- थॉमस लाचान
7 अक्टूबर को हमास के हमले ने इसराइल को झकझोर कर रख दिया था। लेकिन उसके बाद इसराइल ने गाजा में एक ऐसा सैन्य अभियान शुरू किया, जिसने पूरे मध्य पूर्व की राजनीति को ही बदल दिया। साल 2023 में 7 अक्टूबर को हमास के लड़ाके और कई हथियारबंद समूह गाजा की सीमाओं को तोड़कर इसराइल में घुस गए और हमला कर दिया। इस हमले में लगभग 1200 लोगों को मार दिया गया और 251 लोगों को बंधक बनाकर गाजा के फ़िलिस्तीनी इलाके में ले गए।
इसके अगले ही दिन, 8 अक्टूबर 2023 को इसराइल की सरकार ने गाजा पर सैन्य हमला कर दिया। हमास-प्रशासित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक कम से कम 66,000 लोग मारे जा चुके हैं और करीब 1,69,000 लोग घायल हुए हैं। मारे गए लोगों में करीब 80 फीसदी आम लोग हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के अनुसार असल संख्या आधिकारिक आंकड़ों से कहीं अधिक है।
इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के अनुसार, गाजा के 90 फीसदी घर तबाह हो चुके हैं। अब तक लगभग 19 लाख लोग बेघर हो चुके हैं। साथ ही, इसराइल की नाकाबंदी के चलते गाजा भयंकर अकाल का भी सामना कर रहा है। इससे अब तक 150 बच्चों समेत कम से कम 450 लोगों की मौत हो चुकी है।
अब तक पूरा नहीं हुआ इसराइल का लक्ष्य
7 अक्टूबर के हमले के बाद, इसराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने गाजा युद्ध के दो मुख्य उद्देश्य तय किए थे। पहला, इसराइल के सभी बंधकों को वापस लाना और दूसरा, हमास को पूरी तरह नष्ट करना।
दो साल बीतने के बाद भी यह दोनों लक्ष्य अब तक पूरे नहीं हो पाए हैं। गाजा ले गए कुल 251 बंधकों में से केवल 148 को ही जीवित इसराइल वापस लाया जा सका है। जिसमें से आठ को इसराइली सेना ने छुड़ाया और बाकी 140 को हमास ने इसराइल की ओर से छोड़े गए फ़िलिस्तीनी लोगों के बदले में छोड़ा है। साथ ही, कई मृतकों के शव भी इसराइल को लौटाए गए हैं। इसराइली सरकार के अनुसार अब भी गाजा में 48 बंधक मौजूद हैं। इनमें से 20 के अब भी जीवित होने की उम्मीद है।
इसराइल ने इस्माइल हानियेह और याह्या सिनवर समेत हमास के कई शीर्ष नेताओं को भी मार दिया है। लेकिन इसके बावजूद अब भी यह संगठन काफी सक्रिय है। सितंबर 2025 के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गाजा के लिए एक शांति प्रस्ताव पेश किया, जिसमें बाकी सभी बंधकों की रिहाई और हमास के निरस्त्रीकरण की मांग की गई।
कमजोर हुए इसराइल के दुश्मन
पिछले दो वर्षों में यह लड़ाई केवल गाजा तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि लेबनान के हिजबुल्लाह और यमन के हूथियों ने भी हमास का समर्थन किया। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद हिजबुल्लाह और हूथियों ने भी 2024 और 2025 में इसराइल पर कई बार हमला किया।
जवाबी कार्रवाई में इसराइल ने हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को बेरूत में मार दिया और उनकी मदद करने वाले ईरान पर भी इसराइल की वायुसेना ने लगातार हमले करके ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया।
इसराइल पर लगे नरसंहार के आरोप
पिछले दो वर्षों में इसराइली सेना ने गाजा के अस्पतालों, शरणार्थी शिविरों और स्कूलों पर बमबारी की। इन हमलों में हजारों महिलाएं, बच्चे, पत्रकार और राहतकर्मी मारे गए। बड़े स्तर पर हुई इन मौतों के चलते इसराइल पर नरसंहार के आरोप लगे। संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार आयोग समेत कई अन्य संगठनों ने कहा कि इसराइल नरसंहार कर रहा है जबकि नेतन्याहू की सरकार इसे इसराइल की आत्मरक्षा का अधिकार मानती है।
दिसंबर 2023 में दक्षिण अफ्रीका ने नरसंहार अधिनियम के उल्लंघन पर इसराइल के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में याचिका दायर की। जिसके बाद नवंबर 2024 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने नेतन्याहू और रक्षामंत्री, योआव गालांत के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। हालांकि इसराइल और उसके समर्थकों ने इस वारंट को खारिज कर दिया।
फ़िलिस्तीन को राष्ट्र की मान्यता
गाजा की गंभीर स्थिति ने एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राष्ट्र की मांग को और तेज कर दिया है। 7 अक्टूबर 2023 से पहले दुनिया के लगभग 140 देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दी हुई थी, लेकिन अब दो साल बाद फ्रांस, ब्रिटेन, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा समेत 20 अन्य देशों ने भी फ़िलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता दे दी है।
हालांकि प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि फ़िलिस्तीन को मान्यता देना हमास को मान्यता देने जैसा है, लेकिन मान्यता देने वाले देश मानते हैं कि स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी देश में हमास का कोई अस्तित्व नहीं होगा। अब कई देश इस युद्ध के खिलाफ खुलकर सामने आ रहे हैं। उन्होंने इसराइल को हथियारों की आपूर्ति रोक दी है। साथ ही, कोलंबिया, दक्षिण अफ्रीका और मलेशिया जैसे कुछ देशों ने इसराइल पर प्रतिबंध भी लगा दिए हैं।
यूरोपीय संघ भी इस दिशा में विचार कर रहा है। यूरोपीय संघ और इसराइल के बीच हुए सहयोग समझौते को निलंबित करने से लेकर इसराइली नागरिकों की वीजा-मुक्त यात्रा रोकने तक कई कदमों पर यूरोपीय संघ के देश सहमत नजर आ रहे हैं। हालांकि जर्मनी समेत कुछ अन्य यूरोपीय देश अब भी इन कदमों से सहमत नहीं हैं।
गाजा में युद्ध जारी रखने को लेकर इसराइल के अंदर भी काफी मतभेद नजर आ रहे हैं। जहां एक तरफ कुछ दक्षिणपंथी मंत्री युद्ध जारी रखने के पक्ष में हैं। वहीं, बंधकों के परिजन और कई नागरिक युद्ध विराम की मांग कर रहे हैं। जुलाई के हुए एक सर्वे में सामने आया कि 60 फीसदी से भी अधिक इसराइली जनता युद्धविराम चाहती है।