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Written By Author विकास सिंह
Last Modified: सोमवार, 27 नवंबर 2023 (12:48 IST)

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट पर क्यों गर्माई सियासत?

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में पोस्टल बैलेट पर क्यों गर्माई सियासत? - Why politics on postal ballot in Madhya Pradesh Assembly elections?
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में काउंटिंग को लेकर 6 दिन का समय शेष बचा है, ऐसे में अब भाजपा और कांग्रेस दोनों ही काउंटिंग को लेकर रणनीति बनाने में जुट गई है। प्रदेश में इस बार 77.15 फीसदी मतदान हुआ है, अगर 2018 के वोटिंग प्रतिशत को देखे तो 2018 में 75.05 फीसदी मतदान हुआ था। यानि इस साल 2023  के विधानसभा चुनाव में 2.10 प्रतिशत मतदान की बढ़ोत्तरी हुई। इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने के साथ सियासी दलों के दिलों  की धड़कन तेज हो गई है। ऐसे में अब सियासी दल काउंटिंग को लेकर खासा सतर्कता बरत रहे है।

काउंटिंग को लेकर पोस्टल बैलेट की गिनती को लेकर कांग्रेस और भाजपा अपने उम्मीदवारों और काउंटिंग एजेंटो को खासा ध्यान देने की रणनीति पर काम कर रही है। 3 दिसंबर को सुबह 8 बजे होने वाली काउंटिंग में सबसे पोस्टल बैलेट की काउंटिंग होगी।

पोस्टल बैलेट पर जोर क्यों?-प्रदेश में निर्वाचन ड्यूटी में लगे 1 लाख 66 हजार 496 अधिकारियों-कर्मचारियों ने फैसिलिटेशन सेंटर,अत्यावश्यक ड्यूटी में शामिल 532 अधिकारियों-कर्मचारियों और 10 सेवा निर्वाचक मतदाताओं ने पोस्टल बैलेट से मतदान किया है। इस बार मध्य प्रदेश में 80 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 40 फीसदी से अधिक दिव्यांगजनों ने भी पोस्टल बैलेट से मतदान किया है। बता दें कि प्रदेश में 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्ग और दिव्यांग मिलाकर 11 लाख 40 हजार लोग हैं।

इस बार कांटे के मुकाबले वाले मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत-हार का अंतर काफी कम हो सकता  है। अगरर साल 2018  के विधानसभा चुनाव के नतीजों को  देखे तो  18 सीटों पर जीत-हार का अंतर दो हजार मतों से भी कम था, जबकि कुछ सीटों पर विधानसभा चुनाव में लगे कर्मचारियों के मत जीत-हार के अंतर के मतों से ज्यादा थे। वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में 10 ऐसी विधानसभा सीट थीं, जहां पर हार-जीत का फैसला 1000 वोट से भी कम अंतर से हुआ था। ग्वालियर की दक्षिण, छतरपुर की राजनगर, दमोह, शिवपुरी जिले की कोलारस, जबलपुर की उत्तर विधानसभा, राजगढ़ जिले की ब्यावरा, राजपुर आदि विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां पर 1000 से कम वोटो के अंतर से हार जीत हुई थी।

ऐसे में जब इस बार विधानसभा चुनाव में प्रदेश की कई विधानसभा सीटों में पोस्टल बैलेट से मतदान करने वाले वोटरों की संख्या 5 हजार के करीब है तब पोस्टल बैलेट नतीजों को बहुत हद तक प्रभावित कर सकते है।

कांग्रेस ने उम्मीदवारों को दिए विशेष निर्देश-विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी को उम्मीद है कि पोस्टल बैलेट की गिनती के साथ उनके उम्मीदवार विरोधियों पर बढ़त बना लेंगे वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि ओपीएस को लागू करने की घोषणा के चलते कर्मचारियों का समर्थन उसको मिलेगा। प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों और काउंटिंग एजेंटों को पोस्टल बैलेट को लेकर खासा सतर्कता बरतने के निर्देश दिए है। रविवार को कांग्रेस उम्मीदवारों और काउंटिंग एजेंटों को ट्रेनिंग में पोस्टल बैलेट की गिनती को लेकर विशेष हिदायत दी गई। इस दौरान काउंटिंग एजेंटो को पोस्ट बैलेट के बाद वोटों को वेरिफाई करने के साथ हर राउंड की गिनती के बाद सर्टिफिकेशन अनिवार्य रूप से लेने के निर्देश दिए गए।

गौरतलब है कि प्रदेश में वोटिंग के बाद नेता प्रतिपक्ष और लहार के प्रत्याशी गोविंद सिंह ने भिंड के जिला निर्वाचन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव पर गंभीर आरोप लगाते हुए लहार में डाले गए 797 डाक मत पत्र गायब होने का आरोप लगाया था।

 
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