अधिक उत्पादन के बावजूद दुनिया में क्यों महंगी हो रहीं खाने की चीजें
पूरी दुनिया में इस साल चावल और गेहूं का उत्पादन अनुमान से कहीं ज्यादा हुआ है लेकिन महंगाई है कि कम ही नहीं हो रही है। मांस और वनस्पति तेलों की कीमतों में ज्यादा वृद्धि हुई है। आखिर इसकी वजह क्या है?
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ने कहा कि नवंबर महीने में पूरी दुनिया में खाने की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। मांस और वनस्पति तेलों की कीमतों में ज्यादा वृद्धि हुई है, वहीं अनाज की कीमतों में थोड़ी कम। खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) फूड प्राइस इंडेक्स खाने की चीजों की कीमतों की हर महीने समीक्षा करता है।
इसमें पाया गया कि अनाज, तेलहन, डेयरी प्रॉडक्ट, मीट और चीनी की कीमतें नवंबर में बीते 26 महीने में सबसे ज्यादा औसतन 177.2 अंक पर रही। यह अक्टूबर महीने से 2.7 प्रतिशत ज्यादा और पिछले साल के मुकाबले 9.5 प्रतिशत ज्यादा है।
एफएओ ने यह भी अनुमान लगाया कि अनाज उत्पादन 2019 में 2.714 अरब टन के अब तक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच जाएगा। यह अपने पिछले पूर्वानुमान से 0.4% अधिक है। गेहूं की कीमतों में भारी वृद्धि और दुनियाभर के उत्पादकों के बीच मजबूत प्रतिस्पर्धा के कारण अनाज का प्राइस इंडेक्स 1.2% गिरकर 162.4 अंक हो गया। नई फसल आने की वजह से चावल की कीमतें 6 महीने के निचले स्तर पर आ गईं।
वनस्पति तेल प्राइस इंडेक्स 10.4% बढ़कर 150.6 अंक पर पहुंच गया, जो मई 2018 के बाद से अपने उच्च स्तर है। इससे बायोडीजल के इस्तेमाल में वृद्धि हुई और संभावित आपूर्ति में कमी पर चिंता व्यक्त की गई। मीट के प्राइस इंडेक्स में मई 2009 के बाद से सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की गई। यह अक्टूबर महीने की तुलना में 4.6 प्रतिशत बढ़कर 190.5 अंक तक पहुंच गया। साल के अंत में छुट्टियां मनाने और चीन से मांग में वृद्धि की वजह से बीफ और भेड़ के मांस के दाम सबसे ज्यादा बढ़े।
ज्यादा मांग की वजह से चीनी का प्राइस इंडेक्स औसतन 181.6 रहा। यह अक्टूबर महीने से 1.8 प्रतिशत ज्यादा था। एफएओ डेयरी प्राइस इंडेक्स औसतन 192.6 अंक रहा। यह 2 महीने की गिरावट के बाद भी अक्टूबर महीने से थोड़ी ज्यादा है।
एजेंसी ने 2018 के स्तर की तुलना में 2019 में वैश्विक अनाज उत्पादन के लिए पूर्वानुमान को 0.4% बढ़ाकर 2.714 अरब टन कर दिया है। गेहूं का उत्पादन 4.8% बढ़कर 76.64 करोड़ टन रहा, वहीं वैश्विक स्तर पर चावल उत्पादन 51.5 करोड़ टन पर देखा गया। यह पिछले पूर्वानुमान से 16 लाख टन अधिक था।
आरआर/एनआर (रॉयटर्स)