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Written By DW
Last Modified: बुधवार, 28 अगस्त 2024 (07:55 IST)

तीन साल पूरे होने पर तालिबान ने लगाईं नई पाबंदियां

तीन साल पूरे होने पर तालिबान ने लगाईं नई पाबंदियां - taliban imposes more restrictions on women and men in afghanistan
तालिबान सरकार ने नैतिकता से जुड़े कई नए कानून लागू किए हैं। इनके तहत महिलाओं के लिए चेहरा ढकना जरूरी होगा और पुरुषों को दाढ़ी बढ़ानी होगी।
 
तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबातुल्लाह अखुंजादा ने साल 2022 में एक फरमान जारी किया था। अब उसे कानूनी रूप दे दिया गया है। न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता बरकतुल्लाह रसौली ने बताया कि ये नए कानून लागू हो गए हैं और सरकारी दस्तावेज में छप चुके हैं। तालिबान का कहना है कि ये कानून इस्लामिक शरीयत के अनुसार हैं और इन्हें नैतिकता मंत्रालय द्वारा लागू किया जाएगा।
 
इन कानूनों के तहत कार में संगीत बजाने पर रोक लगा दी गई है। किसी पुरुष के साथ हुए बिना महिलाओं के यात्रा करने पर भी पाबंदी है। मीडिया को भी शरीयत कानून का पालन करने को कहा गया है। जीवित प्राणियों की तस्वीरें छापने पर भी रोक लगाई गई है।
 
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ही अफगानिस्तान में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और बुनियादी मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। महिलाओं और लड़कियों पर पहले से ही कई सख्त प्रतिबंध लगे हैं। मसलन, छठी कक्षा से आगे लड़कियों की पढ़ाई पर बैन है। महिलाएं पार्क जैसी सार्वजनिक जगहों पर भी नहीं जा सकतीं। मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, सार्वजनिक जीवन से महिलाओं को जैसे गायब कर दिया गया है।
 
नियमों के उल्लंघन के आरोप में हजारों लोगों पर कार्रवाई की जा चुकी है। हाल ही में नैतिकता मंत्रालय ने बताया कि उसने पिछले साल 13,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है। इनपर क्या आरोप थे, या इनमें महिलाओं और पुरुषों की संख्या क्या थी, ये ब्योरे साझा नहीं किए गए।
 
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और तालिबान का बचाव
महिलाओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तालिबान के प्रतिबंधों की मानवाधिकार संगठनों और कई सरकारों ने कड़ी आलोचना की है। 2021 में सत्ता में वापसी के बाद अब तक किसी भी देश ने तालिबान को अफगानिस्तान की वैध सरकार के रूप में अधिकारिक मान्यता नहीं दी है।
 
कई देशों ने कहा है कि तालिबान को मान्यता देना कई मुद्दों पर निर्भर करता है। इनमें महिलाओं के अधिकार सुनिश्चित करना और कट्टरपंथी समूहों से संबंध तोड़ना अहम है। हालांकि रूस, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात समेत करीब एक दर्जन देशों की काबुल में राजनयिक उपस्थिति है।
 
तालिबान का कहना है कि वे इस्लामिक कानून और स्थानीय परंपराओं के अनुसार महिला अधिकार का सम्मान करते हैं और यह एक आंतरिक मामला है, जिसे स्थानीय स्तर पर सुलझाया जाना चाहिए।
 
नए कानूनों का प्रभाव
नए कानूनों के दायरे में सिर्फ महिलाएं नहीं, बल्कि पुरुष भी शामिल हैं। नमाज छोड़ने और रोजा रखने में चूकने पर पुरुषों पर कार्रवाई हो सकती है। कानूनों के उल्लंघन की स्थिति में दी जाने वाली सजा में "सलाह देना, सजा की चेतावनी, धमकी देना, संपत्ति जब्त करना, एक घंटे से तीन दिन तक जेल में रखना" जैसी कार्रवाई शामिल है। यदि इन उपायों से भी व्यक्ति का व्यवहार नहीं सुधरता है, तो उसपर मुकदमा चलाया जा सकता है।
 
2021 में सत्ता में वापस आने के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान के पिछले संविधान को निलंबित कर दिया था। उसने कहा था कि वे देश में इस्लामिक कानून के अनुसार शासन करेंगे।
 
पहले से मौजूद सख्तियों के बीच अब नए प्रतिबंधों से महिलाओं और लड़कियों की स्थिति और बदतर होने की आशंका है। मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचनाओं के बावजूद तालिबान अपनी नीतियों में नर्मी लाता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कई जानकार मानवाधिकार और महिला अधिकार सुनिश्चित करने के लिए तालिबान के साथ कूटनीतिक संवाद शुरू करने की जरूरत पर जोर देते हैं।
टीजेड/एसएम (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
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