- वंदना
पाकिस्तान में छह साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या से पूरा देश ग़ुस्से में है और सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक न्याय की मांग कर रहे हैं, गुस्सा दिखा रहे हैं। क़सूर की रहने वाली ज़ैनब अंसारी से हुई ज़्यादती के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हुए। कुछ जगह हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी।
इस बीच एक निजी समाचार चैनल की एंकर अलग अंदाज़ में ख़बरें पढ़ती नज़र आईं। समा टीवी की एक एंकर किरन नाज़ गुरुवार को एक बुलेटिन में अपनी बच्ची को लेकर आईं और उसे गोद में बैठाकर ज़ैनब की ख़बर दी।
'जनाज़ा जितना छोटा, उतना भारी'
बुलेटिन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा, ''आज में किरन नाज़ नहीं हूं बल्कि एक मां हूं और इसलिए आज मैं अपनी बच्ची के साथ बैठी हूं। जनाज़ा जितना छोटा होता है उतना ही भारी होता है और पूरा समाज उसके बोझ तले दब जाता है।''
जब बीबीसी हिन्दी ने उनसे ऐसा करने की वजह पूछी तो उन्होंने कहा, ''मेरे लिए खुद को कंट्रोल करना बहुत ज़्यादा मुश्किल था, मैं रात भर सो नहीं सकी और सोचती रही। मैं जब अपनी बेटी की तरफ चेहरा करती थी तो मुझे अपनी बेटी की आंखों में ज़ैनब का चेहरा नज़र आ रहा था।''
किरन ने कहा, ''मैं अगले दिन जब ऑफिस गई और मैंने वो शो किया, तो उस दिन ज़ैनब की मां उसका उमरा (मक्का की यात्रा) करके लौट रही थीं।''
'मैंने दर्द को महसूस किया'
''मैंने उनकी जो हालत देखी तब मुझे कुछ लम्हे लगे यह सोचने में कि खुदा-न-खास्ता अगर यह हालात मेरे सामने हो जाते तो क्या होता। ये (ज़ैनब की मां) तो फिर भी चल पा रही हैं बात कर पा रही हैं मैं तो शायद कुछ भी न कर पाती।''
लेकिन फिर भी बेटी को साथ बैठाकर ख़बरें पढ़ने की क्या वजह हो सकती है, उन्होंने कहा, ''मैंने उस दर्द को महसूस किया और इसलिए मैं अपनी बेटी को लेकर आई। मैं यह बताना चाहती थी कि मेरी बेटी मेरा फख़्र है। दुनिया में जिनकी भी बेटियां होती हैं, वो उनका गुरूर होती हैं।''
उन्होंने गुस्से का इज़हार करते हुए कहा, ''आप हमारे गुरूर के साथ रेप करेंगे, उन्हें कचरे में फेकेंगे? हम जंगल में नहीं रहते, हम इंसान हैं और ये हमारे बच्चे हैं। इसलिए मैं अपने फख्र के साथ बैठी थी जिससे ज़ैनब के लिए आवाज़ उठा सकूं।''
'मुझे कामयाबी मिली'
और उन्होंने ऐसा करके क्या पाया, इसके जवाब में किरन ने कहा, ''मुझे अब ऐसा लगता है कि शायद मैं थोड़ी बहुत कामयाब हुई हूं, आप लोग मुझसे बात कर रहे हैं।''
''हमें यह मशविरा दे दिया जाता है कि आप अपने बच्चों को गुड टच या बैड टच के बारे में सिखाएं। मेरी बेटी 6 महीने की है उसे मैं इस बारे में कैसे बताऊं?''
उन्होंने कहा, ''लोगों के पास इतना दिल नहीं है कि वो रोज़ ऐसे वाकये देखते रहें। रोज़ाना अपने छोटे-छोटे बच्चों को उठाएं और कब्रों में दफ्न करें। और बस यह सोचकर रह जाएं कि शायद वह ज़ालिम इंसान पकड़ा जाएगा।'' ''अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है इसलिए पूरे पाकिस्तान के लोग बाहर निकल आए हैं।''
भारत में मिली प्रतिक्रिया से खुश
इस मामले को लेकर भारत में जैसी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है, उससे पाकिस्तानी एंकर काफ़ी खुश हैं। उन्होंने कहा, ''मुझे दिल से खुशी हो रही है जिस तरह भारत इस मामले को उठा रहा है और मीडिया इसे सपोर्ट कर रहा है।'' ''मैं चाहती हूं कि चाहे यह यहां हो या फिर सरहद के उस पार हो, बस अब ख़त्म होना चाहिए।''