गुरुवार, 21 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. »
  3. चुनाव 2009
  4. »
  5. लोकसभा चुनाव
Written By भाषा

चिदंबरम के कंधों पर अब गृह मंत्रालय

चिदंबरम के कंधों पर अब गृह मंत्रालय -
ार्वर्ड से शिक्षित पल्लानिअप्पन चिदंबरम की छवि एक अच्छे आर्थिक प्रशासक की रही, लेकिन गृहमंत्री के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान वे एक मजबूत इरादे वाले व्यक्ति के रूप में उभरे। इसी का नतीजा है कि उन्हें मनमोहन के नेतृत्व में संप्रग की दूसरी सरकार में गृहमंत्री का दायित्व देने का फैसला किया गया।

साठ के दशक में एक कट्टर वामपंथी से लेकर एक उदार एवं मजबूत सुधारक वाले व्यक्ति के रूप में चिदम्बरम का लम्बा राजनीतिक सफर रहा है।

तमिलनाडु में एक छोटे व्यावसायिक समुदाय से आए 64 वर्षीय चिदंबरम 1991 के बाद पीवी नरसिंहराव सरकार द्वारा शुरू किए गए और वित्तमंत्री के रूप में मनमोहनसिंह द्वारा लागू किए गए आर्थिक सुधार से जुड़े अग्रणी नेताओं में रहे।

हार्वर्ड से एमबीए करने वाले प्रख्यात वकील चिदंबरम ने राव मंत्रिमंडल में वाणिज्य राज्यमंत्री के रूप में आर्थिक सुधारों का काफी अनुभव लिया। बाद में उसका लाभ 1996 में एचडी देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार में वित्तमंत्री बनने पर उन्हें हुआ।

उन्होंने तब जो बजट पेश किया उसे ड्रीम बजट कहा गया, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के चलते सरकार गिर जाने से वे कार्यकाल पूरा नहीं कर सके।

चिदंबरम की वित्तमंत्री के रूप में दूसरी बार वापसी सन 2004 में संप्रग सरकार में हुई। उन्होंने इस पद की दावेदारी में कई अन्यों को पीछे छोड़ दिया।

प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने जिम्मेदारी को बखूबी निभाने की उनकी योग्यता के कारण ही उन्हें उस वक्त गृह मंत्रालय का जिम्मा सौंपा, जब मुंबई पर आतंकवादी हमले के चलते शिवराज पाटिल को पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

चिदंबरम के लिए यह एक तरह से घर वापसी थी क्योंकि 80 के दशक के अंत में राजीव गाँधी सरकार में वे आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय में कनिष्ठ मंत्री रह चुके थे।

गृहमंत्री के रूप में अपने संक्षिप्त कार्यकाल में चिदंबरम ने देश में सुरक्षा की स्थिति को सफलतापूर्वक मजबूत किया। उन्होंने खुफिया तंत्र को फिर से संगठित किया, आतंक निरोधी कानूनों के प्रावधानों को कड़ा किया तथा प्रमुख निजी संस्थानों की सुरक्षा में सुरक्षा बलों को लगाने के लिए सीआईएसएफ कानून में संशोधन किया। राजीव गाँधी सरकार में कार्मिक मंत्री के रूप में कई प्रशासनिक सुधारों का श्रेय भी चिदंबरम को जाता है।

चिदंबरम ने 1984 में दक्षिण तमिलनाडु के शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल कर लोकसभा में कदम रखा। उन्हें राजीव गाँधी मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया गया।

उनकी मेहनत तथा आर्थिक मुद्दों से निपटने की अपनी दक्षता के कारण वे 1996 में देवगौड़ा सरकार में सबसे युवा वित्तमंत्री बन गए।

चिदंबरम ने बाद में कांग्रेस छोड़ दी और जीके मूपनार द्वारा बनाई गई तमिल मनीला कांग्रेस में शामिल हो गए। केवल एक बार 1999 में चुनाव हारने वाले चिदंबरम ने 2001 में मूपनार से तब नाता तोड़ लिया, जब उन्होंने विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक से गठजोड़ करने का फैसला किया।-भाषा