24 घंटे में चार गैंग रेप। हरियाणा ने नया रिकॉर्ड कायम किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इसे प्रदेश के विकास की सूची में डाल सकते हैं, कहना है ईशा भाटिया का। बलात्कार के लिए लड़कियां ही जिम्मेदार होती हैं और ये आंकड़े इसे साबित करते हैं, क्योंकि घर के बाहर की जगह उनकी नहीं है। वहां वे सुरक्षित नहीं हैं।
उम्र: 22 साल
जगह: फरीदाबाद
कसूर: दफ्तर से घर आने के लिए सड़क पर निकलना।
उम्र: 15 साल
जगह: कुरुक्षेत्र
कसूर: घर से ट्यूशन क्लास जाने के लिए बाहर सड़क पर निकलना।
उम्र: 11 साल
जगह: पानीपत
कसूर: घर का कूड़ा फेंकने के लिए बाहर सड़क पर निकलना।
उम्र: 10 साल
जगह: पंचकुला के करीब पिंजौर
कसूर: घर के बाहर सड़क पर खेलना।
उम्र: 6 साल
जगह: हिसार का उरलाना
कसूर: सड़क पर झोपड़ी के बाहर सोना।
इन सब लड़कियों ने एक ही गलती की, सड़क पर निकल गईं। इसलिए अपने साथ हुई हर हरकत के लिए वे खुद ही जिम्मेदार हैं। सड़क पर आने की उन्हें यही सजा मिलनी चाहिए। उनके साथ बलात्कार होना चाहिए और वह भी बर्बर तरीके से। ऐसे कि सिर्फ उन्हें ही नहीं, बल्कि सब लड़कियों को अपनी जगह समझ आ जाए। बाहर निकलोगी, तो मार दी जाओगी।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम्हारी उम्र क्या है। तुम 6 साल की हो या 22 की, तुम्हारे गुप्तांगों में डंडा घुसा दिया जाएगा। तुम्हें इस कदर प्रताड़ित किया जाएगा कि तुम्हारी आंतें बाहर आ जाएंगी। तुम्हारे शरीर का हर अंग काम करना बंद कर देगा। कभी रेप करने के बाद तुम्हारी जान ली जाएगी, तो कभी जान लेने के बाद तुम्हारा रेप किया जाएगा। और एक बार नहीं कई बार किया जाएगा। झुंड बना कर, आदमियों की एकजुटता को दिखाते हुए तुम्हारी इज्जत उतारी जाएगी। तुम्हें तुम्हारी जगह दिखाने का यही सबसे सही तरीका है।
24 घंटे में चार गैंग रेप। हरियाणा ने नया रिकॉर्ड कायम किया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इसे प्रदेश के विकास की सूची में डाल सकते हैं। क्योंकि गैंगरेप के मामले में हरियाणा अब तक देश में नंबर वन का टाइटल हासिल नहीं कर सका है। 2015 के आंकड़ों के अनुसार हरियाणा चौथे नंबर पर था। जहां उत्तर प्रदेश में साल भर में गैंग रेप के 458 मामले दर्ज किए गए, वहीं राजस्थान में 411, मध्य प्रदेश में 270 और हरियाणा में महज 204 । लेकिन 24 घंटे में चार मामलों की दर पर यह राज्य काफी तेजी से बाकी सब को पीछे छोड़ सकता है।
प्रदेश तरक्की कर रहा है। और फिर करे भी क्यों ना। उनके लिए आदर्श माहौल जो है। पुलिस वक्त रहते रिपोर्ट दर्ज नहीं करती, अगर कर लेती है तो गिरफ्तारी नहीं होती, अगर हो जाती है तो दो चार दिन में लोग छूट भी जाते हैं और अगर खुदा ना खास्ता नहीं छूटे तो भी कहां अदालत में कोई कुछ साबित कर लेगा।
जब मीडिया हो हल्ला मचा दे तो थोड़ी दिक्कत हो सकती है लेकिन वह भी कुछ ही दिन की बात है। टीवी पर एंकर चिल्लाएंगे, कॉलेज के लड़के लड़कियां कैंडल ले कर एक दो मार्च निकाल लेंगे, मुख्यमंत्री को एक आध बयान देना पड़ जाएगा, बस।
लेकिन बाकी सब तो वैसे ही चलता रहेगा ना। इसका मतलब यह हरगिज नहीं होगा कि सड़क पर निकली लड़की को बक्श दिया जाएगा। उसे उसकी सजा मिलती रहेगी। बेटियों का, बच्चियों का बलात्कार होता रहेगा। उनका अस्तित्व एक संख्या तक सीमित हो कर रह जाएगा। हम आंकड़े जमा करते रहेंगे, दुनिया रिपोर्टें पढ़ती रहेगी और जब भी कभी बेटियों बाहर सड़क पर निकलेंगी, माएं सहमी रहेंगी।
रिपोर्ट ईशा भाटिया