकार के मंत्री शिव डहेरिया ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा हमेशा से हॉर्स ट्रेडिंग करने की कोशिश करती है लेकिन छत्तीसगढ़ में वह कामयाब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अमित शाह किस आधार पर यह कह रहे है कि 35 सीटें ले आइए, बाकी सरकार बनाने की जिम्मेदारी हमारी है। क्या वह छत्तीसगढ़ के लोगों को बिकाऊ समझ रहे है, छत्तीसगढ़ के लोग बिकाऊ नहीं है। इससे पहले छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी ऑपरेशन लोटस का जिक्र कर चुके है।
वहीं मध्यप्रदेश जहां कांग्रेस 2020 में भाजपा के ऑपरेशन लोटस के चलते ही अपनी सरकार गवां बैठी थी, वह भी चुनाव परिणामों को लेकर काफी सतर्क नजर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह लगातार विधायकों के संपर्क में है और उनसे पूरी चुनावी रिपोर्ट ले रहे है। वहीं 26 नवंबर को कमलनाथ के बंगले पर होने वाली कांग्रेस उम्मीदवारों की बैठक में कमलनाथ और दिग्ग्विजय सिंह सभी उम्मीदवारों से वन-टू-वन चर्चा कर एकजुटता की सीख दे सकते है।
चुनावी जानकार मानते है कि अगर मध्यप्रदेश में चुनाव परिणाम 2018 की तरह होते है और किसी भी दल को अपने बल पर बहुमत नहीं मिलता है तो भाजपा और कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरकर जीतकर आने वाले और अन्य दलों से जीतकर आने वाले विधायक किंगमेकर हो जाएंगे, वहीं प्रदेश में सत्ता बरकरार रखने के लिए भाजपा पूरी कोशिश करते हुए नजर आ सकती है, इसमें ऑपरेशन लोट्स एक महत्वपूर्ण सियासी हथियार है।