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Last Modified: गुरुवार, 21 सितम्बर 2017 (15:26 IST)

दक्षिण में फिल्मी कलाकार कैसे बन जाते हैं लोकप्रिय नेता?

दक्षिण में फिल्मी कलाकार कैसे बन जाते हैं लोकप्रिय नेता? - South India Film
तमिलनाडु की सत्ता एक बार फिर फिल्म जगत के दो जाने-माने चेहरों के ईद-गिर्द घूमती नजर आ सकती है। दक्षिण भारत की राजनीति में फिल्मी सितारों को अपार सफलता मिली है लेकिन सवाल उठता है क्यों?
 
दक्षिण भारत के दो जाने माने चेहरे अब सत्ता के गलियारों में नजर आ सकते हैं। तमिल फिल्म इंडस्ट्री और बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले दो कलाकार, रजनीकांत और कमल हासन तमिल राजनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं। फिल्म जगत और तमिलनाडु का रिश्ता बेहद ही पुराना है। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता भी राजनीति से पहले फिल्मों में बेहद सक्रिय थीं। जयललिता चार बार राज्य की मुख्यमंत्री बनीं। जयललिता बेहद ही लोकप्रिय नेता थीं और आम जनता उन्हें अम्मा कह कर देवी का दर्जा देती थी। लेकिन बीते दिसंबर जयललिता की मौत के बाद से ही तमिलनाडु की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।
 
किस पार्टी का देंगे साथ
हाल में कमल हासन तमिलनाडु के विपक्षी दल डीएमके के साथ मंच साझा करते नजर आए। इसके पहले भी हासन सत्ताधारी दल एआईएडीएमके की आलोचना करते रहे हैं। हालांकि हासन की ओर से अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह किस दल के साथ जाएंगे लेकिन डीडब्ल्यू को सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक हासन अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के साथ ही डीएमके में शामिल हो सकते हैं। हाल में चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हासन ने कहा, "मैं जल्दबाजी में कोई पार्टी नहीं बनाना चाहता लेकिन आप लोग हैं जो मुझे बुला सकते हैं, जो मुझे स्वीकार करने का निर्णय कर सकते हैं।
 
इसलिए ये आपको ही तय करना है कि मुझे कब आना चाहिए और इसके लिए कोई समय सीमा नहीं होनी चाहिए।" वहीं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भी तमिलनाडु में अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश में लगी है। पार्टी एआईएडीएमके के साथ जाकर यहां राजनीतिक संभावनाओं को अपने पक्ष में साधने की जी-जान से कोशिश कर रही है। भाजपा और एआईएडीएमके दोनों ही दलों को उम्मीद है कि वे दक्षिण भारत के सुपर स्टार रजनीकांत को अपने साथ शामिल कर लेंगे। हालांकि रजनीकांत ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को अब तक जाहिर नहीं किया है लेकिन इसके पहले कई मौकों पर वह सत्ता और राजनीति में दिलचस्पी दिखाते रहे हैं।
 
रजनी फैन क्लब के प्रमुख पद्मनाभ कुमारन के मुताबिक, "ऐसी अफवाहें हैं कि रजनीकांत अपनी पार्टी लॉन्च करेंगे लेकिन तमाम कारणों के चलते वह समय ले रहे हैं और सही वक्त आने पर ही फैसला करेंगे।"
 
फिल्मी पर्दे से सत्ता तक
कई भारतीय फिल्म अभिनेताओं ने सिनेमा जगत से सीधे राजनीति में छलांग लगाई है और तमिल राजनीति में भी कुछ ऐसा ही ट्रेंड नजर आता है। वहां भी अभिनेताओं के लिए सफल राजनेता बनना आसान ही रहा है। बड़े नामों की बात करें तो पिछले तीन दशकों से राज्य की राजनीति की दिशा और दशा तय कर रहे एम के करुणानिधि और जयललिता दोनों ही फिल्मी पृष्ठभूमि से थे। पत्रकार सदानंद मेनन कहते हैं, "1967 से 1990 के दौरान द्रविड़ राजनीति में अभिनेता और पटकथा लेखकों के उभार का कारण इनके प्रशंसकों के क्लबों की मौजूदगी थी जो जमीन पर पहले से ही सक्रिय थे। इसका प्रभाव तमिलनाडु के लोगों में व्यवहार में अधिक नजर आता है जो अपने आप में अनूठा है।"
 
राजनीति में फिल्मी हस्तियों का आना सिर्फ तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं है बल्कि अन्य दक्षिणी राज्य मसलन आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी यह ट्रेंड दिखता है। इन दोनों राज्यों में यह ट्रेंड तमिलनाडु की तुलना में कम लोकप्रिय है। आंध्र प्रदेश की राजनीति में सिनेमा जगत से आये ऐसे नेता थे एनटी रामाराव। एनटीआर के नाम से मशहूर रामाराव तेलुगू सिनेमा का बड़ा चेहरा थे। एनटीआर ने कई तेलुगू फिल्मों में भगवान के किरदार निभाये। पर्दे पर एनटीआर की एक भीमकाय छवि नजर आती थी जो आम जनता के बीच काफी लोकप्रिय थी। एनटीआर ने अपनी इस छवि का इस्तेमाल तेलुगू गर्व के मुद्दे पर आधारित अपनी तेलुगू देशम पार्टी को स्थापित करने में बखूबी की। एनटीआर ने करीब सात साल राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर काम किया। साल 1983 से 1994 की अवधि के दौरान वह तीन बार मुख्यमंत्री बने।
 
भाषाई फिल्में प्रचार मशीन
फिल्म इतिहासकार अंबुमणि कहते हैं, "तमिल फिल्में और कुछ हद तक तेलुगू फिल्में ऐसी प्रचार मशीनें थीं, जो इन सितारों को राजनीति में लेकर आईं। कई लोगों ने राजनीति में स्वयं को स्थापित करने के लिए फिल्मों का इस्तेमाल किया।"
 
अब ये बड़ा सवाल है कि क्या कमल हासन और रजनीकांत राजनीति में ऐसी सफलता और ऊंचाई को हासिल कर सकेंगे जो इनके पूर्ववर्तियों को मिली। लेकिन दोनों अपनी लोकप्रियता के बल पर इसे भुनाने की कोशिश जरूर करेंगे।
 
रिपोर्ट:- मुरली कृष्णन