शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. चुनाव 2023
  2. विधानसभा चुनाव 2023
  3. मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023
  4. Beneficiaries vs Aspiring Voters in Madhya Pradesh Assembly Elections
Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 28 नवंबर 2023 (10:47 IST)

मध्यप्रदेश में अबकी बार लाभार्थी बनाम आकांक्षी वोटर्स बनाएंगे नई सरकार?

मध्यप्रदेश में अबकी बार लाभार्थी बनाम आकांक्षी वोटर्स बनाएंगे नई सरकार? - Beneficiaries vs Aspiring Voters in Madhya Pradesh Assembly Elections
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार रिकॉर्ड वोटिंग के बाद नतीजों को लेक अटकलों का बाजार गर्म है। प्रदेश में इस बार 77.15 फीसदी मतदान हुआ है, अगर 2018 के वोटिंग प्रतिशत को देखे तो 2018 में 75.05 फीसदी मतदान हुआ था। यानि इस साल 2023  के विधानसभा चुनाव में 2.10 प्रतिशत मतदान की बढ़ोत्तरी हुई। यह बड़ा हुआ मतदान सियासत के जानकारों को भी चौंका रहा है और प्रदेश में कोई भी राजनीतिक पंड़ित इस बात को दावे  के साथ नहीं कह पा रहा है कि किसकी जीत होगी।

दरअसल इस बार  विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस कोई भी वोटर्स के बीच नेरेटिव सेट नहीं कर पाई। पूरे चुनाव को देखा जाए तो कोई ऐसा मुद्दा नजर नहीं आया जिस पर वोटर्स का ध्रुवीकऱण हो सके। अगर मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो पूरे चुनाव में जहां वोटर्स साइलेंट देखा गया, वहीं प्रदेश की विधानसभा सीटों पर दौरा करने पर एक तरह का अंडर कंरट देखा गया। यह अंडर करंट ही प्रदेश की नई सरकार किसकी होगी यह तय करेगा।

अगर प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर वोटिंग को परसेंट को देखा जाए तो 34 विधानसभा सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मतदान प्रतिशत अधिक है। यह ऐसी विधानसभा सीटें है जहां पर ग्रामीण वोटर्स की संख्या अधिक है और यहा महिलाओं ने पुरुषों  की तुलना में 5 से 11 फीसदी तक अधिक मतदान किया है। उदाहरण के तौर पर सीधी जिले की सिंहावल विधानसभा सीट पर पुरुषों की तुलना में महिलाओं का मत प्रतिशत 11.91 प्रतिशत अधिक है।

लाभार्थी बनाम आकांक्षी वोटर्स-मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार चुनावी मुकाबला लाभार्थी वर्ग और आकांक्षी वर्ग के बीच नजर आया। लाभार्थी से आशय उस वर्ग के वोटर्स से है जो हितग्राही है। ऐसे वोटर जो केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार की योजनाओं का सीधे लाभ ले रहे है। इसमें लाड़ली बहना, लाड़ली लक्ष्मी योजना से लेकर पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम आवास योजना  और मुफ्त अनाज पाने वाले हितग्राही है। अगर प्रदेश में केद्र और राज्य सरकार के प्रमुख हितग्राही योजनाओं के लाभार्थी को देखे तो इनकी संख्या 3 करोड़ के आसपास ठहरती है। इनमें लाड़ली बहना योजना के 1 करोड़ 31 लाख लाभार्थी बहना, लाड़ली लक्ष्मी योजना के 46 लाख,पीएम आवास योजना के 44 लाख, किसान सम्मान निधि 80 लाख और मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना के 9 लाख 19 हजार, मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के 4.15 लाख हितग्राही शामिल है।

वहीं आकांक्षी वोटर्स वह है जो चुनाव में सियासी दलों के चुनावी वादों पर भरोसा करके वोटिंग के लिए अपना मानस बनाता है। इसमें उस वर्ग के वोटर्स की संख्या अधिक है जो वर्तमान में सरकार की किसी भी योजना का लाभार्थी नहीं है,इसके साथ वह वोटर्स भी शामिल है जो वर्तमान सरकार के कामकाज से खुश नहीं है। ऐस वर्ग सामान्य तौर पर एंटी इंकंमबेंसी वोटर्स कहलाता है औऱ चुनाव में उसका साफ झुकाव सत्ता पक्ष के विरोध में नजर आया। चुनाव के दौरान प्रदेश की विभिन्न विधानसभा सीटों का दौरा करने पर आकांक्षी वोटर्स से बात करने पर एक बात स्पष्ट रूप से सामने आई यह वर्ग कर्मचारी के साथ किसान वर्ग आदि हो सकता आता है।

लाभार्थी और आकांक्षी वोटर्स को साधने की कवायद- मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में लाभार्थी वर्ग और आकांक्षी वर्ग को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही वर्ग ने बड़े वादे किए है। सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में प्रदेश की 1 करोड़ 30 लाख लाड़ली बहनों को गांव में पक्के मकान का देने का फैसला किया है। इसके साथ भाजापा ने स्व सहायता समहूों के  जरिए ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने का भी एलान  किया है। इसके साथ भाजपा ने वादा किया कि लाड़ली बहना योजना की लाभार्थियों को 450 रु में गैस सिलेंडर मिलेगा। वहीं किसानों को एमएसपी के साथ बोनस 2,700 रुपए प्रति क्विंटल पर गेहूं एवं 3,100 रुपए प्रति क्विंटल पर धान की खरीद की व्यवस्था करेंगे।

प्रदेश में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस ने आकांक्षी वोटर्स को साधने के लिए इस बार बड़ा दांव चला है। विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में अपने घोषणा पत्र यानि वचन पत्र में पुरानी पेंशन योजना को लागू करने के साथ, किसानों का 2 लाख तक का कर्ज माफ करने के साथ महिलाओं को प्रतिमाह 1500/ रूपए नारी सम्मान के तौर पर  देने और घरेलू गैस सिलेंडर 500 रूपए में देने का वादा किया। वहीं कांग्रेस ने सत्ता में आने पर बिजली का 100 यूनिट माफ और 200 यूनिट हाफ दर कर देंगे। वहीं ​किसानों को सिंचाई के लिए 5 हार्सपॉवर का विद्युत निःशुल्क देने के किसानों के  बकाया बिजली का बिल माफ करने का वादा किया है।।

लाभार्थी और आकांक्षी पर ही जीत का दावा-विधानसभा चुनाव की वोटिंग के बाद अब भाजपा और कांग्रेस इसी लाभार्थी और आकांक्षी वोटर्स के बलबूते जीत का दावा कर रही है। विधानसभा चुनाव की वोटिंग के दिन जिस तरह भाजपा ने  लाड़ली बहनों की पोलिंग बूथों पर लगी कतारों के विजुअल और फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए यह उसकी रणनीति को साफ बताता है। चुनाव के बाद भाजपा अब इसी लाड़ली बहनों के समर्थन के बूते सत्ता में पांचवी बार काबिज होने का दावा कर रही है।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के मुताबिक चुनाव में प्रदेश की जनता का व्यापक आशीर्वाद भाजपा को मिला है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मध्यप्रदेश सरकार की लाड़ली बहना, बेटी बचाओ अभियान, महिला सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण रोल इस चुनाव में रहा है। इसके साथ प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास में 64 लाख बहनों को मलिक बनाने का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है और पीए उज्जवला योजना में गांव की  बहनों  को धुएं से मुक्ति दिलाने का काम किया है। भाजपा सरकार की योजनाओं से लाभान्वित महिलाओं ने चुनाव में हिस्सा लिया है और यहीं कारण है कि प्रदेश में रिकॉर्ड मतदान हुआ है।

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने वोटिंग के बाद कांग्रेस की जीत का दावा करते हुए  कहा कि मध्य प्रदेश की जनता जानती है कि कांग्रेस पार्टी झूठे वादे नहीं करती। प्रदेश में जो बढ़ा मतदान हुआ है उसमें स्पष्ट है कि किसानों ने बढ़े हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए, आम आदमी ने सस्ती बिजली के लिए, नौजवानों ने रोजगार और सरकारी नौकरी के लिए, महिलाओं ने नारी सम्मान योजना के लिए, कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली के लिए और समाज के वंचित तबके ने जातिगत जनगणना और 27% ओबीसी आरक्षण के मुद्दों पर बढ़-चढ़कर मताधिकार का प्रयोग किया है।
ये भी पढ़ें
तेलंगाना में आज थमेगा चुनाव प्रचार का शोर, 30 नवंबर को वोटिंग