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Written By DW
Last Updated : सोमवार, 15 जनवरी 2024 (09:01 IST)

यूएन: 2024 में बदतर होने वाली है वैश्विक बेरोजगारी

यूएन: 2024 में बदतर होने वाली है वैश्विक बेरोजगारी - Unemployment situation is going to get worse in 2024
-एए/सीके (एएफपी)
 
संयुक्त राष्ट्र ने बुधवार को कहा कि 2024 में दुनियाभर में बेरोजगारी दर थोड़ी और बढ़ेगी। यूएन ने सुस्त उत्पादकता, बढ़ती असमानता और महंगाई के हिसाब से खर्च योग्य आय में कटौती के बारे में चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के एक नए विश्लेषण के मुताबिक बेरोजगारी और रोजगारपरक कामकाज में मौजूदा खाई की दर, वैश्विक महामारी से पूर्व के स्तर से कुछ कम हुई है, लेकिन इसके बावजूद वैश्विक बेरोजगारी दर के बढ़ने की संभावना है।
 
आईएलओ ने कहा कि 2023 में वैश्विक विकास अनुमान से मामूली अधिक था और श्रम बाजारों ने आश्चर्यजनक लचीलापन दिखाया। हालांकि, आईएलओ का कहना है कि अधिकांश जी-20 देशों में वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई है, क्योंकि वेतन वृद्धि महंगाई के साथ तालमेल बिठाने में विफल रही है।
 
2023 में वैश्विक बेरोजगारी दर में सुधार
 
साल 2022 में वैश्विक बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत थी जो कि पिछले साल थोड़ी बेहतर होकर 5.1 प्रतिशत हो गई। इसके अलावा 2023 में वैश्विक स्तर पर रोजगारपरक कामकाज में खाई और लेबर मार्केट में भागीदारी की दर भी बेहतर हुई है।
 
लेकिन आईएलओ के अध्ययन के मुताबिक 2024 में श्रम बाजार परिदृश्य और बेरोजगारी के बिगड़ने की आशंका है। इस साल अतिरिक्त 20 लाख श्रमिक रोजगार बाजार में काम की तलाश में आएंगे। इस कारण वैश्विक बेरोजगारी दर 5.1 प्रतिशत से बढ़कर इस साल 5.2 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
 
यूएन एजेंसी का कहना है कि जी-20 समूह के अधिकांश देशों में इस्तेमाल करने लायक आय में कमी आई है और महंगाई बने रहने की वजह से स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग में जो गिरावट हुई है वह जल्द सुधरने वाली नहीं है।
 
श्रम बाजार में अंसुतलन बढ़ा
 
आईएलओ ने 2024 के लिए अपनी विश्व रोजगार और सामाजिक आउटलुक रुझान रिपोर्ट में कहा कि बढ़ती असमानताएं और सुस्त उत्पादकता चिंता के कारण हैं। अध्ययन ताजा श्रम बाजार रुझानों का आकलन करता है जिसमें बेरोजगारी, रोजगार सृजन, श्रम बल की भागीदारी और काम के घंटे शामिल हैं, फिर उन्हें उनके सामाजिक नतीजों से जोड़ा जाता है।
 
आईएलओ के प्रमुख गिल्बर्ट हौंगबो के मुताबिक रिपोर्ट में पाया गया कि कुछ डाटा विशेष रूप से विकास और बेरोजगारी पर 'उत्साहजनक' हैं। हौंगबो ने आगे कहा, 'लेकिन गहन विश्लेषण से पता चलता है कि श्रम बाजार में असंतुलन बढ़ रहा है, कई और पारस्परिक वैश्विक संकटों के संदर्भ में यह अधिक सामाजिक न्याय की दिशा में प्रगति को कमजोर कर रहा है।'
 
रिपोर्ट में पाया गया कि सिर्फ चीन, रूस और मेक्सिको ने साल 2023 में 'सकारात्मक वास्तविक वेतन वृद्धि का आनंद लिया।' जी-20 के अन्य देशों में वास्तविक मजदूरी में गिरावट आई जिसमें ब्राजील (6।9 प्रतिशत), इटली (5 प्रतिशत) और इंडोनेशिया (3.5 प्रतिशत) में सबसे तेज गिरावट देखी गई।
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