विंध्य क्षेत्र की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट शहडोल में इस बार मुकाबला काफी नजदीकी और रोचक है। खास बात ये है कि आदिवासी बाहुल्य वोटरों वाली इस सीट पर चुनावी मुकाबला उन दो महिला उम्मीदवारों के बीच है, जिन्होंने इस बार अपनी मूल पार्टी का साथ छोड़ दिया है।
बीजेपी ने वर्तमान सांसद ज्ञानसिंह का टिकट काटते हुए तीन दिन पहले पार्टी में शामिल हुईं हिमाद्री सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। रोचक बात ये है कि ज्ञानसिंह ने 2016 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ीं हिमाद्री को ही हराया था। कांग्रेस परिवार से ताल्लुक रखने वाली हिमाद्री सिंह के पिता दलबीरसिंह कांग्रेस सरकार के समय केंद्रीय मंत्री भी थे।
लोकसभा उपचुनाव में हार का सामना करने के बाद हिमाद्री ने बीजेपी नेता नरेंद्र मरावी से शादी कर ली थी, जिसके बाद उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही थीं। इस बार चुनाव की तारीखों के एलान के बाद टिकट मिलने की शर्त पर हिमाद्री कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गईं। वहीं, हिमाद्री सिंह को टिकट मिलने के बाद वर्तमान सांसद ज्ञानसिंह ने हिमाद्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान कर विरोध का मोर्चा खोल रखा है।
ज्ञानसिंह और उनके समर्थक अब खुलकर पार्टी की अधिकृत उम्मीदार हिमाद्री का विरोध कर रहे हैं, बगावत से हो रहे डैमेज को कंट्रोल करने के बाद पार्टी ने ज्ञानसिंह को मनाने की जिम्मेदारी अपने सबसे बड़े नेता शिवराजसिंह चौहान को सौंपी है।
कांग्रेस ने शहडोल में प्रमिला सिंह को अपना उम्मीवार बनाया है। विधानसभा चुनाव के समय टिकट नहीं मिलने पर प्रमिला बीजेपी का साथ छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। प्रमिला सिंह 2013 में बीजेपी के टिकट पर जयसिंह नगर से विधायक चुनी गई थीं। प्रमिला सीनियर आईएएस अफसर अमरपाल सिंह की पत्नी हैं।
कौन किस पर भारी : शहडोल लोकसभा सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवार घोषित होने के बाद अभी ये कहना मुश्किल हैं कि किसका पलड़ा भारी है। बीजेपी उम्मीदवार हिमाद्री सिंह के खिलाफ जहां कांग्रेस से अधिक उसकी ही पार्टी के नाराज नेता चुनौती बने हैं तो कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला सिंह के लिए कांग्रेस के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं का साथ लेना आसान नहीं होगा।
दोनों ही उम्मीदवार ऐसे हैं जिनको एक दूसरे की ताकत और कमजोरियों के बारे में बाखूबी पता है, ऐसे में दोनों पैराशूट उम्मीदवारों के आमने-सामने होने से चुनावी मुकाबला काफी रोचक हो गया है।
विधानसभा का सियासी समीकरण : शहडोल लोकसभा में चार जिलों के आठ विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लोकसभा सीट में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में जयसिंहनगर, जैतपुर, कोतमा, अनूपपुर, पुष्पराजगढ़,बां धवगढ़, मानपुर और बड़वारा हैं। हाल में ही विधानसभा चुनावों में यहां पर बीजेपी और कांग्रेस ने चार–चार विधानसभा सीट जीतकर लोकसभा के चुनावी मुकाबले को काफी दिलचस्प बना दिया है।
चुनावी विश्लेषकों की राय : शहडोल की राजनीति की सियासी नब्ज पर पैनी नजर रखने वाले पत्रकार शिवमंगल सिंह कहते हैं कि इस बार शहडोल लोकसभा सीट का चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प है। चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के टिकट की दावेदार हिमाद्री सिंह के बीजेपी में शामिल होने को वो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका बताते हुए कहते हैं कि कांग्रेस की उम्मीदवार प्रमिला सिंह अब तक चुनावी राजनीति में पिछड़ती हुई दिखाई दे रही हैं।
सिंह कहते हैं कि क्षेत्र में बीजेपी के संगठन के काफी मजबूत और सक्रिय होने का फायदा हिमाद्री सिंह को निश्चित तौर पर चुनाव में मिलेगा, वहीं बीजेपी की तुलना में क्षेत्र में कांग्रेस के संगठन को वो कमजोर मानते हैं। कांग्रेस उम्मीदवार प्रमिला की तुलना में हिमाद्री को मजबूत मानने का सबसे बड़ा कारण शिवमंगल सिंह उनके परिवारिक बैकग्राउंड को बताते हुए कहते हैं कि हिमाद्री के माता-पिता दोनों का क्षेत्र में अच्छा-खासा प्रभाव होने के साथ-साथ अब शादी के बाद वो जिस परिवार से जुड़ी हैं उसकी भी क्षेत्र में अच्छी पकड़ और पहचान है।
सिंह हिमाद्री के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के वर्तमान सांसद ज्ञानसिंह का विरोध मानते है। सिंह कहते हैं कि अगर ज्ञानसिंह चुनाव लड़ने पर अड़े रहते हैं तो बीजेपी को बड़ा नुकसान होगा और उसकी राह भी मुश्किल हो सकती है।